भारत के साथ संबंधों को तरजीह देंगे ट्रंप', पूर्व प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कहां हो सकती है दिक्कत
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद भारत में इस बात की चर्चा है कि ट्रंप के कार्यकाल में भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते कैसे रहेंगे। अधिकतर विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की मौजूदा आर्थिक ताकत और भू राजनीति में इसकी अहमियत को देखते हुए भारत और अमेरिका के संबंधों में और बेहतरी होने की ही संभावना है। अब ट्रंप के साथ पिछले कार्यकाल में काम कर चुकीं और दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों की जानकारी लीजा कर्टिस ने भी कहा है कि ट्रंप अपने पहले कार्यकाल की तरह ही इस कार्यकाल में भी भारत के साथ अपने रिश्तों को अहमियत देंगे।
'वहीं से शुरुआत करेंगे ट्रंप, जहां छोड़ा था'
लिजा कर्टिस साल 2017 से 2021 के बीच डोनाल्ड ट्रंप की सलाहकार और दक्षिण एवं मध्य एशिया की सुरक्षा परिषद की निदेशक रह चुकी हैं। कर्टिस ने कहा है कि 'मुझे लगता है कि नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप भारत के साथ वहीं से शुरुआत करेंगे, जहां उन्होंने छोड़ा था। भारत के प्रति उनकी अच्छी भावनाएं और सद्भावना है और मैं इस कार्यकाल को दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने के अवसर के रूप में देखती हूं।' उन्होंने कहा कि ट्रंप के पहले कार्यकाल (2017-2021) के दौरान भारत की अहमियत और चीन की चुनौतियों से निपटने में इसकी भूमिका के कारण अमेरिका-भारत संबंधों में सुधार हुआ था।
कर्टिस ने बताया कि ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच अच्छे व्यक्तिगत संबंध भी हैं और इस रिश्ते ने वास्तव में बहुत सारी प्रगति को मजबूत करने में मदद की। ट्रंप के कार्यकाल में भारत पर प्रौद्योगिकी नियंत्रण हटा लिए गए थे, जिससे भारत की सशस्त्र ड्रोन तकनीक तक पहुंच हुई। लीसा कर्टिस वर्तमान में सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी, एक थिंक-टैंक में इंडो-पैसिफिक सिक्योरिटी प्रोग्राम की सीनियर फेलो और निदेशक हैं।
deलीसा कर्टिस ने बताया किन मुद्दों पर दिक्कत भी हो सकती है
लीसा कर्टिस ने बताया कि सामान्य तौर पर ट्रंप के पहले कार्यकाल में भारत के साथ अच्छे संबंध रहे, लेकिन उस दौरान कुछ अड़चनें भी आईं, जिनमें मुख्य तौर पर टैरिफ का मुद्दा रहा। ट्रंप चाहते हैं कि भारतीय बाजार तक अमेरिकी कंपनियों को भी पहुंच मिले। पहले कार्यकाल में ट्रंप ने भारत द्वारा कई अमेरिकी उत्पादों पर भारी टैरिफ को लेकर नाराजगी भी जाहिर की थी। लीसा कर्टिस के अनुसार, इस बार भी व्यापार और टैरिफ के मुद्दे पर भारत-अमेरिका के रिश्तों में अड़चन आ सकती है। हालांकि इससे दोनों देशों के रिश्तों पर व्यापक विपरीत असर पड़ने की आशंका नहीं है। साथ ही ट्रंप प्रशासन, भारत से रूस पर अपनी सैन्य उपकरण निर्भरता को कम करने के लिए भी कह सकता है।
चीन के चलते भारत-अमेरिका में बढ़ेगा सहयोग
लीसा कर्टिस ने कहा कि चीन को लेकर अमेरिका और भारत, दोनों की बहुत सारी चिंताएं हैं जैसे चीन प्रौद्योगिकी बाजार पर हावी होने और एशिया में अपना दबदबा बनाने की कोशिश कर रहा है और भारत और अमेरिका, दोनों ही ऐसा नहीं चाहते। ऐसे में चीन को रोकने के लिए भारत और अमेरिका सुरक्षा और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने पर विशेष ध्यान दे सकते हैं। लीसा कर्टिस ने माइक वाल्ट्ज को एनएसए और मार्को रूबियो को विदेश मंत्री बनाने का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों नेता चीन के प्रति आक्रामक रुख रखते हैं और भारत के प्रति दोनों का नजरिया समर्थकों वाला है।