भीलवाड़ा में कंप्यूटर युग में भी कायम है बहियों की परंपरा, दीपावली पर बढ़ी मांग

Update: 2025-10-20 04:38 GMT


भीलवाड़ा  आज   भले ही हर काम अब कंप्यूटर और डिजिटल सिस्टम से होने लगा हो, लेकिन दीपावली पर बहियों (लेखा पुस्तकों) का महत्व आज भी बरकरार है। व्यापारी आज भी परंपरागत बहियों में अपना लेखा-जोखा दर्ज करते हैं और दीपावली के अवसर पर उनकी विधिवत पूजा करते हैं।

स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि पिछले 20–25 वर्षों से दीपावली के समय बहियों की बिक्री में इजाफा होता आ रहा है। कंप्यूटर में खाते रखने के बावजूद बहियों का स्थान आज भी खास है क्योंकि इन्हें लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। पीढ़ियों से चली आ रही यह परंपरा व्यापारियों के लिए आस्था और विश्वास से जुड़ी हुई है।

बहियों में दिन, वार और पूरी जानकारी साफ-साफ लिखी जा सकती है। वहीं कंप्यूटर में तकनीकी खराबी से डेटा नष्ट होने का खतरा बना रहता है, जबकि बहियों में रिकॉर्ड लंबे समय तक सुरक्षित रहता है। यही वजह है कि व्यापारी आज भी बहियों को शुभ मानते हैं और दीपावली पर गणेश-लक्ष्मी पूजन के बाद पारंपरिक तरीके से नए खाते शुरू करते हैं।

व्यापारियों का मानना है कि बहियों में हिसाब-किताब रखने की यह परंपरा न सिर्फ उनके व्यवसाय को सम्मान देती है, बल्कि पुरानी पीढ़ियों की यादों को भी संजोए रखती है।

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