क्षमा जीवन का अमृत,बिछुड़े दिलों को भी मिला सकता क्षमा का रास्ता- कुमुदलता म.सा.
भीलवाड़ा,। अनुष्ठान आराधिका ज्योतिष चन्द्रिका महासाध्वी डॉ. कुमुदलताजी म.सा. आदि ठाणा के सानिध्य में आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति द्वारा सुभाषनगर श्रीसंघ के तत्वावधान में दिवाकर कमला दरबार में पर्वाधिराज पर्युषण महापर्व के अष्ट दिवसीय आध्यात्मिक आयोजन के अंतिम दिन संवत्सरी महापर्व पर अरिहन्त भवन में जिनवाणी श्रवण करने के लिए श्रावक श्राविकाएं उमड़े। श्रावकों का सैलाब ऐसा उमड़ा की अरिहन्त भवन का विशाल प्रांगण छोटा पड़ गया ओर सीढ़ियों सहित जिसे जहां जगह मिली वहीं बैठ धर्म आराधना में लग गया। संवत्सरी पर त्याग तपस्याओं का भी ठाठ रहा। कई तपस्वियों ने अठाई ओर उससे भी बड़ी तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। प्रवचन के तुरंत बाद आलोचना का पाठ हुआ ओर महासाध्वी मण्डल ने सभी श्रावक श्राविकाओं से क्षमायाचना की। ‘‘क्षमा मैत्री ओर आत्मशुद्धि का उत्सव संवत्सरी’’ विषय पर महासाध्वी कुमुदलताजी म.सा. ने कहा कि संवत्सरी महापर्व जीवन में क्षमा का संदेश लेकर आता है। क्षमा जीवन का अमृत ओर हमारे जीवन का आभूषण है। फटे हुए दिल मिलना मुश्किल होते है पर क्षमा ऐसा रास्ता है जो बिछुड़े दिल भी मिला सकता है। क्षमा वहीं कर सकता जो वीर होता है इसलिए कहां गया है क्षमा वीरस्य भूषणम। उन्होंने कहा कि संवत्सरी व पर्युषण महापर्व उत्कृष्ट भावों के साथ आत्मा का पोषण करने का अवसर देते है। मन में किसी तरह के वैर की भाव नहीं रखते हुए हमे संवत्सरी प्रतिक्रमण कर सभी 84 लाख जीव योनियों से क्षमायाचना करनी चाहिए। स्वर साम्राज्ञी साध्वी महाप्रज्ञाजी म.सा. ने प्रवचन में पर्युषण से बड़ा पर्व संसार में नहीं हो सकता। संवत्सरी महापर्व का सम्बन्ध शरीर की बजाय आत्मा से होने से ये पर्व हमे मौका देता है कि कुछ समय हम अपनी आत्मा की सजावट के लिए भी दे। अष्ट कर्मो का नाश करके मुक्ति पाने का अवसर मिलता है। आत्मजागृति के पर्व संवत्सरी की आराधना सारे पाप,ताप ओर संताप मिटा देती है। क्षमा देने ओर करने वाला सबसे बड़ा होता है। उन्होंने संवत्सरी के अवसर पर जैन एकता का संदेश देते हुए कहा कि पंथवाद के बाद हम सम्प्रदायवाद में बंट गए ओर साधु संतों को भी तेरे-मेरे में बांट दिया। धर्म की रक्षा के लिए जैनियों को जागृत होकर आपसी एकता स्थापित करनी होगी। धर्मसभा में वास्तुशिल्पी पद्मकीर्तिजी म.सा. ने संवत्सरी के अवसर पर आलोचना का पाठ किया ओर जाने अनजाने हुई सभी गलतियों के लिए सभी से क्षमायाचना की। उन्होंने कहा कि आलोचना किए बिना हम प्रायश्चित पूर्ण नहीं कर सकते। आलोचना करने से हमारी आत्मा में निखार आता है। धर्मसभा के शुरू में साध्वी राजकीर्तिजी म.सा. अतंगडदशा सूत्र के अंतिम आठवें वर्ग के मूल पाठ का वाचन एवं विवेचन करते हुए उसमें वर्णित 10 महासतियों के प्रेरणादायी जीवन चरित्र के बारे में बताया।
