एमडीएच मसाले ने दुनिया को चखाया भारतीय स्वाद, 100 साल से घर-घर के किचेन की बना शान
यह दुनिया के सबसे बेहतर और शुद्ध भारतीय स्वाद की अनोखी कहानी है. अब यह स्वाद ना केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में तमाम घरों के किचेन की शान है. एमडीएच मसाले ने अपनी कामयाबी के सौ से ज्यादा साल पूरे कर लिये हैं. इन दौरान इस मसाले ने असंख्य लोगों के प्यार और प्रशंसा हासिल की है. यह अपनी गुणवत्ता के लिए भी जाने जाते हैं.
एमडीएच के उत्पादों की सफलता का राज इसकी शुद्धता और गुणवत्ता है. इसी कारण है कि यह दुनिया भर में श्रेष्ठ मसालों में से एक है. बात जब विशुद्धता की आती है तो इसे इसे एक नजीर के तौर पर देखा जा सकता है. एमडीएच एकमात्र मसाला कंपनी है जो ग्राउंडिंग से पहले मिर्च की डंडी (डंठल) को हटा देती है (और डंठल रहित मिर्च का उपयोग करती है) ताकि मिर्च का शुद्ध रूप में भारत और दुनिया के उपभोक्ताओं तक पहुंच सके.
मानक का रखा जाता है ख्याल
एमडीएच के मसालों में इस्तेमाल होने वाला जीरा भी उच्च कोटि का होता है. हल्दी और अन्य मसालों की क्वालिटी की बड़े पैमाने पर परख की जाती है. मसाले बनाने के दौरान इस बात का बखूबी ध्यान रखा जाता है कि इसके ग्राहक दुनिया भर में हैं, लिहाजा अत्यधिक सावधानी बरती जाती है.
एमडीएच की स्थापना सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में सन् 1919 में हुई थी. महाशय चुन्नी लाल गुलाटी ने सबसे पहले यहां मसाले बेचने के लिए एक दुकान खड़ी की. और इसका नाम रखा-‘महाशेयां दी हट्टी’. उनके बेटे धर्मपाल गुलाटी की देखरेख में इसका कारोबार आगे चलकर धीरे धीरे देश भर में फैला और बुलंदी को छुआ. अब उस विरासत को उनके परिवार के राजीव गुलाटी समूह के अध्यक्ष के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं.
एमडीएच विज्ञापन जारी करने में भी सबसे आगे रहा है. मसालों पर पहला टीवी विज्ञापन एमडीएच ने ही बनाया था. यह पहली मसाला कंपनी है जिसने पहला प्रिंट विज्ञापन भी जारी किया था.
5 अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित
एमडीएच प्रा.लि. ने लगातार बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए 5 अत्याधुनिक संयंत्र स्थापित किए हैं. कंपनी एक समान स्वाद और गुणवत्ता बनाए रखने के लिए सीधे उत्पादन केंद्रों से कच्चा माल खरीदती है. कच्चे माल का परीक्षण विशेष प्रकार की मशीनों से किया जाता है. फिर कई चरणों से गुजरते हुए इसे तैयार किया जाता है. इस प्रक्रिया के लिए पूरी तरह से स्वचालित मशीनें लगाई गई हैं.
इसकी शुरुआत कभी मैन्युअल रूप से पिसे हुए मसालों की पैकेजिंग से हुई थी. लेकिन कंपनी ने मसालों की तेजी से बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए स्वचालित मशीनों का उपयोग करना शुरू किया. आज करोड़ों रुपये के मसाले आधुनिक मशीनों द्वारा निर्मित और पैक किए जाते हैं और 1000 से अधिक स्टॉकिस्टों और 4 लाख से अधिक खुदरा डीलरों के नेटवर्क के माध्यम से देश और विदेशों में बेचे जाते हैं.
एमडीएच को समय-समय पर कई पुरस्कार मिले हैं. उनमें से कुछ के नाम हैं, आईटीआईडी गुणवत्ता उत्कृष्टता पुरस्कार, गुणवत्ता में उत्कृष्टता के लिए “आर्क ऑफ यूरोप” पुरस्कार और दादाभाई नौरोजी पुरस्कार. 2019 में महाशय धर्मपाल गुलाटी को भारत का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण मिला.
सामाजिक सरोकार में भी आगे
एमडीएच सामाजिक सरोकारों के लिए भी जाना जाता है. महाशय धर्मपाल ने एक बार कहा था कि उनका 90 फीसदी वेतन दान में जाता है. उन्होंने 300 से अधिक बिस्तरों वाला एक अस्पताल स्थापित किया था और 20 से अधिक स्कूल बनवाये थे. अप्रैल 2020 में दयालुता का कार्य करते हुए उन्होंने COVID-19 से लड़ने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को 7,500 PPE किट दान किए और राजीव गुलाटी इस नेक काम को आगे बढ़ा रहे हैं.