9 दिवसीय कथा का समापन: देश में अनुशासन रखना है तो दण्ड विधान कठोर होना चाहिए-राजन महाराज

Update: 2024-09-29 13:33 GMT

"छाई राम राज्याभिषेक की खुशियां,झूमे भक्त, चित्रकूटधाम बना अयोध्याधाम*

*विश्राम दिवस पर चित्रकूटधाम में श्रीराम कथा श्रवण करने उमड़ा जनसैलाब

भीलवाड़ा, । राम राज्याभिषेक का प्रसंग आया तो श्रद्धा व भक्ति का मनमोहक नजारा था, क्या बाल क्या बुर्जुग, क्या महिला क्या पुरूष सभी अपने-अपने स्थानों पर खुशी से झूम रहे थे ओर जय सियाराम के जयकारे गूंजायमान हो रहे थे। राम राज्याभिषेक की खुशी में मंच से लेकर पांडाल तक पुष्पवर्षा हो रही थी तो कथास्थल नगर निगम का चित्रकूटधाम भगवान राम की राजधानी अयोध्याधाम ही प्रतीत हो रहा था। ये नजारा श्रीसंकट मोचन हनुमान मंदिर ट्रस्ट एवं श्री रामकथा सेवा समिति भीलवाड़ा के तत्वावधान में नगर निगम के चित्रकूटधाम में ख्यातनाम कथावाचक पूज्य राजन महाराज के मुखारबिंद से आयोजित नौ दिवसीय संगीतमय श्री रामकथा महोत्सव के विश्राम दिवस पर रविवार को दिखा। संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरीजी महाराज के सानिध्य में आयोजित कथा में नवें व अंतिम दिन सुंदरकाड, राम राज्याभिषेक, उत्तर कांड आदि प्रसंगों का भावपूर्ण वाचन किया गया। मंच पर विराजित संत महात्माओं द्वारा भगवान राम व सीता की छवि की पूजा कर राज्याभिषेक की रस्म निभाई गई। विश्राम दिवस पर रामकथा श्रवण करने के लिए भक्तगण इस तरह उमड़े कि चित्रकूटधाम का विशाल प्रांगण भी जनसैलाब के समक्ष छोटा प्रतीत हुआ। कथा श्रवण को लालायित भक्तगण जहां जगह मिली वहीं बैठ भक्तिभाव से कथाश्रवण करते रहे। कथा के विश्राम से पूर्व व्यास पीठ पर विराजित राजन महाराज ने कहा कि राम राज्य का अर्थ यह नहीं कि जो मर्जी आए वह करे बल्कि देश में अनुशासन रखना है तो दण्ड विधान कठोर होना चाहिए। इसके बिना अनुशासन राष्ट्र व समाज अनुशासित नहीं हो सकते। अभी दण्ड विधान कठोर नहीं होने से लोग मर्जी आए जो करने से हिचकते नहीं है।


उन्होंने सीता खोज के दौरान हनुमानजी को जाम्बन्त द्वारा उनकी शक्ति का अहसास कराने के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि अनुभव का हमेशा सम्मान करना चाहिए। जितना चिंतन बुर्जुग कर सकते उतना युवा नहीं कर पाते है। सुग्रीव को राजसत्ता मिलने के बाद राम को दिए वचन भूलने के प्रसंग की चर्चा करते हुए कहा कि जीवन में सब कुछ ठीक होता है तो मनुष्य भगवान को भूल जाता है। जीवन में थोड़ा अभाव बनाकर रखे ताकि भगवान को याद करने का स्वभाव बना रहे। दुःखों में जो ठोकर न खाई होती तो प्रभु की याद भी नहीं आई होती। राजन महाराज ने कहा कि भगवत कृपा प्राप्त होने पर ही जीव सत्संग में पहुंच सकता ओर भगवान के दर्शन कर सकता है। जीवन में यदि लक्ष्य की प्राप्ति करनी हो तो किसी के भरोसे नहीं बैठ स्वयं प्रयास करने चाहिए। कथा के दौरान मंच पर कई पूज्य संत-महात्मा आदि भी विराजित थे।



