पुर। उपनगर पुर के तेरापंथ भवन में पर्युषण महापर्व के पांचवे दिन व्रत चेतना दिवस के रूप में मनाया गया। आचार्यश्री महाश्रमण के सुशिष्य मुनि श्री निकुंज कुमार ने अपने व्याख्यान में बताया कि व्रत जीवन का आधार है। श्रावक को 12 व्रतों को अपने जीवन में अपनाना चाहिए और छोटे छोटे व्रत जैसे रात्रि भोजन त्याग, प्रतिदिन सामयिक की आराधना, प्रतिक्रमण आदि से अपने जीवन का आध्यात्मिक विकास करना चाहिए। उन्होंने बताया कि जीव का लक्षण है चेतना। श्रावक को शरीर की ओर ध्यान नहीं देकर चेतना की ओर ध्यान देना चाहिए तभी वो मोक्ष के मार्ग पर आगे बढ़ सकता है। हमें ऐसा त्याग लेना चाहिए जो प्रतिदिन अध्यात्म का इनपुट दे, ऐसे त्याग नहीं लेने चाहिए जिनका हमारे दैनिक जीवन में कोई उपयोग न हो। मुनिश्री ने उपस्थित श्रावक श्राविकाओं को तपस्या के प्रयाख्यान करवाए। मुनिश्री मार्दव कुमार ने अपने उद्बोधन में श्रावकों को व्रतों को अपने जीवन में उतारने की प्रेरणा दी। इस अवसर पर तेरापंथ सभा, महिला मंडल एवं युवक परिषद के श्रावक–श्राविकाओं की अच्छी उपस्थिति रही।