झुग्गियों में रहता है दिल्ली का हर चौथा मतदाता, केजरीवाल के इस वोट बैंक से भाजपा को कितनी चुनौती?

By :  vijay
Update: 2024-11-26 11:53 GMT

दिल्ली का हर चौथा मतदाता यहां की झुग्गी-झोपड़ियों में निवास करता है। राजधानी में लगभग 1800 अवैध झुग्गी-झोपड़ियों और कच्ची कॉलोनियों में 20 लाख से अधिक मतदाता रहते हैं। यह समूह यह तय करने में सबसे अहम भूमिका निभाता है कि दिल्ली में इस बार किसकी सरकार बनेगी। मुफ्त बिजली-पानी की घोषणा कर अरविंद केजरीवाल ने 2013-14 में इस वोटर वर्ग को ऐसा लुभाया कि कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया। भाजपा को भी काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

लेकिन बदले समीकरणों में भाजपा ने इस वर्ग को अपनाने के लिए कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए हैं। दिल्ली भाजपा नेता विष्णु मित्तल के नेतृत्व में पार्टी ने झुग्गी-झोपड़ी के मतदाताओं को लुभाने के लिए लगातार कार्यक्रम चला रही है। वीरेंद्र सचदेवा, विष्णु मित्तल सहित आज दिल्ली भाजपा के सभी बड़े नेता इन्हीं झुग्गियों में रात्रि निवास कर उनकी समस्याओं को समझेंगे और पार्टी के घोषणा पत्र में इस वर्ग की समस्याओं का समाधान देने का वादा करेंगे। भाजपा को लगता है कि उसके कार्यों की बदौलत इस बार यह मतदाता वर्ग उसे वोट करेगा और दिल्ली में इस बार वह सरकार बनाने में सफल रहेगी। लेकिन क्या ऐसा होगा?

क्या कहते हैं आंकड़े

एक अनुमान के अनुसार, दिल्ली में लगभग 1800 छोटी-बड़ी झुग्गी-झोपड़ी बस्तियां हैं। इनमें लगभग 3.5 लाख परिवार रहते हैं और 20 लाख मतदाता इनमें निवास करते हैं। यदि पूरी दिल्ली की आबादी की तुलना में देखें तो यह आंकड़ा करीब 30 प्रतिशत होता है। यानी यह माना जा सकता है कि दिल्ली हर चौथा मतदाता झुग्गियों में रहता है। यह वर्ग खूब बढ़चढ़कर वोट करता है। चूंकि, बड़ी कॉलोनी के लोग मतदान के लिए भी कम ही जाते हैं, दिल्ली में किसकी सरकार बनेगी, यही वर्ग तय करता है।

झुग्गी-झोपड़ी में काम करने वाले एक संगठन आशा इंडिया के अनुसार, दिल्ली की झुग्गी-झोपड़ियों में साक्षरता दर लगभग 56 प्रतिशत है। दसवीं तक पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या 46 प्रतिशत है। यानी लगभग आधे बच्चे हाईस्कूल से आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते। दिल्ली सरकार की अपनी रिपोर्ट के अनुसार, झुग्गी-झोपड़ियों के करीब 45 प्रतिशत बच्चे ही उच्च शिक्षा के लिए आगे जा पाते हैं।

नेशनल फेमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 की रिपोर्ट के अनुसार, इन झुग्गियों में रहने वाली हर दूसरी महिला (48 प्रतिशत) के साथ शारीरिक और मानसिक शोषण होता है। 32 प्रतिशत से अधिक आबादी एक कमरों वाले मकानों में रहती है जो बच्चों को उचित विकास का अवसर नहीं देती।

केजरीवाल की ताकत

इन झुग्गियों में रहने वाला गरीब मतदाता केजरीवाल की ताकत हुआ करता था। दिल्ली सरकार की मुफ्त बिजली-पानी जैसी योजनाओं का लाभ इसे ही मिलता था। इन गरीब परिवारों की औरतें जब कामकाज के लिए बाहर जाती हैं तो उसे दिल्ली की बसों में मुफ्त सफर करने को मिलता है जो इनके लिए एक बड़ी बचत है। दिल्ली सरकार ने सरकारी स्कूलों में सुधार किया, इसका भी लाभ इन गरीब परिवारों को मिला। यही कारण है कि अब तक यह वर्ग केजरीवाल के साथ बना रहा।


