, न अनुमति न ही कोई सत्यापन,जिम्मेदार महकमा मूकदर्शक

Update: 2025-08-30 04:28 GMT

भीलवाड़ा हलचल । शहर की सड़कों पर इन दिनों आयुर्वेद और जड़ी-बूटियों के नाम पर चलते-फिरते दवाखानों का जाल तेजी से फैल रहा है। राह चलते लोगों को हर रोग का शत-प्रतिशत इलाज देने का दावा करने वाले ये तथाकथित ‘वैद्य’ न तो पुलिस सत्यापन कराते हैं और न ही इनके पास आयुर्वेद विभाग की कोई अनुमति होती है। आश्चर्य की बात है कि जिम्मेदार महकमे भी इस पर आंखें मूंदे बैठे हैं।

जगह-जगह जड़ी-बूटियों का कारोबार

पुर रोड पर ‘खानदानी दवाखाना’ नाम से लगाए गए तंबू में गैस, दर्द, कब्ज, पाइल्स, बांझपन, रक्तचाप, सांस की तकलीफ, चर्म रोग, एग्जिमा सहित कई बीमारियों का गारंटी के साथ इलाज का दावा किया गया। यहां शीशियों और बोतलों में रखी रंग-बिरंगी जड़ी-बूटियां राहगीरों का ध्यान आकर्षित कर रही थीं।

रेलवे फाटक के पास भी कुछ देर के लिए जड़ी-बूटी की दुकान सजी दिखाई दी, लेकिन थोड़ी देर बाद तथाकथित वैद्य और सहयोगी वहां से सामान समेटकर कहीं और निकल गए। इसी तरह नेहरू रोड पर भी तंबू लगाकर दवाखाना संचालित होता देखा गया। शहर के करीब आधा दर्जन स्थानों पर ऐसे नज़ारे आम हो चुके हैं।

चिकित्सकों की चेतावनी

स्थानीय चिकित्सकों का कहना है कि सड़क किनारे ऐसे मोबाइल दवाखानों से इलाज कराना बेहद जोखिम भरा है।

* यहां बिकने वाली जड़ी-बूटियों की शुद्धता और प्रभावशीलता का कोई प्रमाण नहीं होता ।

* इलाज करने वालों की शैक्षणिक योग्यता और पंजीकरण भी संदिग्ध रहता है ।

* किसी दिक्कत की स्थिति में वैद्य का पता लगाना भी मुश्किल हो जाता है ।

आयुष चिकित्सकों ने साफ कहा कि अनजाने में लिया गया ऐसा उपचार **लाभ की बजाय भारी नुकसान पहुंचा सकता है। उन्होंने नागरिकों से अपील की कि केवल मान्यता प्राप्त और रजिस्टर्ड चिकित्सकों से ही इलाज कराएं।

जानकारों की राय

विशेषज्ञों का कहना है कि

बिना डिग्री वाले लोग जगह-जगह आयुर्वेद और होम्योपैथी के नाम पर लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं।

*  निम  हकीम और निजी चिकित्सालयों में कुछ दवाओं में तो स्टेरॉयड मिलाए जाने की भी शिकायतें सामने आ रही हैं।इनमे शहर के बाहरी इलाकों में ये खेल चल रहा हे 

* इससे न केवल रोगियों की जान जोखिम में पड़ती है बल्कि आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसे परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों की छवि भी खराब होती है ।

जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ते विभाग

इस पूरे मामले में आश्चर्य की बात यह है कि आयुर्वेद और चिकित्सा विभाग अब तक मूकदर्शक बना हुआ है। जहां-जहां सड़क किनारे ऐसे ‘मोबाइल दवाखाने’ खुले हैं, वहां जांच तक नहीं की जा रही है।

भीलवाड़ा में तेजी से फैल रहे ये चलते-फिरते दवाखाने लोगों की सेहत से खिलवाड़ कर रहे हैं। ज़रूरी है कि प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग तुरंत सक्रिय होकर इन पर रोक लगाए, वरना यह लापरवाही किसी बड़े संकट का रूप ले सकती है।

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