पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से दो कदम आगे निकले ट्रंप, पहले ही भाषण में दुनिया की बढ़ाई चिंता

By :  vijay
Update: 2025-01-21 15:40 GMT

अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति डोनाल्ड जे. ट्रंप के शपथ लेने के बाद दिए गए भाषण के मायने निकाले जा रहे हैं। भारतीय विशेषज्ञों को भी कई घोषणाएं चौंका रही हैं। भारतीय शेयर बाजार की चिंता भी साफ नजर आई। संरक्षणवाद (प्रोटेक्शनिज्म) और राष्ट्रवाद (नेशनलिज्म) का आईना दिखाकर ट्रंप ने जो संदेश दिया, उससे भारतीय शेयर बाजार में सेंसेक्स ने 1235 अंक और निफ्टी ने 300 अंकों का गोता लगाया है। पूर्व विदेश सचिव शशांक कहते हैं कि दूसरे कार्यकाल में ट्रंप बहुत संभलकर चलेंगे।

पूर्व विदेश सचिव शशांक सिंगापुर में हैं। सिंगापुर में भी ट्रंप के भाषण लोगों की जेहन में हैं। अमर उजाला से विशेष बातचीत में शशांक कहते हैं कि ट्रंप ने पहले कार्यकाल वाली गलती नहीं दोहराई। बहुत उत्साह नहीं दिखाया। बल्कि वह अपने भाषण में आत्मविश्वास से लबरेज, परिपक्व, संवेदनशील और बहुत सावधान नजर आए। इसमें राष्ट्रपति के रूप में उनके सामने खड़ी चुनौतियों की भी झलक मिली। वह अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन से दो कदम आगे जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। शशांक कहते हैं कि प्रोटेक्शनिज्म और नेशनलिज्म का वह निराला तालमेल बनाते नजर आए हैं। इसलिए अभी बहुत उत्साहित होने की जरूरत नहीं है। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि भूराजनीतिक चुनौतियों के बीच अमेरिका भारत को अपने लिए बाजार की तरह देखता है। चीन की भी। संक्षेप में ट्रंप ने यह संदेश दे दिया है कि अमेरिकी हित में अपना हित जोड़कर कोई भी अपना हित देख सकता है।

विदेश मामले के जानकार वरिष्ठ पत्रकार रंजीत कुमार भी ट्रंप के भाषण को लेकर संवेदनशील हैं। वह कहते हैं कि पहले कार्यकाल में रिश्ते चाहे जिस ऊंचाई पर रहे हों, लेकिन उसमें भारत को कुछ खास नहीं मिला था। ट्रंप ने परोक्ष रूप से पनामा नहर का जिक्र करके चीन पर बड़ा कटाक्ष किया है। हालांकि, शशांक का कहना है कि ट्रंप ने अभी चीन के खिलाफ उसको चिढ़ाने या तंग करने वाली कोई भाषा नहीं बोली। बचे हैं। कनाडा, मैक्सिको को लेकर बोले हैं। शुल्क (टैरिफ) बढ़ाने पर बोले। आव्रजन नीति, ऊर्जा सुरक्षा, अमेरिका के हित समेत तमाम विषय पर बोले और बहुत सावधानी के साथ अपनी बात रखी है। अमेरिका में भारत के एक पूर्व राजदूत ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि दुनिया उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है। इसलिए, अभी बहुत कयास लगाने का फायदा नहीं है। राष्ट्रपति ट्रंप के सामने कई जटिल चुनौतियां हैं। इसलिए थोड़ा इंतजार करना चाहिए।

किस आशंका में गिर गया शेयर बाजार?

सारथी आचार्य आर्थिक मामलों के जानकार हैं। सारथी का कहना है कि हमारा शेयर बाजार पहले से ऊंचा-नीचा हो रहा था। सरकार आर्थिक वृद्धि का अनुमान 5-6 प्रतिशत लगा रही है। देश का ओद्योगिक विकास 2-3 प्रतिशत की दर से चल रहा है। बाजार में तमाम उतार-चढ़ाव के कारण हैं। इसमें ट्रंप की शपथ ने थोड़ी अनिश्चितता को और बढ़ा दिया है। रूपये की स्थति कमजोर है ही। जिस तरह से ट्रंप ने 'ग्रेट अमेरिका' बनाने का सपना दिखाया है, उसने निवेशकों की पैसे की निकासी बढ़ा दी है। लोगों को लग रहा है कि ग्रेट अमेरिका बनेगा तो उधर सुरक्षित निवेश भी बढ़ेगा। लेकिन इसके लिए घबराने की जरूरत नहीं है।

अभी ट्रंप के सामने बड़ी चुनौतियां क्या हैं?

ट्रंप के सामने सबसे बड़ी चुनौती विश्व में अपने देश की साख बढ़ाना है। दुनिया में अभी उथल-पुथल मची है। चीन व्यापार युद्ध में चुनौती दे रहा है। रूस और यूक्रेन के बीच में युद्ध चल रहा है। इस्राइल और हमास में संघर्ष विराम समझौता हो गया है, लेकिन मध्य पूर्व एशिया में अभी चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है। तुर्किये, खाड़ी के देश, ईरान की स्थिति और यूरोप। इसके बाद एशिया और दक्षिण एशिया में भी अमेरिका का हित। अमेरिका में मंहगाई, बेरोजगारी समेत अन्य घरेलू चुनौतियां। अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत का कहना है कि ट्रंप ने अभी तो केवल एक आउटलाइन दी है। अभी केवल डब्ल्यूएचओ, पेरिस समझौता से बाहर आने की जानकारी दी है, लेकिन अभी उन्हें कई मोर्चों पर निपटना है। पूर्व विदेश सचिव शशांक भी मानते हैं कि दुनिया में उथल-पुथल का बड़ा कारण दुनिया के प्रभावशाली देशों के आर्थिक गलियारे (कॉरिडोर) को सिकोड़ने की चालों से आया था। इसलिए यह एक बड़ी चुनौती होगी कि बिना दूसरे के आर्थिक हितों को बहुत छेड़े अमेरिका अपने आर्थिक हितों को तय करे। विश्व व्यवस्था एक बार असंतुलित हो जाने के बाद यह रास्ता बहुत आसान भी नहीं है। इसलिए अभी देखना होगा कि ट्रंप आगे क्या करते हैं।

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