संवत्सरी पर महापर्व पर तपस्याओं का रंग ऐसा छाया कि कई युवाओं ने भी महासाध्वी मण्डल से अठाई या उससे बड़ी तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। धर्म की भावना से ओतप्रोत होकर तपस्या करने वालों में बच्चें भी शामिल थे। संवत्सरी पर मुंबई निवासी जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा पंचम जोन की महामंत्री मोनिका सिसोदिया ने 27 उपवास के प्रत्याख्यान लिए तो अनुमोदना के जयकारे गूंजे। इनके साथ हेमलता मेहता ने 13, सुश्रावक राजेन्द्र बाबेल ने 11, मनीष सेठी, आकांक्षा कोठारी, वंशिका सामर,ललितादेवी खारीवाल, नीमा चण्डालिया,तनवी मारू,विनिता आंचलिया ने 9-9 उपवास, रोहित कोठारी, राहुल चौधरी, अक्षत लोढ़ा,अंकित संचेती,सुनील कावड़िया, अतुल मुणोत, अनिल नाहर, चंचलदेवी खमेसरा,रेखा छाजेड़, विजिया बम्ब,सारिका संचेती, लीला पीपाड़ा, प्राची संचेती, कमलादेवी कावड़िया ने 8-8 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। कई श्रावक-श्राविकाओं ने पांच,तेला,बेला व उपवास के प्रत्याख्यान भी लिए। महासाध्वी मण्डल ने सभी तपस्वियों के तप की हार्दिक अनुमोदना करते हुए उनके प्रति मंगलभावना व्यक्त की। साध्वी कुमुदलताजी ने बताया कि 12 गुप्त तपस्वी ऐसे है जिन्होंने अठाई या उससे बड़ी तपस्या के प्रत्याख्यान लिए है। चातुर्मास आयोजन समिति ने मासखमण तपस्वी सुश्राविका सरोज छाजेड़, सिद्धि तप आराधना पूर्ण करने वाली सुश्राविका मोनिका बाबेल सहित उन सभी तपस्वियों का अभिनंदन किया जिन्होंने अठाई या उससे बड़ी तपस्या पूर्ण की। सभी तपस्वियों को सुभाषनगर महिला मण्डल की पदाधिकारी भव्य स्वागत करते हुए मंच तक लेकर पहुंची। तपस्वियों का स्वागत करने वालों में चातुर्मास आयोजन समिति के संयोजक महावीरसिंह चौधरी, अध्यक्ष दौलतमल भड़कत्या, उपाध्यक्ष सुनील नाहर,सचिव राजेन्द्र सुराना,सुभाषनगर श्रीसंघ के अध्यक्ष हेमन्त कोठारी, सुरेन्द्रसिंह सुराना, महावीर बाबेल, राजेन्द्र गोखरू, ललित बाबेल, सुशीलकुमार डांगी, सुरेन्द्रकुमार मेहता, चातुर्मास महिला समिति की अध्यक्ष निर्मला भड़कत्या, पुष्पा गोखरू,नीता बाबेल,सीमा नाहर, टीना बापना, राखी खमेसरा, लीलादेवी कोठारी,लीलादेवी सुराणा, मंजू पोखरना,संगीता बाबेल,सुमित्रा बोथरा आदि शामिल थे। क्षमायाचना पर्व पर सामूहिक पारणा के लाभार्थी सुनील नाहर परिवार का भी सम्मान किया गया। इनके साथ चातुर्मास में सहयोगी लाभार्थी सुरेन्द्रसिंह लीलादेवी अमित सुराणा परिवार, लीलादेवी पवनकुमार महावीर कोठारी परिवार का भी सम्मान किया गया।धर्मसभा में चातुर्मास समिति महिला मण्डल अध्यक्ष निर्मला भड़कत्या, जीतो भीलवाड़ा लेडिज विंग की अध्यक्ष नीता बाबेल, जैन कॉन्फ्रेंस महिला शाखा की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष पुष्पा गोखरू ने भी विचार व्यक्त किए।
संवत्सरी महापर्व पर उपवास आदि तपस्या के सामूहिक पारणे गुरूवार सुबह 7 बजे से आध्यात्मिक चातुर्मास आयोजन समिति के तत्वावधान में सुभाषनगर स्थानक में होंगे। पारणा से पूर्व सुबह 6.45 बजे पर्युषण में हुए अखण्ड नवकार महामंत्र जाप पूर्ण होगा। सामूहिक पारणे के बाद सुभाषनगर स्थानक में सुबह 9 बजे से गुरूवार की अनुष्ठान आराधना के तहत तीर्थंकर चन्द्रप्रभु स्वामी की आराधना की जाएगी एवं इसके बाद सामूहिक क्षमायाचना कार्यक्रम होगा।