केंद्र सरकार ने किसानों को दिया दिवाली का तोहफा, गेहूं और चने समेत 6 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ाया

Update: 2024-10-16 11:42 GMT

नई दिल्ली।   केंद्र सरकार ने दिवाली से पहले किसानों को बड़ा तोहफा दिया है। सरकार ने सरसों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ा दिया है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को मीडिया को दिए बयान में ये जानकारी दी है। इससे देश के बड़ी संख्या में किसानों को फायदा मिलेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने यह निर्णय किसानों के लिए बेहतर आय सुनिश्चित करने और रबी सीजन के दौरान प्रमुख फसलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए लिया है। जानकारी के अनुसार सरसों के अनुसार गेहूं का एमएसपी 150 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया गया है, जिससे अब ये बढ़कर 2425 रुपये हो गया है। वहीं, सरसों का एमएसपी 300 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ने से अब ये 5950 रुपये हो गया है।

इसके अलावा केंद्रीय मंत्री ने वाराणसी के गंगा नदी पर बने डबल डेकर ब्रिज मालवीय पुल के बारे में बताया कि ये पुल करीब 137 साल पुराना है। उन्होंने कहा कि अब यहां एक नया पुल बनाने का निर्णय लिया गया है, जिसमें निचले डेक पर 4 रेलवे लाइनें और ऊपरी हिस्से पर 6-लेन राजमार्ग होगें। उन्होंने दावा किया कि यातायात क्षमता के लिहाज से यह दुनिया के सबसे बड़े पुलों में गिना जाएगा। उनका कहना था कि इसे पुल के निर्माण में करीब 2642 करोड़ रुपये की लागत लगने का अनुमान है। सबसे कम इजाफा जौ में हुआ।

फसल

 नई MSP रुपए/क्विंटल

 पुरानी MSP रुपए/क्विंटल

 अंतर

गेहूं 

₹2,425 

₹2,275 

₹150

जौ

 ₹1,980 

₹1,850 

₹130

चना 

₹5,650 

₹5,440 

₹210

मसूर 

₹6,700 

₹6,425 

₹275

सरसों-तिलहन 

₹5,950 

₹5,650 

₹300

कुसुम 

₹5,940 

₹5,800 

₹140

चना पर एमएसपी 210 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ी

गेंहू और सरसों के अलावा केंद्र सरकार ने चना पर एमएसपी 210 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाई है। एमएसपी बढ़ने के बाद अब चने की नई दर 5650 रुपये प्रति क्विंटल हो गई है। उत्तरी भारत में गेहूं, सरसों और चना मुख्य फसल में से एक है। इन पर एमएसपी बढ़ने पर किसानों को फसल की लागत निकालने में मदद मिलेगी और उसकी आमदनी भी बढ़ेगी।

क्या है MSP या मिनिमम सपोर्ट प्राइस?

न्यूनतम समर्थन मूल्य वो गारंटीड मूल्य है, जो किसानों को उनकी फसल पर मिलता है। भले ही बाजार में उस फसल की कीमतें कम हों। इसके पीछे तर्क यह है कि बाजार में फसलों की कीमतों में होने वाले उतार-चढ़ाव का किसानों पर असर न पड़े। उन्हें न्यूनतम कीमत मिलती रहे।

सरकार हर फसल सीजन से पहले कमीशन फॉर एग्रीकल्चर कॉस्ट एंड प्राइसेस (CACP) की सिफारिश पर MSP तय करती है। यदि किसी फसल की बम्पर पैदावार हुई है तो उसकी बाजार में कीमतें कम होती हैं, तब MSP उनके लिए फिक्स एश्योर्ड प्राइज का काम करती है। यह एक तरह से कीमतें गिरने पर किसानों को बचाने वाली बीमा पॉलिसी की तरह काम करती है।

MSP में 23 फसलें शामिल होती हैं:

7 प्रकार के अनाज (धान, गेहूं, मक्का, बाजरा, ज्वार, रागी और जौ)

5 प्रकार की दालें (चना, अरहर/तुअर, उड़द, मूंग और मसूर)

7 तिलहन (रेपसीड-सरसों, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, तिल, कुसुम, निगरसीड)

4 व्यावसायिक फसलें (कपास, गन्ना, खोपरा, कच्चा जूट)

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