यूआईटी में हडक़म्प: स्थायीकरण का मामला उलझा, कर्मचारियों के इंक्रीमेंट और वेतन रोके

Update: 2024-08-08 13:58 GMT

भीलवाड़ा (राजकुमार माली)। नगर विकास न्यास में एक के बाद एक कई विवाद सामने आ रहे हैं, अब तक कर्मचारियों और अधिकारियों पर मिलभगत से भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे थे, लेकिन अब जो मामला सामने आया है, वह तो चौकाने वाला है। न्यास के दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी सरकार की बिना किसी स्वीकृति से ही, वर्षों से काम कर रहे हैं और महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए वेतन और अन्य सुविधाएं उठा रहे हैं। कागजों में यह कमी है, कि उनका स्थायीकरण नहीं हो पाया है। बिना स्थायीकरण के ही वर्कचार्ज काम कर रहे हैं। अब जाकर उनके इंक्रीमेंट और वेतन रोके जाने की बात सामने आई है।

नगर विकास न्यास के दो दर्जन से ज्यादा कर्मचारी को सरकार ने वर्षों से स्थायीकरण करने से लटकाया हुआ है। न्यास से स्थायीकरण के लिए फाइल वर्षों पहले भेजी गई थी, लेकिन उस पर कोई जवाब नहीं आया और कर्मचारी सालों से नौकरी कर रहे हैं और भुगतान उठा रहे हैं। स्थायीकरण के अभाव में इतना लंबे समय किस आधार पर जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों ने इन्हें स्थाई कर्मचारी मान लिया, इसके भी कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्थायी कर्मचारी मानते हुए कई कर्मचारी सेवानिवृत तक हो चुके हैं और उन्हें स्थायी कर्मचारी जैसे सारे लाभ मिल रहे हैं।

वर्षों बाद एक कर्मचारी की फाइल टटोलने पर मामला खुला तो आज नगर विकास न्यास में हडक़म्प मचा है। कर्मचारी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है। न्यास अध्यक्ष और सचिव ने ऐसे कर्मचारियों की सूची तैयार कर राज्य सरकार को भेजी और आगे की कार्यवाही के लिए मार्गदर्शन मांगा है। यह बात भी सामने आई है कि ऐसे कर्मचारियों का इंक्रीमेंट भी रोक दिया गया है और उनका वेतन भी इस बार रोक दिया गया है। जिसे लेकर कर्मचारी अब दुविधा में है।

वर्तमान में यूआईटी में सचिव, विशेषाधिकारी, लेखाधिकारी के एक-एक पद और सहायक लेखाधिकारी के दो पद स्वीकृत है। इस तरह न्यास में कुल 109 विभिन्न पद स्वीकृत है। जिनमें कनिष्ठ सहायक लिपिक के 11 पद, मुंशी के चार स्वीकृत है। न्यास में वर्तमान में 63 कर्मचारियों के पद भरे है तथा 46 पद रिक्त है। हर माह वेतन भुगतान के लिए लेखाधिकारी के साथ ही सचिव आदि के हस्ताक्षर होते हैं। ये आरोप लगे हैं कि 1997 में शासन सचिव को 68 अस्थाई पदों को स्थाई करने का पत्र नगर विकास न्यास अध्यक्ष ने नगर विकास विभाग जयपुर को लिखा था, लेकिन दो रिमाइन्डरों के बाद भी सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया। अब तक कई कर्मचारी सेवानिवृत भी हो चुके हैं। इन 68 कर्मचारियों में से कई अब भी कई महत्वपूर्ण पदों पर काम कर रहे हैं। जब सरकार ने स्थायीकरण की स्वीकृती ही जारी नहीं की तो फिर किस आधार पर ये स्थायी रूप से काम कर रहे हैं। खास बात यह है कि इन अस्थायी कर्मचारियों को स्थाई मानते हुए पदोन्नतियों भी दी गई है और सरकारी कर्मचारियों की तरह आरजीएचएस जैसा लाभ भी दिया जा रहा है। इस संबंध में जिला कलेक्टर और न्यास अध्यक्ष नमित मेहता ने कहा है कि इस तरह की गड़बड़ी सामने आने के बाद मैंने विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। वहीं न्यास सचिव ललित गोयल का कहना है कि बिना स्थायीकरण पत्र के स्थायी कर्मचारी बनकर काम कर रहे कर्मचारियों को लेकर एक पत्र राज्य सरकार को लिखा है। यह चर्चा भी है कि जब यह कर्मचारी स्थाई है ही नहीं तो फिर वर्षों से राज्य सरकार को जो सूचियां पदों की भेजी जा रही है, उसे किसी ने देखा ही नहीं और यहां से स्थाई मानकर कर्मचारियों की जानकारी भेजने वाले अधिकारी भी मूकदर्शक बने रहे हैं। यहीं नहीं कर्मचारियों को स्थायी मानकर प्रतिमाह वेतन, भत्ते व अन्य सुविधाएं भी दी जा रही है। वेतन बिलों पर सचिव और अध्यक्ष की कभी निगाह नहीं पड़ी या किसी ने अब तक यह जानने का प्रयास नहीं किया कि यहां कितने कर्मचारी स्थाई और अस्थायी है।

यह जानकारी भी सामने आई है कि इतनी बड़ी त्रुटी के बाद ऐसे कर्मचारियों के इंक्रीमेंट और जुलाई माह का वेतन अब तक उन्हें नहीं मिल पाया है।

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