मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना पर छिड़ी बहस, निजी क्षेत्र के किसानों को शामिल करने की मांग

Update: 2025-12-23 04:27 GMT


भीलवाड़ा। मूलचन्द पेसवानी। मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना को लेकर प्रदेशभर के दुग्ध उत्पादक किसानों के बीच नई बहस शुरू हो गई है। निजी डेयरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अशोक चोबे ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर योजना का लाभ केवल सहकारी दुग्ध समितियों से जुड़े किसानों तक सीमित रखने पर आपत्ति जताई है और इसे निजी क्षेत्र से जुड़े किसानों के लिए भी लागू करने की मांग की है।

अशोक चोबे ने अपने पत्र में कहा है कि यदि मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना वास्तव में सभी किसानों की आर्थिक मजबूती के उद्देश्य से बनाई गई है, तो इसका लाभ केवल सहकारी समितियों के किसानों तक सीमित रखना उचित नहीं है। उन्होंने तर्क दिया कि राजस्थान को देश में दुग्ध उत्पादन के मामले में दूसरे स्थान पर पहुंचाने में निजी क्षेत्र के किसानों की भूमिका बेहद अहम रही है।

उन्होंने आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बताया कि सहकारी क्षेत्र से जुड़े किसान प्रतिदिन लगभग 33 लाख लीटर दूध का उत्पादन करते हैं, जबकि निजी क्षेत्र से जुड़े लाखों किसान करीब 40 लाख लीटर दूध प्रतिदिन उत्पादन कर रहे हैं। इसके बावजूद निजी क्षेत्र को योजना के दायरे से बाहर रखना न्यायसंगत नहीं कहा जा सकता।

चोबे ने पत्र में कहा कि यदि सभी किसानों को समान अवसर दिए जाएंगे, तभी राज्य का समग्र विकास संभव हो पाएगा। स्वस्थ प्रतिस्पर्धा से न केवल दुग्ध उत्पादन की मात्रा बढ़ेगी, बल्कि गुणवत्ता में भी सुधार होगा और पशुपालन के जरिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

उन्होंने आशंका जताई कि यदि योजना को केवल सहकारी संस्थाओं तक सीमित रखा गया, तो प्रदेश में निजी दुग्ध संगठनों के अस्तित्व पर संकट आ सकता है। इससे निजी डेयरियों के बंद होने की स्थिति बन सकती है और उनसे जुड़े लाखों किसानों की आजीविका पर भी गंभीर असर पड़ेगा।

अशोक चोबे ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि मुख्यमंत्री दुग्ध संबल योजना को सहकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के दुग्ध उत्पादक किसानों के लिए समान रूप से लागू किया जाए। उनका कहना है कि इससे दुग्ध उत्पादन को और बढ़ावा मिलेगा, किसानों की आय में वृद्धि होगी और पशुपालन क्षेत्र में संतुलित तथा टिकाऊ विकास सुनिश्चित किया जा सकेगा।

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