गोमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा, गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध और केन्द्रीय कानून की मांग
भीलवाड़ा। मूलचन्द पेसवानी गोसम्मान आह्वान अभियान के तहत 30 दिसंबर 2025 को दोपहर 3 बजे हरि शेवा धाम में प्रदेश स्तरीय बैठक आयोजित की जाएगी। बैठक में संतों, गोभक्तों और सनातनी समाज के प्रतिनिधि एकत्र होकर गोमाता के सम्मान, संरक्षण और संवर्धन को लेकर केंद्र सरकार से ठोस कानून बनाने की अपील करेंगे। इस अवसर पर सत्संग, गो-रक्षा से जुड़ी चर्चाएँ और जनजागरण कार्यक्रम भी होंगे।
आयोजकों के अनुसार यह अभियान किसी संस्था, संगठन या राजनीतिक दल के बैनर तले नहीं, बल्कि गौमाता के प्रधान संरक्षण और नंदी बाबा की अध्यक्षता में संचालित है। अभियान का मुख्य उद्देश्य गौमाता को राष्ट्रमाता का दर्जा दिलाना, गोहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लागू कराना और गो-संवर्धन के लिए प्रभावी सरकारी नीतियाँ बनवाना है। साथ ही गोहत्या व गो-तस्करी में लिप्त अपराधियों के लिए आजीवन कारावास का प्रावधान, जब्त वाहनों का गोशालाओं के उपयोग में लाना और गौ-रक्षा हेतु केन्द्रीय कानून की मांग की जाएगी।
अभियान के अंतर्गत गोबर और गोमूत्र आधारित अनुसंधान विश्वविद्यालयों की स्थापना, पंचगव्य औषधियों का आयुर्वेदिक चिकित्सालयों में निरूशुल्क वितरण, सरकारी भवनों में गोबर पेंट व गौनाइल के उपयोग को अनिवार्य करने जैसे सुझाव भी शामिल हैं। इसके अलावा गौशालाओं को मनरेगा से जोड़ने, बिजली बिल में छूट, निराश्रित गौवंश के लिए चारे की समुचित व्यवस्था और देशव्यापी सुरक्षा तंत्र की मांग रखी जाएगी।
छह माह तक दिल्ली में गौ संकीर्तन की कार्ययोजना
कार्ययोजना के अनुसार जनवरी से मार्च 2026 तक देशभर में व्यापक प्रचार-प्रसार होगा। 27 अप्रैल 2026 को प्रत्येक तहसील व जिला मुख्यालय पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के नाम प्रार्थना पत्र सौंपे जाएंगे। अपेक्षित उत्तर न मिलने पर जुलाई और अक्टूबर 2026 में जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर यह प्रक्रिया दोहराई जाएगी। अंततः 27 फरवरी 2027 को देश के 800 जिलों और 5000 तहसीलों से संत और गोभक्त दिल्ली पहुंचकर शांतिपूर्ण संकीर्तन करेंगे, जो 15 अगस्त 2027 तक छह माह चलेगा।
अहिंसक और शान्तिपूर्ण रहेगा अभियान
आयोजकों ने स्पष्ट किया कि अभियान पूरी तरह अहिंसक होगा। इसमें किसी प्रकार का भाषण, मंचीय उद्घोषणा या राजनीतिक स्वरूप नहीं रहेगा। किसी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगाय केवल संकीर्तन, प्रार्थना और जनजागरण के माध्यम से संदेश दिया जाएगा। अभियान का प्रतीक नंदी महाराज और गौमाता का चित्र होगा।
