अवैध निर्माण और सह देने वाले अधिकारियों का होगा खुलासा, मददगार बन रहा है एआई सॉफ्टवेयर ,क्या भीलवाड़ा में लागू होगा!

Update: 2025-01-21 04:22 GMT



भीलवाड़ा(राजकुमार माली)अनियोजित विकास जिले की प्रगति में बाधक बनता है। इस अनियोजित विकास पर लगाम लगाने के लिए नया साफ्टवेयर तैयार किया  है, जो न केवल अवैध निर्माण बल्कि अवैध निर्माण करने वाले निर्माणकर्ता को शह देने वाले अधिकारियों को भी बेनकाब करेगा।

इन्फोर्समेट जियोट्रिक्स सॉफ्टवेयर साफ्टवेयर की तस्वीर भी गाजियाबाद जीडीए वीसी ने अवैध रूप से बने एक वेयर हाउस की पहचान कर साफ कर दी है। उन्होंने बिना मानचित्र स्वीकृति के वेयरहाउस कब बना, इसका पता भी निकाल लिया है। क्या यह सॉफ्टवेयर भीलवाड़ा में भी नगर विकास न्यास और नगर परिषद में लागू किया जाएगा अगर यह लागू होता तो कई पर लगाम लग सकती है।

जीडीए वीसी अतुल वत्स हाल ही में हरनंदीपुरम योजना में रोड किनारे वेयरहाउस बना देखा। उनको शक हुआ कि वेयरहाउस का निर्माण कार्य बिना नक्शा पास कराए किया गया है।जांच कराने पर उनका शक सही साबित हुआ तो वेयरहाउस संचालक को नोटिस जारी किया। इसके बाद वेयरहाउस का निर्माण कब हुआ है, यह जांच करने के लिए उन्होंने गूगल अर्थ की तस्वीरों की मदद ली। तस्वीरों को सर्च करने पर पता चला कि अक्टूबर 2018 में वेयरहाउस नहीं बना था, फरवरी 2019 में वेयरहाउस बनकर तैयार हो गया था।

ऐसे में जीडीए उपाध्यक्ष अतुल वत्स ने अक्टूबर 2018 से फरवरी 2019 के बीच वहां पर तैनात रहे जोन के प्रवर्तन प्रभारी से लेकर सहायक अभियंता, अवर अभियंता की जानकारी कर उनको कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।

भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की शुरुआत

जीडीए वीसी द्वारा की गई यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति के तहत उनके द्वारा जल्द शुरू किए जाने वाले उस अभियान की शुरुआत है। जिसके तहत आने वाले दिनों में जिले में 200 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल की जमीन और भवन में निर्माण कार्य के कारण हुए परिवर्तन की जानकारी साफ्टवेयर के माध्यम से मोबाइल पर ही जीडीए के अधिकारियों को हो सकेगी।

इसमें गूगल अर्थ के बजाय एयरबस जैसी अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, इस तकनीक के माध्यम से सड़क पर चलने वाली कारों के मॉडल तक की सटीक जानकारी बेहतर तस्वीर के साथ मिल सकेगी।

इसके लिए  गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) एआई यानि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद लेगा। इसके लिए जीडीए ने जियोट्रिक्स एनालिटिक्स प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ करार किया है। सेटेलाइट डेटा के आधार पर अवैध निर्माण को चिन्हित करने का काम किया जाएगा। उसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि जीडीए कर्मचारियों की मिलीभगत अब काम नहीं आ सकेगी। कहीं भी अवैध निर्माण होने पर अधिकारियों को सीधे इसकी जानकारी मिल सकेगी। जीडीए, वाराणसी विकास प्राधिकरण के बाद एआई तकनीक अपनाने वाला दूसरा प्राधिकरण होगा।

भीलवाड़ा में भी लागू हो तो खुले कई राज

गाजियाबाद की तरह यह सॉफ्टवेयर भीलवाड़ा नगर विकास न्यास और नगर परिषद में भी लागू हो तो कई अवैध निर्माण का खुलासा और जिम्मेदार लोग कैटेगर में खड़े हो सकते हैं।

Similar News