शक्करगढ़। भारत सरकार की राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन योजना के तहत क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सोमवार को शक्करगढ़ में कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में 125 किसानों का पंजीकरण किया गया और उन्हें रासायनिक मुक्त खेती अपनाने के लिए प्रेरित किया गया।
इस दौरान किसानों को देसी जीवामृत, घनजीवामृत, प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण तथा प्राकृतिक खेती की विभिन्न तकनीकों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कृषि पर्यवेक्षक अंजली मीणा ने बताया कि प्राकृतिक खेती से किसानों की लागत में कमी आती है और भूमि की उर्वरता लंबे समय तक बनी रहती है, जिससे उत्पादन भी बेहतर होता है।
सहायक कृषि अधिकारी अमित कुमार जागेटिया ने योजना के उद्देश्यों, प्रशिक्षण व्यवस्था एवं सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही सहायता की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती अपनाने से किसान आत्मनिर्भर बन सकते हैं और पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
कार्यक्रम में मस्तराम मीना ने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की आय में वृद्धि होने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी मजबूती मिलती है।
कार्यक्रम के दौरान किसानों में योजना को लेकर खासा उत्साह देखा गया और अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती से जुड़ने के लिए प्रेरित किया गया।