अपनी चुनावी सभाओं में आम आदमी पार्टी का हर नेता इन मतदाताओं को यही डर दिखा रहा है कि भाजपा आई तो मुफ्त की ये सारी योजनाएं बंद कर दी जाएंगी। आने वाले समय में वे कुछ और लुभावनी घोषणाएं कर इस वर्ग पर अपना कब्जा बरकरार रखना चाहते हैं।

परिस्थितियां बदली तो भाजपा की जगी उम्मीद

लेकिन भाजपा नेताओं का दावा है कि पिछले एक-दो साल में दिल्ली की परिस्थितियां तेजी से बदली हैं। अब यह मतदाता वर्ग केजरीवाल के साथ नहीं रह गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण लोकसभा चुनाव के साथ-साथ पिछले नगर निगम चुनाव में भी हो गया था जब भाजपा ने दिल्ली के करीब आधे वोटर वर्ग का साथ पाने में सफल रही थी।

झुग्गी-झोपड़ी सेल के संयोजक विष्णु मित्तल ने अमर उजाला से कहा कि इस बदलाव का सबसे बड़ा कारण दिल्ली सरकार की शराब नीति रही। केजरीवाल ने गली-गली में शराब की दुकानें खोल दीं। इससे गरीबों की कमाई शराब में उड़ने लगी। शराब पीकर पति अपनी पत्नियों की पिटाई करने लगे। परिवार के बच्चे भी नशे की गिरफ्त में जाने लगे। कामकाजी महिलाओं को भी गली-मुहल्ले में शराब की दुकानों के आसपास से निकलना मुश्किल हो गया।

मित्तल ने कहा कि, जिस तरह से शराब घोटाले और मुख्यमंत्री आवास के निर्माण में करोड़ों रुपये की महंगी चीजों के इस्तेमाल का मामला सामने आया है, लोगों को यह समझ में आ गया है कि अरविंद केजरीवाल की असलियत कुछ और है। जिस गरीबों को इलाज के नाम पर केजरीवाल लुभाते थे, गरीबों ने देखा कि उनके मोहल्ला क्लीनिकों में उसे उपचार नहीं मिल रहा है, ये भ्रष्टाचार के नए अड्डे बन गए हैं। उनका विश्वास है कि इसी कारण अब यह गरीब वर्ग भाजपा को वोट करेगा।

भाजपा करेगी बड़े काम

विष्णु मित्तल ने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली के गरीबों को पांच लाख रुपये तक के इलाज वाली मुफ्त योजना का लाभ नहीं लेने दिया। दिल्ली के 85 प्रतिशत स्कूलों में विज्ञान-गणित की पढ़ाई नहीं होती। गरीबों के बच्चे न इंजीनियर बन सकते हैं, न डॉक्टर। इससे लोगों को धीरे-धीरे समझ में आ गया कि मुफ्त बिजली-पानी की बात कर केजरीवाल केवल अपने लिए भारी भ्रष्टाचार का रास्ता तैयार कर रहे थे। अब यह जनता उनका साथ नहीं देगी।

मित्तल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने दिल्ली के हजारों गरीब परिवारों को मुफ्त में आवास उपलब्ध कराया है। भाजपा की सरकार बनने पर दिल्ली के सभी गरीबों को मुफ्त आवास उपलब्ध कराया जाएगा। रेहड़ी-पटरी वालों को सस्ता कर्ज देकर उन्हें अपना काम करने के योग्य बनाने का काम चल रहा है। भाजपा शहरी गरीबों के लिए विशेष योजना पर काम कर रही है, इसका लाभ भी इन्हें मिलेगा। पार्टी कई विशेष योजनाओं को लाकर इस वर्ग का कल्याण करने के लिए संकल्पबद्ध है।

आप का दावा

वहीं, आम आदमी पार्टी का दावा है कि भाजपा केवल दिखावे की राजनीति कर रही है। लक्ष्मी नगर से आम आदमी पार्टी नेता अमृत नाथ शुक्ला ने अमर उजाला से कहा कि भाजपा और उसके सहयोगी दलों की इस समय 19 राज्यों में सरकारें हैं। यदि वे एक भी राज्य में दिल्ली की तरह मुफ्त बिजली-पानी देते हों, इस तरह की शिक्षा व्यवस्था देते हों तो दिल्ली का गरीब भी उनकी बात पर विश्वास कर ले। लेकिन ऐसा नहीं है। भाजपा किसी भी राज्य में दिल्ली से बेहतर व्यवस्था देने में सफल नहीं रही है। लिहाजा दिल्ली का गरीब वर्ग भी उनकी बात का विश्वास नहीं करेगा।

Similar News