राजन महाराज के व्यास पीठ पर विराजने के बाद एवं शाम को कथा विश्राम पर आरती एवं अभिनंदन करने वालों में मुख्य जजमान श्री गोपाल राठी,रामनिवास गुप्ता, विशाल गुप्ता, दीपक मेलाना, अनिल जागेटिया, प्रदीप लाठी, राजेश लढ़ा, रवि मूंदड़ा, उमाशंकर शर्मा, श्याम बिड़ला, सुरेश गोयल, रविन्द्र जाजू, हनुमानप्रसाद अग्र्रवाल, अशोक मूंदड़ा, चितवन व्यास, कमल सर्राफ, प्रवीण जैन, सत्यनारायण काबरा, बालमुकुन्द सोनी, पवनकुमार नागौरी, श्याम समदानी, सुनील काबरा, गोपाल झंवर, हनुमानप्रसाद दम्माणी, राजेश कुदाल, महावीर सोमानी, रविशंकर सिंह, रामदयाल जाट, निर्मल जोशी, पार्षद ओम पाराशर, राजीव सोनी, अभिषेक शर्मा, धर्मेन्द्र कोठारी, शिवम बाहेती, मुकेश खण्डेलवाल, रतनदेवी काबरा, आदि भक्तगण शामिल थे। विश्राम स्थल से कथास्थल तक रामचरित मानस की पोथी लाने-ले जाने वाले यजमान में मिठुलाल, कन्हैयालाल, केशव स्वर्णकार एवं दुर्गालाल सोनी, सुशीला स्वर्णकार, लखन व बिन्दुबाला शामिल थे। मंच का कुशल संचालन पंडित अशोक व्यास ने किया।

फिर भीलवाड़ा आने की जताई भावना

राजन महाराज ने भीलवाड़ा में श्रीरामकथा महोत्सव के सफल आयोजन पर महन्त बाबूगिरी महाराज व आयोजन समिति को बधाई देते हुए कहा कि रामकथा के नौ दिन ऐसे व्यतीत हो गए जैसे नौ मिनट हुए हो। उन्होंने कहा कि भीलवाड़ावासियों की भक्ति भावना बेमिसाल है। उन्होंने पुनः शीघ्र भीलवाड़ा आने की भावना जताते हुए कहा कि वह चाहते है कि जब फिर से यहां आए उससे पूर्व कारोही में श्री सांवरिया हनुमान मंदिर एवं भीलवाड़ा में रीको क्षेत्र में पंचमुखी बालाजी मंदिर का निर्माणाधीन कार्य पूरा होकर दोनों मंदिर पूर्ण स्वरूप को प्राप्त करे। उन्होंने भीलवाड़ा में कथा सुनाने का अवसर प्रदान करने के लिए महन्त बाबूगिरीजी महाराज का भी आभार जताया।

राजन महाराज का अभिनंदन



नौ दिवसीय श्रीराम कथा का विश्राम होने पर व्यास पीठ पर विराजित पूज्य राजन महाराज का श्रीरामकथा सेवा समिति के पदाधिकारियों ने संकटमोचन हनुमान मंदिर के महन्त बाबूगिरीजी महाराज के सानिध्य में अभिनंदन किया। अभिनंदन करने वालों में समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज, सरंक्षक राधेश्याम सोमानी, केसी प्रहलादका, रमेश खोईवाल, महासचिव पीयूष डाड व कन्हैयालाल स्वर्णकार, कोषाध्यक्ष सीए दिलीप गोयल, समिति की महिला प्रमुख मंजू पोखरना, डॉ. उमाशंकर पारीक आदि शामिल थे। समिति के अध्यक्ष गजानंद बजाज ने श्रीराम कथा महोत्सव को सफल बनाने पर पूज्य राजन महाराज व उनकी पूरी टीम के साथ कथा श्रवण करने आए सभी भक्तों का हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने कथा आयोजन को सफल बनाने में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वालों का भी आभार जताया।

सीता रामजी की प्यारी राजधानी लागे म्हाने मीठो-मीठो सरयू को पानी लागे*

श्रीराम कथा के विश्राम दिवस पर सुंदरकांड व राम राज्याभिषेक प्रसंग चले तो राजन महाराज के मुखारबिंद से निरन्तर प्रभु भक्ति से ओतप्रोत भजनों की गंगा प्रवाहित होती रही। भजनों पर कई श्रद्धालु नृत्य कर अपनी भावना का इजहार करते दिखे। उन्होंने कोई राजा न देखा मेरे राम जैसा, सीता रामजी की प्यारी राजधानी लागे म्हाने मीठो-मीठो सरयू को पानी लागे,आ गए रघुनंदन सजवा दो द्वार-द्वार, बजरंगी लाए खबरिया राम आते नगरिया, जय-जय राम कथा जय श्री राम कथा, सिया के सैया मोही छोड़ी न बहिया जैसे भजनों की प्रस्तुति से भी माहौल भक्ति व भावनाओं से परिपूर्ण कर दिया। मंच से लेकर पांडाल के अंतिम छोर तक श्रद्धालुओं का विशाल जनसमूह भक्ति रस में सराबोर होकर थिरकता रहा।


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