गांधी सागर तालाब: नगर निगम आयुक्त को व्यक्तिगत शपथ-पत्र दाखिल करने का निर्देश

भीलवाड़ा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल सेन्ट्रल जोनल बैंच भोपाल ने भीलवाड़ा स्थित गांधी सागर तालाब में बढ़ते अतिक्रमण, अनुपचारित पानी और सीवेज के निस्तारण, और ठोस कचरे के कारण हो रहे जल प्रदूषण के मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए भीलवाड़ा नगर निगम आयुक्त और संबंधित अधिकारियों को इस मामले में व्यक्तिगत शपथ-पत्र प्रस्तुत करने और अगली सुनवाई में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए उपस्थित रहने के निर्देश दिये।
न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने यह आदेश पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की अधिवक्ता लोकेन्द्र सिंह कच्छावा के मार्फत जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिये। याचिकाकर्ता जाजू ने बताया कि एनजीटी द्वारा गठित समिति ने गांधीसागर तालाब का अवलोकन एनजीटी में रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट में कमेटी ने गांधी सागर तालाब में जाने वाले चौड़े नाले को कचरे और प्लास्टिक से बुरी तरह भरा हुआ एवं तालाब को खरपतवारों से ढका हुआ पाया तथा तालाब की सतह पर बड़ी मात्रा में कचरा और प्लास्टिक कचरा तैरता हुआ बताया है। तालाब में 4 फव्वारों मंे से केवल एक चालू पाया गया। समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह भी उल्लेखित किया कि भीलवाड़ा शहर से प्रतिदिन लगभग 60 एमएलडी घरेलू सीवेज पानी उत्पन्न होता है, जिसके उपचार के लिए केवल 10 एमएलडी क्षमता का एक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट ही चालू है।
जाजू ने याचिका मंे आरोप लगाया कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बावजूद भीलवाड़ा नगर निगम ठोस कचरे के प्रबंधन, प्रसंस्करण और निपटान से संबंधित निर्देशों का पालन करने में असफल रही है। एनजीटी ने गांधीसागर तालाब को बिना किसी देरी के युद्ध स्तर पर कार्य करते हुए साफ-सफाई एवं गंदे पानी के नालों को रोकने के निर्देश दिये। साथ ही एसटीपी प्लांट के रखरखाव और संचालन की भी ठीक से निगरानी रखने पर जोर देते हुए कहा कि इससे अनुपचारित सीवेज नदियों और नालों में प्रवाहित होने से जलस्त्रोत प्रदूषित हो रहे हैं और आमजन और जैव-विविधता का अस्तित्व संकट में है। मामले में अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी।