जेब पर 'ई-20' का बोझ:: माइलेज में कमी और इंजन पर असर, वाहन मालिकों की मजबूरी

Update: 2025-09-05 18:04 GMT


 

देशभर में 20% इथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ई-20) की बिक्री अब पूरी तरह से लागू है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ई-20 पेट्रोल नीति को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिससे इस ईंधन की बिक्री का रास्ता साफ हो गया है। हालांकि, शहर के वाहन मालिकों में इसको लेकर असंतोष बना हुआ है। उनकी शिकायत है कि ई-20 पेट्रोल के उपयोग से गाड़ियों का माइलेज कम हो रहा है और इंजन के पुर्जों को नुकसान पहुंच रहा है। कोर्ट के फैसले के बाद अब वाहन मालिकों के पास इस ईंधन का उपयोग करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।

माइलेज और इंजन पर क्यों पड़ रहा असर?

स्थानीय ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट साजिद हुसैन के अनुसार, ई-20 पेट्रोल में इथेनॉल की मात्रा अधिक होने के कारण इसका ऊर्जा घनत्व सामान्य पेट्रोल की तुलना में कम होता है। इससे वाहनों का माइलेज 3 से 6 प्रतिशत तक कम हो सकता है, खासकर पुराने वाहनों में। इसके अलावा, जिन वाहनों का फ्यूल सिस्टम ई-20 के लिए अनुकूल नहीं है, उनमें लंबे समय तक इस ईंधन के उपयोग से निम्नलिखित समस्याएं हो सकती हैं:

फ्यूल सिस्टम को नुकसान: फ्यूल पाइप, सील, और गैसकेट में जंग या दरारें पड़ने का खतरा।

बाइक और स्कूटर पर असर: कार्बोरेटर में खराबी, जिससे माइलेज में कमी और इंजन की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

जंग का खतरा: इथेनॉल नमी सोखता है, जिससे पेट्रोल टैंक में जंग लगने की संभावना बढ़ जाती है।

वाहन मालिकों की शिकायतें

शहर के कई वाहन मालिकों का कहना है कि ई-20 पेट्रोल के उपयोग से उनकी कारों और बाइकों का प्रदर्शन खराब हुआ है। एक वाहन मालिक ने बताया, "पहले मेरी बाइक एक लीटर में 50 किलोमीटर चलती थी, अब मुश्किल से 45 किलोमीटर चल रही है। साथ ही इंजन में अजीब सी आवाज भी आने लगी है।" दूसरी ओर, बीमा कंपनियां भी ई-20 से होने वाले नुकसान को कवर करने में आनाकानी कर रही हैं, जिससे वाहन मालिकों की परेशानी और बढ़ गई है।

ऑटोमोबाइल एक्सपर्ट की सलाह

ऑटोमोबाइल विशेषज्ञों ने वाहन मालिकों को ई-20 पेट्रोल के प्रभाव से बचने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:

नियमित सर्विसिंग: पुराने वाहनों की समय-समय पर सर्विसिंग कराएं। फ्यूल फिल्टर, पाइप, और कार्बोरेटर की नियमित जांच जरूरी है।

पेट्रोल टैंक की सफाई: बाइक और स्कूटर के पेट्रोल टैंक को समय-समय पर साफ कराएं ताकि जंग से बचा जा सके।

कम ईंधन रखें: यदि वाहन लंबे समय तक खड़ा रहने वाला है, तो टैंक में कम पेट्रोल रखें, क्योंकि इथेनॉल नमी सोखकर जंग का कारण बन सकता है।

प्रीमियम पेट्रोल का उपयोग: पेट्रोल पंपों पर उपलब्ध प्रीमियम पेट्रोल, जो सामान्य पेट्रोल से थोड़ा महंगा होता है, वाहनों के लिए बेहतर हो सकता है। यह ई-20 की तुलना में इंजन पर कम प्रभाव डालता है।

एडिटिव्स का उपयोग: बाजार में उपलब्ध कुछ तेल और एडिटिव्स को पेट्रोल में मिलाकर इथेनॉल के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है।

नए वाहन: नई गाड़ियां खरीदते समय सुनिश्चित करें कि वे ई-20 कम्पैटिबल हों, क्योंकि वाहन निर्माता अब इस मानक के अनुरूप गाड़ियां बना रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने 1 सितंबर 2025 को ई-20 पेट्रोल नीति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह नीति पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा सुरक्षा के लिए जरूरी है। कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि इस नीति से गन्ना किसानों को लाभ होगा और कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम होगी। हालांकि, याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि 2023 से पहले बने वाहन ई-20 के लिए पूरी तरह अनुकूल नहीं हैं, और इससे इंजन को नुकसान और माइलेज में कमी की समस्या हो रही है।

 


Similar News