जस्टिस संजीव खन्ना बने देश के 51वें चीफ जस्टिस, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने दिलाई पद की शपथ
नई दिल्ली। जस्टिस संजीव खन्ना ने देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस खन्ना का कार्यकाल लगभग छह महीने का होगा और वे 13 मई 2025 तक इस पद पर बने रहेंगे। उनके कार्यकाल में उन्होंने कई महत्वपूर्ण मामलों पर फैसले दिए हैं, जिनमें चुनावी बॉन्ड योजना को लेकर विचार, और अनुच्छेद 370 निरस्त करने से जुड़े मामलों में भागीदारी शामिल है। उनके नेतृत्व में भारतीय न्यायपालिका में कई अहम बदलाव और महत्वपूर्ण निर्णय की उम्मीद की जा रही है।
दिल्ली में हुई पूरी पढ़ाई-लिखाई
जस्टिस संजीव खन्ना दिल्ली के रहने वाले हैं। उन्होंने अपनी पूरी पढ़ाई दिल्ली से ही की है। उनका जन्म 14 मई, 1960 को हुआ था। जस्टिस खन्ना के पिता भी न्यायमूर्ति देस राज खन्ना दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। जस्टिस संजीव खन्ना की मां श्रीमती सरोज खन्ना दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेडी श्रीराम कॉलेज में हिंदी की लेक्चरर थीं। न्यायमूर्ति खन्ना ने अपनी स्कूली शिक्षा नई दिल्ली के मॉडर्न स्कूल से की। स्कूली शिक्षा के बाद उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ लॉ के कैंपस लॉ सेंटर (CLC) से कानून की पढ़ाई की।
चार दशकों से ज्यादा लंबा रहा है करियर
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का न्यायिक करियर चार दशकों से अधिक का है। साल 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में शामिल होने के बाद उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट में जाने से पहले दिल्ली की तीस हजारी जिला अदालतों में अपनी प्रैक्टिस की थी। उन्होंने आयकर विभाग के लिए वरिष्ठ स्थायी वकील और दिल्ली के लिए स्थायी वकील के रूप में काम किया। इसके साथ ही 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट में पदोन्नत होकर वे 2006 में स्थायी न्यायाधीश बन गए। किसी भी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में सेवा किए बिना जनवरी 2019 में सुप्रीम कोर्ट में जज बने।
कई प्रमुख निर्णयों में शामिल रहे जस्टिस खन्ना
जस्टिस खन्ना ने सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई ऐतिहासिक फैसले सुनाए। इसमें चुनाव में ईवीएम की उपयोगिता बनाए रखना, चुनावी बांड योजना को खारिज करना, अनुच्छेद-370 के निरस्तीकरण के फैसले को कायम रखना था। इसके अलावा दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनाव के दौरान प्रचार के लिए अंतरिम जमानत देना है।