घटना हर खबर: विमान का लोहा तक पिघल गया वहा हुए ये चमत्कार, आप भी रहे जायेगे हैरान ....

By :  vijay
Update: 2025-06-13 10:28 GMT
विमान का लोहा तक पिघल गया वहा हुए ये चमत्कार, आप भी रहे जायेगे हैरान ....
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अहमदाबाद.इसे  भगवान का चमत्कार ही कहे सकते हे जो विमान हादसे में 242 यात्रियो में से  एकमात्र जीवित बचे यात्री रमेश विश्वास कुमार हे जिन का अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में इलाज चल रहा है। हादसे की भयावहता में अब तक २६६ लोगो की जान जा चुकी हे जबकि अभी  कई लोग अस्पताल में भर्ती हे .को उन्होंने महसूस किया है। हादसे के बाद आज पीएम मोदी ने रमेश विश्वास से मुलाकात की।  इकलौते बचे यात्री की आपबीती उन्हीं के शब्दों में जानिए...

 



 


'' सब कुछ मेरी नजरों के सामने हुआ। ...मुझे खुद भरोसा नहीं हो रहा कि मैं कैसे उसमें से जिंदा बाहर निकल सका। क्रैश होने के बाद कुछ देर के लिए मुझे लगा कि मैं भी मरने ही वाला हूं। जब आंख खुली तो एहसास हुआ कि मैं जिंदा हूं। मैंने सीट बेल्ट खोला और मैंने बाहर निकलने की कोशिश की। मेरी नजरों के सामने एयर होस्टेस और कुछ अंकल-आंटी खत्म हो गए। ''


विश्वास ने बताया '' टेक ऑफ होते ही एक मिनट बाद 5-10 सेकंड के लिए लगा कि प्लेन कहीं फंस गया है। बाद में प्लेन में हरी और सफेद लाइटें ऑन हो गईं। फिर उसकी रफ्तार अचानक बढ़ गई और वह तेज रफ्तार के साथ एक इमारत  से जा टकराया। ''

  इसलिए बाकी यात्री नहीं बच सके...

'' मैं जिस तरफ था, वहां से प्लेन जमीन की तरफ क्रैश हुआ था। वहां थोड़ी जगह थी। मैं जहां था, वहां प्लेन का दरवाजा टूटा। वहां थोड़ी जगह बनी। मैंने बाहर आने की कोशिश की तो मैं बाहर आ पाया। विमान के अंदर मेरी विपरीत दिशा जो लोग बैठे थे, प्लेन क्रैश होने पर उनकी तरफ इमारत की दीवार आ गई, शायद इसलिए वो नहीं निकल पाए। ...जब भीषण आग लगी तो मेरा एक हाथ भी जल गया। फिर मैं पैदल चलकर कुछ दूर आया। फिर एंबुलेंस मिल गई और अस्पताल पहुंच सका। ''

 

  चारों ओर थीं लाशें ही लाशें

रमेश विश्वास कुमार ने बताया कि मैं भारत में अपने परिवार से मिलने के बाद भाई के साथ ब्रिटेन जा रहा था। विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद जब मुझे होश आया तो मेरे अगल-बगल लाशें ही लाशें थी। मैं डर कर भागा। मेरे चारों ओर विमान के टुकड़े पड़े हुए थे। किसी ने मुझे पकड़ लिया और एंबुलेंस में डालकर अस्पताल ले गया।

11A सीट पर बैठे थे रमेश विश्वास

अहमदाबाद से लंदन जा रही एअर इंडिया की फ्लाइट नंबर AI-171 में रमेश विश्वास 11A सीट पर बैठे थे। रमेश की उम्र 40 वर्ष है और वे एक ब्रिटिश नागरिक हैं। रमेश का जो वीडियो सामने आया उसमें देखा गया कि वो हल्के घायल हैं और वो थोड़ा लंगड़ाकर चल रहे हैं। एक डॉक्टर ने उनकी मदद की। रमेश के चेहरे पर चोट के निशान थे और उसकी दाढ़ी बढ़ी हुई थी। रमेश विमान की सीट 11ए पर बैठे थे। उन्होंने बताया कि उनका भाई अजय विमान में एक अलग पंक्ति में बैठा था। उन्होंने उसे खोजने के लिए लोगों से मदद भी मांगी।

