गेहूं के बढ़ते रेट के बीच उत्पादन सामान्य रहने की उम्मीद, केंद्र के इस कदम से भी दाम नहीं हो रहे कंट्रोल
देश के कई राज्यों में गेहूं के रेट बढ़े हुए है। सरकार ने भी आम आदमी को राहत देने के लिए कई कदम उठाए है। सरकार ने गेहूं के लिए लागू भंडारण सीमा में संशोधन भी किया है। बावजूद इससे रेट कम होने का नाम नहीं ले रहे है। हालांकि इस बीच गेहूं का उत्पादन सामान्य रहने की उम्मीद जताई जा रही है।
राहत की बात है कि 20 दिसंबर को समाप्त हुए सप्ताह में गेहूं की बुआई का रकबा पिछले 5 साल के सामान्य बुआई के रकबे के बराबर है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर अगले कुछ महीने तक मौसम सामान्य रहता है तो गेहूं का उत्पादन सामान्य रहेगा। उपलब्ध आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि, पिछले सप्ताह तक गेहूं 312.2 लाख हेक्टेयर में बोया गया, जो पिछले साल की समान अवधि से 2.46 प्रतिशत ज्यादा है और यह पिछले 5 साल के औसत के करीब बराबर है।
पिछले 5 साल में औसतन करीब 312.3 लाख हेक्टेयर जमीन पर गेहूं बोया गया है।लेकिन मानसून के विस्तार और महत्त्वपूर्ण इनपुट की उपलब्धता में देरी के कारण देर से बुआई के कारण चिंता है। आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि रबी की अन्य फसलों जैसे सरसों का रकबा पिछले साल से कम है, लेकिन सामान्य रकबे से ज्यादा है। वहीं चने का रकबा पिछले साल से ज्यादा है, लेकिन 5 साल के औसत से कम है। उत्तर भारत में मौसम ठंडा रहने और हल्की फुहारों का अनुमान है जो खड़ी फसलों के लिए अच्छा संकेत है।
दाम कंट्रोल करने के लिए सरकार ने घटाई स्टॉक लिमिट
हाल ही में खाद्य मंत्रालय ने देश में खाद्य सुरक्षा को बनाए रखने और जमाखोरी रोकने के लिए भारत सरकार ने थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़ी और छोटी रिटेल चेन और प्रोसेसर्स पर गेहूं की स्टॉक लिमिट लगाई थी। नए नियमों के मुताबिक, होलसेलर्स अब 2,000 टन की जगह 1,000 टन गेहूं रख सकेंगे। इसी तरह रिटेलर्स 10 टन के बदले 5 टन गेहूं रख सकेंगे जबकि बड़ी चेन के रिटेलर्स 10 टन की जगह अब 5 टन गेहूं ही रख सकेंगे। प्रोसेसर अब अपनी क्षमता के 50 परसेंट गेहूं रखेंगे जबकि पहले यह स्टॉक लिमिट 60 परसेंट थी। सरकार का मानना है कि, इस निर्णय के बाद सिस्टम में गेहूं की सप्लाई बढ़ेगी और इससे कीमतों के नियंत्रण में बने रहने की उम्मीद है। फिलहाल गेहूं की बुवाई चल रही है और नई फसल मार्च में आने लगती हैं। इसलिए सरकार ने ये लिमिट भी मार्च तक के लिए है। हालांकि दूसरी तरफ सरकार ने यह भी कहा कि देश में गेहूं की कोई कमी नहीं हैं।
गेहूं के कारोबार से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि, केंद्र सरकार ने इससे पहले भी गेहूं की स्टॉक लिमिट का नियम लगाया गया था। हालांकि जिस तेजी से गेहूं के भाव में गिरावट आनी चाहिए, वैसा कुछ देखने में नहीं आ रहा है। इन दिनों देश में गेहूं की भारी कमी है। लेकिन सरकार पिछले दो साल से इस तरह के पैटर्न को अपना रही है। लेकिन बाजार में इतना गेहूं है कि नहीं कि सप्लाई बढ़े। सरकार दावा कर रही है कि देश में पर्याप्त गेहूं का स्टॉक है। यह सही नहीं है। इस वर्ष करीब करीब 8 से 10 मिलियन टन की गेहूं की कमी है। इसकी वजह से ही रेट बढ़ रहे है।