अरावली बचाओ पदयात्रा में जाट का सरकार पर तीखा हमला

Update: 2025-12-28 16:40 GMT

कांग्रेस के वरिष्ठ राजनेता एवं पूर्व मंत्री रामलाल जाट ने रविवार को अरावली की पहाड़ियों में 4 किलोमीटर लंबी पदयात्रा निकाली. इस दौरान उनके साथ बड़ी संख्या में समर्थक, महिला और पुरुष शामिल रहे. सूराज गांव से शुरू हुई पदयात्रा अरावली पहाड़ियों में स्थित बैमाता मंदिर पहुंची. इस दौरान रामलाल जाट ने कहा कि कुदरत की बनाई हुई अरावली की पहाड़ियों को भारत सरकार बेचने का काम कर रही है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को स्वविवेक से पीआईएल दर्ज करनी चाहिए.

अरावली पर्वतमाला की नई परिभाषा के विरोध में कांग्रेस नेता रामलाल जाट ने रविवार को सुराज गांव से अरावली की पहाड़ियों में स्थित शक्तिपीठ बैमाता मंदिर किडीमाल तक पदयात्रा निकाली. इस दौरान उनके समर्थकों और सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग मौजूद रहे. यात्रा के दौरान महिलाओं ने नाचते- गाते हुए अरावली पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के विरोध में मंगल गीत गाकर विरोध दर्ज करवाया.

पदयात्रा की समाप्ति के बाद पूर्व मंत्री रामलाल जाट ने कहा कि अरावली को लेकर रविवार को हमने अरावली की पहाड़ियों के बीच विरोध स्वरूप यात्रा निकाली है. अरावली की शुरुआत गुजरात से होती है और जो लगभग 700 किलोमीटर लंबी है और दिल्ली में खत्म होती है. अरावली का सबसे बड़ा भूभाग राजस्थान में है. राजस्थान में सवाई माधोपुर तक साढ़े चार सौ किलोमीटर की लम्बाई है. कई जगह तो अरावली की पहाड़ियों की चौड़ाई 10 किलोमीटर के करीब है. प्रदेश की भाजपा सरकार और केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश किये तथ्य की वजह से ही यह आंदोलन हो रहा है.

उन्होंने कहा कि निर्णय के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार व राज्य सरकार का कहा मान लिया. इसलिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा अरावली को लेकर ऐसा निर्णय आया है. अरावली की परिभाषा तय करने वाली सरकार कौन होती है. अरावली की परिभाषा तय करने वाले अरावली क्षेत्र में रहने वाले किसान, पहाड़ों पर रहने वाले लोग, फॉरेस्ट के विशेषज्ञ व पर्यावरणविद होने चाहिए. अरावली क्षेत्र में 300 तरह की जड़ी-बूटियां, 50 तरह के दुधारू जानवर, कई तरह के जंगली जानवर रहते हैं. अरावली में हुई बारिश की वजह से बारिश रूकने के बाद भी नदियां चलती हैं. रेगिस्तान को रोकने का काम भी अरावली कर रही है.

जाट ने दावा किया कि भारत सरकार निश्चित रूप से एक-दो पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाना चाहती है. अगर सरकार की नियत सही होती, तो रिव्यू पिटिशिन सुप्रीम कोर्ट में दायर करनी चाहिए थी. मैं आमजन से आव्हान करता हूं कि हम लोग जाति, धर्म से ऊपर उठकर अरावली को बचाने के लिए काम करें. साथ ही सुप्रीम कोर्ट भी स्वविवेक से पीआईएल दर्ज कर तुरंत फैसला करे. अरावली खत्म हो जाएगी, तो हमारे भविष्य का क्या होगा. आज हमारे पूर्वज जमीन, घर-बार बैंक बैलेंस छोड़ जाते हैं. अगर वह नहीं होते, तो हमारे पास क्या होता. उसी प्रकार आने वाले पीढ़ियों के लिए अरावली को हम नहीं बचाएंगे, तो क्या होगा. रामलाल जाट ने मारवाड़ी कहावत का उदाहरण देते हुए कहा कि बेटा कोई काम नहीं करता है, तो बनी हुई संपत्ति को बेच देता है. ऐसा ही काम भारत सरकार कर रही है.

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