नानी बाई का मायरा भरा

By :  vijay
Update: 2024-10-19 05:02 GMT

आकोला (रमेश चंद्र डाड) नरसी महता की भक्ति के वशीभूत होकर योगेश्वर भगवान कृष्ण रुक्मिणी के संग नगर अंजार आए और करोड़ों रुपयों का मायरा भर कर नरसी महता उनकी पुत्री नानी बाई के संताप का हरण किया।यह विचार शुक्रवार की रात्री बरुन्दनी के कुई मन्दिर पर आयोजित पांच दिवसीय नानी बाई का मायरा की संगीतमय कथा के समापन के अवसर पर कथा वाचक जगदीश वैष्णव मुंगाना ने प्रकट किए।

उन्होंने कहा कि सारा जग बेरी हो जाए और भगवान की जिस पर कृपा हो उस भक्त का कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता है। नरसी महता ,भक्त शिरोमणि मीरां बाई , भक्त प्रहलाद , ध्रुव ऐसे कई चरित्र है जो हमें भक्ति का सन्देश देते है। वैष्णव के गाए हुए " भर दियो मायरियो नानी बाई को " गीत पर श्रद्धालुओं ने झूम कर नृत्य किया। समापन पर ब्रह्म भोज का आयोजन भी किया गया। गुरुवार की रात्री मंशापूर्ण चारभुजा को चांदी की पोशाक धारण करवा कर छप्पन भोग लगाया गया।

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