आचार्य भगवंत पद्म भूषण रत्न सुरिश्वर महाराज संघ की निश्रा में हुआ आयोजन

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में झीलों की नगरी के अतिप्राचीन सीसारमा गांव में स्थित शांतिनाथ जैन मंदिर के दो दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव का समापन बुधवार को वैदिक मंत्रोच्चारण एवं शांतिनाथ भगवान के जयकारों के साथ हुआ। जिसमें आचार्य विजय पुण्य रत्न सूरीश्वर महाराज व आचार्य विजय यशोरत्न सूरीश्वर महाराज की प्रेरणा एवं तपस्वीरत्न आचार्य भगवंत पद्म भूषण रत्न सुरिश्वर महाराज, प्रन्यास प्रवर ऋषभ रत्न विजय महाराज, पंन्यास प्रवर निरागरत्न विजय महाराज, साध्वी भगवंत कीर्तिरेखा महाराज आदि ठाणा का पावन सान्निध्य मिला।
महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि दो दिवसीय प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दूसरे दिन मूलनायक शांतिनाथ भगवान, अभिनंदन स्वामी भगवान, संभव नाथ भगवान व माँ अम्बिका की प्रतिमा व आदेश्वर भगवान के पगलिया जी की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई। जिन मंदिर के जीर्णोद्धार के लाभार्थी श्री कुंथुनाथ गृह जिनालय, विजयनगर द्वारा पुण्य लाभ लिया गया। मंदिर का शिखर अति प्राचीन काल से विद्यमान है। प्रतिष्ठा पश्चात नवकारसी का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रन्यास प्रवर ऋषभ रत्न विजय महाराज द्वारा लिखित कुंम्भलमेर कुम्भलगढ़ के प्राचीन 300 जिन मंदिरों के इतिहास की एक पुस्तक का भी विमोचन किया गया। जिसका लाभ मंदिर की प्रतिष्ठा करवाने वाले यजमानों द्वारा लिया गया।
इस दौरान आयोजित धर्मसभा में आचार्य ने कहा कि पृथ्वी पर रहा हुआ गुरुत्वाकर्षण पदार्थों को स्व तरफ खिंचता है। पर मानव ऐसा है जो पैसो को अपनी ओर खिंचता है। यानि पैसों में रहे गुरुत्वाकर्षण से स्वंय मानव उसकी तरफ खिंचा चला जाता है। इस अवसर पर विविध तीर्थ भूमि की मिट्टी एवं जल से विविध औषधियों के माध्यम से परमात्मा का यह अभिषेक अरुण भाई विधि कारक द्वारा संपन्न कराई गई। मोहित भाई ने भक्ति गीतों से भक्तों को झूमने पर मजबूर कर दिया। आशालना निवारण एवं विधि विधान हेतु प्रतिदिन प्राचीन जिनमंदिर के दर्शन, पूजन, उपासना के लिए सभी श्रावक-श्राविकाओं को सक्रिय होने एवं पूजा के लिए पे्ररणा दी गई। नाहर ने बताया कि प्रतिष्ठा महोत्सव के बाद आचार्य संघ चौगान मंदिर स्थित पद्मनाथ स्वामी मंदिर पधारे जहां से 30 अप्रेल को राजपुरा वर्षीतप का पारणा एवं 9 मई को प्रतापगढ़ जैन मंदिर की प्रतिष्ठा सम्पन्न करवाएंगे।
इस अवसर कुलदीप नाहर, हेमन्त सिंघवी, नरेन्द्र सिंघवी, भोपाल सिंह सिंघवी, सतीश कच्छारा, प्रकाश नागोरी, हिमांशु जैन, सुमित जैन, राजेन्द्र जवेरिया, राजेन्द्र मारू, महेश मेहता, नरेश धुपिया, अशोक जैन, चतर सिंह पामेचा आदि मौजूद रहे।