अरावली पर संकट के बादल, विधायक कोठारी ने प्रधानमंत्री से की हस्तक्षेप की मांग

Update: 2025-12-23 11:36 GMT


भीलवाड़ा |भीलवाड़ा विधायक अशोक कोठारी ने अरावली पर्वतमाला के संरक्षण और हाल ही में चर्चा में आई 100 मीटर ऊँचाई संबंधी व्याख्या को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अरावली के अस्तित्व को बचाने हेतु तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।

प्रधानमंत्री को लिखे पत्र मे विधायक कोठारी ने अरावली को एशिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला और राजस्थान की लाइफलाइन बताते हुए कहा कि यह श्रृंखला थार मरुस्थल के विस्तार को रोकने वाली एक प्राकृतिक दीवार है। जिसकी आयु लगभग 2 से 2.5 अरब वर्ष मानी जाती है। यह पर्वतमाला गुजरात से दिल्ली तक फैली हुई है, जिसमें लगभग 80 प्रतिशत भाग राजस्थान में स्थित है। अरावली राजस्थान की सभ्यता, संस्कृति, जीवन-प्रणाली और पर्यावरणीय संतुलन की मूल आधारशिला रही है। इसी कारण राजस्थान सरकार ने अपने बजट में हरित अरावली विकास योजना के तहत 250 करोड़ की घोषणा की है।

उन्होंने चिंता जताई कि माननीय सर्वाेच्च न्यायालय द्वारा की गई एक व्याख्या के आधार पर 100 मीटर से कम ऊँचाई वाली पहाड़ियों को “अरावली” न माने जाने की बात सामने आई है। हालांकि माननीय केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री महोदय द्वारा 100 मीटर ऊँचाई की गणना का मापदण्ड पहाड़ के सर्वोच्च शिखर से जमीन के नीचे तक बेस स्ट्रक्चर को ध्यान में रखकर की जाने की बात कही है, लेकिन पर्यावरणविदों का ऐसा अनुमान है कि इस व्याख्या के लागू होने से अरावली क्षेत्र की बहुत सी पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण से बाहर हो जाएँगी। यदि 100 मीटर से कम ऊँचाई वाली पहाड़ियों को अरावली के दायरे से बाहर कर दिया गया, तो इससे खनन और रियल एस्टेट माफियाओं एवं अन्य व्यावसायिक गतिविधियों को खुली छूट मिल जाएगी।

कोठारी ने पत्र में उल्लेख किया कि राजस्थान में कम ऊँचाई वाली पहाड़ियों को डूंगर, डूंगरी या मगरा कहा जाता है, जो स्थानीय पारिस्थितिकी का अभिन्न अंग हैं। नई व्याख्या के कारण अरावली क्षेत्र की कई पहाड़ियाँ कानूनी संरक्षण से बाहर हो सकती हैं। कोठारी ने कहा कि यदि अरावली कमजोर हुई, तो उत्तर भारत में हीटवेव, जल संकट और धूल भरी आंधियों का प्रकोप और भी अधिक भयावह हो जाएगा।

पर्यावरण संरक्षण के ऐतिहासिक बलिदानों (खेजड़ली आंदोलन) का स्मरण कराते हुए विधायक ने कहा कि पहाड़ों के कटने से वन्यजीव और गौवंश निराश्रित हो रहे हैं। उन्होंने भावुक अपील करते हुए लिखा कि जब तक धरती पर गौमाता सुखी नहीं होगी, तब तक मानव सुखी नहीं होगा।

विधायक कोठारी ने पत्र में मांग करते हुए कहा कि - अरावली की पहचान केवल ऊँचाई के आधार पर न होकर उसके भू-वैज्ञानिक और ऐतिहासिक महत्व के आधार पर हो। साथ ही 100 मीटर ऊँचाई संबंधी व्याख्या पर तत्काल पुनर्विचार किया जाए। अरावली को राष्ट्रीय प्राकृतिक धरोहर घोषित कर दीर्घकालिक संरक्षण नीति बनाई जाए। तथा खनन और अनियंत्रित निर्माण पर प्रभावी रोक लगाई जाए।

विधायक अशोक कोठारी ने विश्वास जताया है कि प्रधानमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व में अरावली के संरक्षण हेतु राष्ट्रहित में निर्णय लेकर ठोस कदम उठाए जाएंगे ताकि आने वाली पीढ़ियों को सुरक्षित भविष्य मिल सके।

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