लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के तौर पर राहुल गांधी के 100 दिन, कांग्रेस बोली- जनता की आवाज बने
कांग्रेस ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली के सांसद राहुल गांधी के 100 दिन के कामकाज का जिक्र करते हुए कहा कि वह जनता की सच्ची आवाज बन गए हैं तथा वंचितों एवं पीड़ितों के साथ खड़े हुए हैं। बता दें कि, राहुल गांधी इस साल लोकसभा चुनाव के बाद नेता प्रतिपक्ष बने। कांग्रेस पार्टी को इस साल हुए लोकसभा चुनावों में 99 सीटों पर जीत मिली थी। जिसके बाद उन्हें ये पद दिया गया था।
राहुल गांधी के 100 दिनों को लेकर कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, विपक्ष के नेता के रूप में अपने पहले 100 दिनों में राहुल गांधी बेजुबानों की आवाज बने हैं। उन्होंने कहा कि, राहुल गांधी ने मणिपुर में हिंसा से प्रभावित लोगों के लिए आवाज उठाने से लेकर अन्यायपूर्ण सरकारी नीतियों का विरोध करने जैसे मुद्दों को उठाया। वे वंचितों और उत्पीड़ितों के साथ खड़े नजर आए।
मणिपुर हिंसा के प्रभावितों की आवाज बने राहुल गांधी
पवन खेड़ा ने कहा कि, पिछले कई महीनों से चल रही मणिपुर हिंसा के खिलाफ राहुल गांधी खड़े हुए। इस दौरान उन्होंने राज्य के प्रभावित इलाकों का दौरा किया, हिंसा से पीड़ित लोगों से बातचीत की और संसद में इस मुद्दे को उठाया। राहुल गांधी ने सरकारी नौकरी में लेटरल एंट्री का विरोध किया। जिसके चलते सरकार को इस फैसले को वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। उन्होंने निष्पक्ष भर्ती प्रक्रियाओं का बचाव किया।
कांग्रेस नेता ने कहा कि, राहुल गांधी ने नीट पेपर लीक का विरोध किया और प्रवेश परीक्षाओं में जवाबदेही की मांग करके सरकारी परीक्षाओं में गड़बड़ी को चुनौती दी। यही नहीं राहुल गांधी ने लोको पायलटों की दयनीय स्थितियों का मुद्दा उठाया, ट्रेन सुरक्षा की दिक्कतों को उजागर किया। जिसे लगातार नजरअंदाज किया जा रहा था।
सेना में निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की पैरवी की
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने बजट में इंडेक्सेशन लाभ और पूंजीगत लाभ कर को प्रभावित करने वाले खंड का विरोध किया। जिससे कारण एक बार फिर सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पर मजबूर होना पड़ा। राहुल गांधी ने 'अग्निपथ' योजना के खिलाफ एक साहसिक कदम उठाया और सेना में निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की पैरवी की।
कांग्रेस नेता ने कहा, राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग को लेकर अपना पक्ष रखा, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन के कई दलों को भी इस मांग के पक्ष में खड़ा होना पड़ा। वह स्वतंत्र मीडिया की आवाज को दबाने के उद्देश्य से बनाए गए प्रसारण विधेयक के खिलाफ मजबूती से खड़े रहे। राहुल के नेतृत्व की बदौलत, इस विधेयक को रद्द कर दिया गया।
कांग्रेस नेता ने कहा, राहुल गांधी ने जाति जनगणना की मांग को लेकर अपना पक्ष रखा, जिससे सत्तारूढ़ गठबंधन के कई दलों को भी इस मांग के पक्ष में खड़ा होना पड़ा। वह स्वतंत्र मीडिया की आवाज को दबाने के उद्देश्य से बनाए गए प्रसारण विधेयक के खिलाफ मजबूती से खड़े रहे। राहुल के नेतृत्व की बदौलत, इस विधेयक को रद्द कर दिया गया। राहुल गांधी ने भारत के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों का बचाव किया और सरकार को वक्फ संशोधन विधेयक को समीक्षा के लिए संसदीय समिति के पास भेजना पड़ा।