गौमाता से जुड़ चारागाह विकास जरूरी, यह जल स्तर बढ़ाएगा - कोठारी

By :  vijay
Update: 2024-12-23 13:55 GMT

भीलवाड़ा । देश में आज जो भयावह स्थितियां बढ़ते तापमान, पेस्टीसाइड्स, यूरिया की वजह से उत्पन्न हो रही है वह कैंसर जैसे असाध्य रोगों के घर घर पहुंचने का कारण भी बन रही है। इस प्रकार की रासायनिक खेती स्वास्थ्य से खिलवाड़ का कारण बन रही है। आज आमजन को बाजार से सब्जी या फल खरीदते समय भी डर लगने लगा है कि यह प्राकृतिक है या केमिकल से पकाए हुए। ऐसी परिस्थितियों में प्राकृतिक या जैविक खेती ही एक मात्र उपाय है जिससे आने वाले समय में आम जन के स्वास्थ्य और जीवन शैली को आनंद और सुख प्राप्त हो सकेगा। यह बात सांसद दामोदर अग्रवाल ने अपना संस्थान, सरोज देवी फाउंडेशन एवं फाउंडेशन फॉर इकोलॉजिकल सिक्योरिटी के संयुक्त तत्वावधान में प्राकृतिक (जैविक) खेती, पर्यावरण संरक्षण एवं चारागाह विकास के प्रति जन जागृति के उद्देश्य से आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी के शुभारंभ समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रकृति से जुड़कर प्राकृतिक जीवन जीने में विश्वास रखते हैं और भीलवाड़ा में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए आयोजक संस्थाओं द्वारा जिस प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं, उन्हें निश्चित रूप से प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाने का प्रयास रहेगा।

अपना संस्थान के अंकुर बोरदिया ने बताया कि समारोह में विशिष्ट अतिथि जिला कलक्टर नमित मेहता ने कहा कि गोवंश से जुड़कर जैविक खेती एक महत्वपूर्ण विषय है। इस प्रकार की खेती के लिए आवश्यक सामग्री गोवंश से उपलब्ध हो जाती है। उन्होंने कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की भी मंशा है कि जैविक खेती को बढ़ावा मिले और रसायनों का उपयोग कम हो। इसलिए सरकार भी जैविक खेती को प्रमोट कर रही है। जनजागरुकता के लिए इस प्रकार की कार्यशाला जरूरी है, पर इसके साथ ही यह भी जरूरी है कि किसान भाई इसे प्रेक्टिकल में उतारे। जैविक खेती से प्राप्त उत्पादों का मार्केट बहुत बड़ा होने वाला है। शहर विधायक अशोक कोठारी ने कहा कि शुद्ध आहार शुद्ध जीवन का निर्माण करता है और शुद्ध आहार की प्राप्ति प्राकृतिक या जैविक खेती से ही संभव है। भारतीय संस्कृति भी सभी जीवों की रक्षा करने वाली है ना कि उन्हें नष्ट करने वाली। इसके लिए हम सभी को जैविक कृषि की ओर बढ़ना होगा। हमें गौमाता से जुड़कर चारागाह विकास पर भी काम करना होगा। जमीन में जल स्तर को बढ़ाने में यह उपयोगी साबित होता है।

समाजसेवी तिलोकचंद छाबड़ा ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि मानव जीवन विभिन्न बीमारियों के कारण खतरे में है, गौमाता भी वेदना झेल रही है। इन सभी की एक ही झड़ है गौ आधारित प्राकृतिक खेती का अभाव। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से ही समृद्धि संभव है। आज हम सभी मिलकर प्रतिज्ञा लें कि पूरे देश मे गोवंश से जुड़कर जैविक क्रांति लाएंगे। हमें एक ऐसा बीज बोना होगा कि जीने का आनंद आए और दुनिया हमे आशीर्वाद देवे। श्री रामशांताय जैविक कृषि अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र कोटा के निदेशक ताराचंद गोयल ने प्राकृतिक खेती, गोबर से खाद बनाने सहित प्राकृतिक संसाधनों जैसे जल, जंगल, चारागाह आदि के संरक्षण और विकास को लेकर विचार व्यक्त किए। शुभारंभ समारोह के पश्चात संगोष्ठी के मुख्य वक्ता जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र कोटा के मुख्य वैज्ञानिक पवन टांक ने तीन सत्रों में प्राकृतिक खेती से संबंधित तकनीकी जानकारी एवं प्रशिक्षण प्रदान किया।

समारोह का संचालन अपना संस्थान के प्रांत महासचिव विनोद मेलाना एवं महेश नवहाल ने किया। कार्यक्रम में भारतीय किसान संघ एवं ग्राम विकास गतिविधि का भी विशेष सहयोग रहा। समारोह में एफ.ई.एस से शांतनु कुमार, सरोज देवी फाउंडेशन से सौरभ छाबड़ा, प्रियंका छाबड़ा, अपना संस्थान उपाध्यक्ष शंकरलाल माली, सहसचिव रामप्रकाश काबरा, पर्यावरण प्रेमी प्रकाश चंद छाबड़ा, पूर्व यूआईटी चेयरमैन लक्ष्मी नारायण डाड, देवीलाल गुर्जर, कान सिंह राठौड़, भगवान सिंह चौहान, किसान संघ के बद्रीलाल जाट सहित राजस्थान और मध्यप्रदेश के लगभग 50 क्षेत्रों से आए 600 से अधिक कृषक वर्ग से जुड़े प्रतिभागी उपस्थित रहे।

*शहर में कल निकलेगी जैविक जागरूकता रैली -* प्राकृतिक खेती, पर्यावरण संरक्षण एवं चारागाह विकास संगोष्ठी का समापन जैविक जागरूकता रैली के माध्यम से होगा। रैली 24 दिसंबर दोपहर 2 बजे शहर के मध्य स्थित राजेंद्र मार्ग स्कूल से प्रारंभ होकर अम्बेडकर सर्किल, गोल प्याऊ चौराहा, सूचना केंद्र होते हुए पुनः राजेंद्र मार्ग स्कूल पहुंच संपन्न होगी। रैली के माध्यम से प्राकृतिक खेती एवं जैविक उत्पादों के उपयोग के प्रति जनजागृति लाने का संदेश दिया जाएगा ताकि जहर युक्त भोजन से मुक्त होकर बीमारियों से बचा जा सके।

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