आपातकालीन निकास द्वार के पास बैठे थे रमेश

अहमदाबाद में वरिष्ठ पुलिस अधिकारी विधि चौधरी ने कहा कि रमेश आपातकालीन निकास द्वार के पास बैठे थे और कूदकर निकलने में सफल रहे। ब्रिटेन में रहने वाले रमेश के परिवार के एक सदस्य ने बताया कि वह बच गए हैं और परिवार उनके संपर्क में है, लेकिन उन्होंने और जानकारी देने से इन्कार कर दिया। ब्रिटेन के लीसेस्टर में रहने वाले रमेश के चचेरे भाई अजय अजय वलगी ने बताया कि रमेश ने फोन पर बात कर पुष्टि की कि वह ठीक हैं। उन्होंने कहा कि परिवार ने रमेश के भाई के बारे में कुछ नहीं सुना है।

 

पीएम मोदी मिले  रमेश विश्वास से 



 


इससे पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में रमेश विश्वास से मुलाकात की। पीएम नरेंद्र मोदी ने रमेश विश्वास का हाल जाना। इस दौरान रमेश विश्वास ने हमले की पूरी कहानी पीएम मोदी को बताई। इससे पहले पीएम मोदी ने विमान हादसे की जगह पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रियों और अधिकारियों से गुरुवार को हुए दर्दनाक हादसे की जानकारी ली।

 सुरक्षित मिली 'श्रीमद्भगवत् गीता



 


 

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान हादसे से जुड़ी कई भयावह तस्वीरें और वीडियोज सामने आई। इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में देखा जा सकता है रेस्क्यू टीम को एक भगवत गीता मिली। उम्मीद जताई जा रही है कि कोई यात्री इस पवित्र ग्रंथ को अपने साथ लंदन लेकर जा रहा हो।

गौरतलब है कि जिस हादसे में विमान में मौजूद ज्यादातर सामान जलकर राख हो चुके थे। वहीं, भगवद गीता पूरी तरह सुरक्षित है। किताब का एक पन्ना भी नहीं जला है। किताब पूरी तरह से पढ़ने की अवस्था में है।

 

हादसे में 266 लोगों की मौत




अहमदाबाद से लंदन जाने वाला एअर इंडिया का विमान गुरुवार दोपहर 1338 बजे टेकऑफ हुआ था। एअर इंडिया के मुताबिक बोइंग 787-8 मॉडल के इस विमान में 242 यात्री और चालक दल के सदस्य सवार थे। यात्रियों में 169 भारतीय नागरिकों समेत ब्रिटेन, पुर्तगाल और कनाडा के नागरिक शामिल थे। इस भीषण हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी समेत कुल 266 लोगों की मौत हुई है। इनमें 241 लोग विमान में सफर कर रहे थे। बाकी हताहत लोग विमान के क्रैश होते समय मेघाणीनगर में घटनास्थल पर मौजूद थे।




 



पीछे की सीटों पर मौत का जोखिम थोड़ा कम

टाइम मैग्जीन के एक अध्ययन के अनुसार, पिछले 35 सालों में हुए विमान हादसों की तुलना में पीछे की सीटों पर मौत का जोखिम लगभग 28% होता है, जबकि बाकी सीटों पर यह खतरा करीब 44% तक बढ़ जाता है। यह आंकड़ा यात्रियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन साथ ही यह भी याद रखना जरूरी है कि यह केवल एक जानकारी है। असली सुरक्षा हादसे के प्रकार, परिस्थिति और क्रू मेंबर्स की त्वरित प्रतिक्रिया पर निर्भर करती है।

यहां बैठे यात्रियों के बचने की संभावना सबसे अधिक

पिछले कई विमान हादसों की घटनाओं और शोधों पर नजर डालें तो यह पता चलता है कि अधिकांश मामलों में विमान के पिछले हिस्से में बैठे यात्रियों के बचने की संभावना सबसे अधिक होती है। उदाहरण के लिए, दक्षिण कोरिया में हुए एक विमान हादसे में, जबकि विमान का अधिकांश भाग जलकर नष्ट हो गया, पीछे का हिस्सा काफी हद तक सुरक्षित रहा। इसी तरह कजाखस्तान में भी विमान के पिछले हिस्से में बैठे कई यात्रियों को बचाया गया। इस वजह से माना जाता है कि विमान के पीछे की सीटें अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित होती हैं।

