पहली क्लास में 2 बच्चों का नामांकन्, दूसरी से लेकर आठवीं तक एक भी बच्चे का नामाकन नहीं

कबराड़िया (राकेश जोशी)। एक स्कूल ऐसा भी हैं, जहां आठवीं तक के बच्चों के लिए मात्र एक शिक्षक हैं. ऐसे में स्कूल में शिक्षा का स्तर क्या होगा, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. स्कूल में शिक्षक नहीं रहने के कारण बच्चों की उपस्थिति भी कम रहती है जिससे. स्कूल की स्थिति बद से बदतर है. हम आपको आज एक ऐसे स्कूल के बारे में बताने जा रहे हैं. जहां स्टूडेंट्स की उपस्थिति न के बराबर है । यह स्कूल है भगवानपुरा पंचायत के ग्राम स्थित राजकीय उच्च प्राथमिक संस्कृत विद्यालय ब्राह्मणों का खेड़ा मे शुक्रवाऱ को स्कूल में मात्र 2 छात्र ही आये । इससे सहज ही अंंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूल में पठन-पाठन की क्या स्थिति होगी. जिस स्कूल में एक से लेकर कक्षा आठ तक की पढ़ाई होती है , वहां अगर मात्र 2 ही छात्र उपस्थित हो तो इससे बड़ी विडंबना क्या होगी।
विडंबना तो यह भी है कि एक से लेकर आठ तक के छात्रों को पढ़ाने के लिए स्कूल में प्रधानाध्यापक व एक सामान्य शिक्षका ही प्रतिनियुक्त हैं। प्रधानाध्यापक तो विद्यालय के संचालन एवं कागजी कार्रवाई में ही उलझा रहता हैं. ऐसे में मात्र एक शिक्षक के भरोसे यह स्कूल है। शुक्रवार को स्कूल में शिक्षका में मौजूद नहीं थी. पूछे जाने पर स्कूल के प्रधानाध्यापक सुरेश चंद्र ने बताया कि शिक्षका करिश्मा कुमारी पूरे साल में 20 दिन ही आती है । अभी शिक्षका छुट्टियों पर गई । स्कूल में कितने छात्र नामांकित हैं, यह पूछे जाने पर प्रधानाध्यापक ने बताया कि अभी तक पहली क्लास में 2 बच्चे नामांकित है। दूसरी से लेकर् आठवीं तक एक भी बच्चे का नामाकन नहीं है । जिन दो बच्चो का नामांकन है उनके अभिभावक भी T C लेने के लिए तैयार है ।
प्रधानाध्यापक सुरेश चंद्र ने बताया कि पिछले 5 साल से एक या दो ही शिक्षक लगे हुए है जिस कारण गांव वाले अपने बच्चों का नाम कटवा रहे हैं और बच्चों को अन्यत्र स्कूल में भेज रहे हैं पिछले वर्ष 25 बच्चो का नामांकन था जो घट कर दो बच्चों का रहे गया है ।
ग्रामवासीयो ने बताया कि गांव वालों ने शिक्षक बढ़ाने के लिए प्रशासन व जिम्मेदार लोगों को काफी बार अवगत कराया लेकिन इस और किसी का ध्यान नहीं गया जो शिक्षका 10,12,203 से पोस्टिंग हुइ है वो भी पूरे साल स्कूल नहीं आती है । जब भी शिक्षका स्कूल आती है तब लड़ाई झगड़ा करती है बच्चों के सामने गलियां निकालती है अपना मोबाइल लेकर बैठी रहती है । गांव वाले शिक्षका से स्कूल नहीं आने,व गालिया देने बाबत् शिक्षका से बात करते है तो शिक्षका द्वारा मुकदमों में फंसने की धमकी दी जाती है । जिससे आहत होकर काफी अभिभावकों ने अपने बच्चों का नामांकन दूसरे स्कूल में करवा लिया ।