भीलवाड़ा से गुजरात तक: अरबों का खेल उजागर, एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट की चल रही सांठगांठ में छुपा घोटाला

Update: 2025-08-20 18:57 GMT

 

भीलवाड़ा हलचल : इनकम टैक्स विभाग की कानपुर टीम ने भीलवाड़ा में एक बड़े पैमाने पर वित्तीय घोटाले का भंडाफोड़ किया है, जिसने पूरे देश में हड़कंप मचा दिया है। जांच में यह सामने आया कि कई फर्जी एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंटों की साठगांठ से अरबों रुपये की धोखाधड़ी की गई।, इस घोटाले में राजनीति से जुड़े लोग और गुजरात के हीरा व्यापारी भी सक्रिय पाए गए हैं। नेटवर्क बेहद संगठित था। शहर के उद्योगपति, व्यापारी और अन्य लोग राजनीतिक चंदे और एनजीओ के नाम पर धन जुटाते, 10-20 फीसदी राशि एनजीओ को देते और शेष राशि अलग-अलग तरीकों से वापस वसूलते थे।विशेषज्ञों का कहना है कि इस पूरे खेल का उद्देश्य साफ था: टैक्स चोरी और काले धन को सफेद करना। जांच में मिले दस्तावेजों से पता चला कि अरबों रुपये की धनराशि का प्रवाह कई नकली खातों और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से किया गया।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) आयकर विभाग की टीम ने   भीलवाड़ा में 15, ब्यावर में 2, कोटा, अजमेर, बिजयनगर, पाली और पुष्कर समेत देश के कोलकाता, महाराष्ट्र, सूरत समेत 45 ठिकानोें पर एक साथ छापेमारी की जो दूसरे दिन भी जारी रही । 



 दूसरे दिन भी  सेशन कोर्ट के पास गुर्जर मोहल्ला निवासी प्रॉपर्टी डीलर व डायमंड व्यापारी महेश उर्फ मोनू त्रिवेदी के घर पर कार्रवाई चल रही है। जहां दबिश दी गई वहां केवल मोनू की मां मौजूद है। जांच टीम कई दस्तावेजों की तलाशी ले रही है। कांग्रेस प्रवक्ता दुर्गेश पानेरी के द्वारिका कॉलोनी स्थित मकान पर कार्रवाई चल रही है।

इस घोटाले का दायरा सिर्फ भीलवाड़ा तक सीमित नहीं रहा। जांच के दौरान यह पता चला कि गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश तक इस नेटवर्क की पहुँच थी। कानपुर टीम के अधिकारी इसे उच्च स्तरीय वित्तीय अपराध मान रहे हैं।



 एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट का गठजोड़

जांच में खुलासा हुआ कि कई फर्जी एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट इस नेटवर्क के मास्टरमाइंड थे। भोले-भाले दिखने वाले ये चेहरे असल में अरबों रुपए की लेन-देन की धुरी थे। फर्जी खाते और दस्तावेज़ों के जरिए शहर के उद्योगपति और राजनेता भी इस खेल में सक्रिय थे।



 

कानपुर टीम ने दर्जनों फर्जी कार्यालयों की पहचान की, जिनमें से कई बंद और ताले लगे मिले। प्रारंभिक जांच में लगभग 400 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी सामने आई, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वास्तविक राशि अरबों में हो सकती है।

गुजरात के हीरा व्यापारी और हाई-प्रोफाइल नाम


 जांच से संकेत मिले हैं कि गुजरात के हीरा व्यापारी भी इस नेटवर्क का हिस्सा थे। एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट के जरिए हाई-वैल्यू लेन-देन में अरबों रुपए का धन हस्तांतरित किया गया। इसके अलावा, वृंदावन, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल के कुछ बड़े नाम भी इस घोटाले में शामिल पाए जा सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ टैक्स चोरी नहीं, बल्कि उच्च स्तरीय वित्तीय अपराध की श्रेणी में आता है। फर्जी एनजीओ, चार्टर्ड अकाउंटेंट और व्यापारी मिलकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी को वैध दिखाने का प्रयास कर रहे थे।

राजनीति और समाजसेवा का पर्दाफाश



जांच में यह भी सामने आया कि कुछ राजनीतिक और समाजसेवी संगठन भी इस खेल में शामिल थे। भोले-भाले चेहरों के पीछे बड़े घोटाले छिपे हुए थे। विभाग के दस्तावेज़ साफ़ तौर पर दिखाते हैं कि यह नेटवर्क सिर्फ भीलवाड़ा तक नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय था।

इनकम टैक्स विभाग ने साफ किया है कि कोई भी वर्ग – व्यापारी, नेता या चार्टर्ड अकाउंटेंट – टैक्स नियमों से ऊपर नहीं है। जांच का दायरा बढ़ाया जा रहा है और जल्द ही बड़े नामों की पहचान संभव है।विशेषज्ञों का कहना है कि यह कार्रवाई पूरे व्यापारिक और सामाजिक परिदृश्य को झकझोर सकती है। उच्च-मूल्य वाले लेन-देन अब ट्रांसपरेंट और जवाबदेह होंगे। भविष्य में एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट के बहाने अरबों का गलत इस्तेमाल करने वाले लोग सतर्क हो जाएंगे।



भीलवाड़ा में एनजीओ और चार्टर्ड अकाउंटेंट के गठजोड़ से  अरबों की टैक्स चोरी का भंडाफोड़ अब गुजरात के हीरा व्यापारियों और देशभर के बड़े नामों तक पहुँच चुका है। यह कदम व्यापार और राजनीति में पारदर्शिता की दिशा में बड़ा संकेत है। इनकम टैक्स विभाग की कार्रवाई स्पष्ट करती है कि अब कोई भी टैक्स धोखाधड़ी छुपी नहीं रह सकती।

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