सबसे सुरक्षित कौन सी जगह है, यह जान लीजिए

ग्रीनविच यूनिवर्सिटी की रिसर्च के अनुसार, इमरजेंसी गेट के पास बैठे दुर्घटना में जीवित बचे लोगों के लिए विमान से बाहर निकलने का रास्ता अधिक तेज होता है, जिससे दुर्घटना से बचकर निकलने की संभावना अधिक होती है। यहां की सीटों को सुरक्षित बताया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया कि अगर आग लग जाए तो गेट से पांच पंक्ति दूर वाली सीट पर बैठने से बच निकलने की संभावना अधिक होती है।




 

विमान का सामने का हिस्सा सबसे ज्यादा खतरनाक

ज्यादातर विमान दुर्घटनाएं सामने के हिस्से को ज्यादा प्रभावित करती हैं। टेक-ऑफ या लैंडिंग के दौरान विमान के आगे वाला हिस्सा ज़मीन से पहले टकराता है, जिससे वह अधिक क्षतिग्रस्त हो जाता है। वहीं, पिछला हिस्सा कई बार टक्कर से बच जाता है या कम प्रभावित होता है। हालांकि, हर दुर्घटना की प्रकृति अलग होती है और हादसे का तरीका, जमीन की सतह, मौसम और पायलट की दक्षता जैसे कई पहलू बचने या न बचने में अहम भूमिका निभाते हैं।

वॉशरूम या इमरजेंसी एग्जिट के पास ज्यादा सेफ

हालांकि विमान के पिछले हिस्से में यात्रियों के लिए कुछ असुविधाएं भी होती हैं। जैसे कि वहां वॉशरूम और लेगरूम की सीमित सुविधा होना और इमरजेंसी निकास के पास होना। इसलिए कई यात्री इन सीटों को प्राथमिकता नहीं देते।

बीच की सीटें सबसे ज्यादा खतरनाक

वहीं, विमान के बीच की सीटें सबसे असुरक्षित मानी जाती हैं क्योंकि विमान के पंख यहीं होते हैं, जिनमें फ्यूल टैंक होते हैं। दुर्घटना के समय इन सीटों के आसपास आग लगने या विस्फोट का खतरा अधिक रहता है। रिसर्च में शोधकर्ताओं ने दुनियाभर में हुए 105 विमान हादसों की एनालिसिस की।

सबसे ज्यादा खतरा विंडो सीट वालों को

शोधकर्ताओं का कहना है कि जब विमान में आग लगने की घटना होती है तो सबसे ज्यादा खतरा विंडो सीट वालों को रहता है। इनके बचने की उम्मीद 53 फीसदी रहती है। वहीं, आगे की तरफ बैठने वाले यात्रियों के बचने की उम्मीद 65 फीसदी तक रहती है। एविएशन एक्सपर्ट का कहना है, विमान के बीच में गलियारे वाली सीटों पर बैठने वाले यात्रियों की जान का जोखिम रहता है।

 

Live Updates
2025-06-13 10:37 GMT

क्रैश विमान का DVR और ब्लैक बॉक्स बरामद



 


गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने अहमदाबाद एअरपोर्ट के पास दुर्घटनाग्रस्त हुए एअर इंडिया के विमान के मलबे से डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (DVR) बरामद कर लिया है।

प्लेन क्रैश कैसे हुआ था, इसके साक्ष्य जुटाने में ये DVR काफी मदद करेगा। DVR बोइंग 787 ड्रीमलाइनर के मलबे के बीच पाया गया, जो सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एअरपोर्ट से उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटना का शिकार हो गया था।

कहां क्रैश हुआ विमान?

विमान मेघानी नगर के पास दुर्घटनाग्रस्त हुआ था और प्लेन का पिछला हिस्सा बीजे मेडिकल कॉलेज के यूजी हॉस्टल के मेस पर गिरा था। विमान हादसे के बाद घटनास्थल पर मौजूद गुजरात ATS के एक अधिकारी ने बताया कि हमने मलबे से DVR बरामद किया है।

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