भागवत बोले- AI के दौर में भी शिक्षक अहम; संघ से जुड़ी पत्रिका में छपा- सोमनाथ से संभल तक लड़ाई सभ्यता...
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) मोहन भागवत ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के दौर में शिक्षकों की भूमिका को रेखांकित किया है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का युग है। इसके बावजूद शिक्षकों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी वर्तमान पीढ़ी को व्यापक ज्ञान से परिचित कराती है, लेकिन शिक्षकों में जीवन बदलने की शक्ति होती है। आरएसएस प्रमुख ने महात्मा गांधी के इस कथन को भी याद किया कि नैतिकता के बिना विज्ञान पाप है।
भारत में दिखने वाले ज्यादातर लोग बाहरी...
भागवत ने कहा, 'अंग्रेजों ने सच्चाई को छुपाया और हमारे देश के लोगों के दिमाग में कई झूठ भर दिए। उनमें से एक यह था कि आज भारत में दिखने वाले ज्यादातर लोग बाहर से आए हैं। उस समय द्रविड़ों ने उन्हें जंगल में खदेड़ दिया था। फिर आर्य आए जिन्होंने द्रविड़ों को और पीछे धकेल दिया।'
dराज करना इस देश के लोगों के खून में नहीं...
बकौल भागवत, 'वे (अंग्रेज) कहते हैं कि हमारे देश का इतिहास ऐसा है कि कोई बाहर से आया, यहां के लोगों को पीटा और खुद राजा बन गया। राज करना इस देश के लोगों के खून में नहीं है, वे ऐसे लोग हैं जो धर्मशाला में रहने आए हैं। उन्होंने अपनी ताकत और हमारी अज्ञानता के कारण हमारे दिमाग में यह झूठ डाला। यह सिद्धांत पूरी दुनिया में खारिज हो चुका है, कोई भी इस पर विश्वास नहीं करता और इसके बारे में बहुत सारे सबूत हैं। लेकिन इसे लोगों के दिमाग से निकालने में अभी भी समय लग रहा है।'
आंबेडकर का अपमान किसने किया...
भागवत के बयान से इतर संघ से जुड़ी पत्रिका- ऑर्गनाइजर में छपा लेख चर्चा में है। इसमें कहा गया है कि सोमनाथ से संभल तक सभ्यता की लड़ाई लड़ी जा रही है। दी ऑर्गनाइजर के नवीनतम अंक में छपे आलेख के मुताबिक, गुजरात के सोमनाथ से लेकर उत्तर प्रदेश के संभल और उससे आगे तक ऐतिहासिक सच्चाई जानने और "सभ्यतागत न्याय" की लड़ाई लड़ी जा रही है। उत्तर प्रदेश के संभल की हालिया घटनाओं ने जनता के दिलों को छू लिया है। इस लेख में लिखा है, 'आंबेडकर का अपमान किसने किया है, इस पर मचे शोर के बीच, हालांकि ऐतिहासिक रिकॉर्ड 'स्पष्ट रूप से संकेत देते हैं' कि कांग्रेस ने संविधान की मसौदा समिति के अध्यक्ष के साथ कैसा व्यवहार किया था।
संवैधानिक अधिकारों के बारे में नई बहस
इस लेख में लिखा है, श्री हरिहर मंदिर, उत्तर प्रदेश के "ऐतिहासिक शहर" में जामा मस्जिद के रूप में अस्तित्व में है। सर्वेक्षण कराने की याचिका से शुरू हुए विवाद के बाद व्यक्तियों और समुदायों को दिए गए विभिन्न संवैधानिक अधिकारों के बारे में नई बहस छिड़ी है।
कुछ लोग हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, स्वीकार्य नहीं
यह आलेख इसलिए भी अहम है क्योंकि बीते 19 दिसंबर को संघ प्रमुख भागवत ने मंदिर-मस्जिद विवादों के फिर से उठने पर चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं, जो स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर सभी हिंदुओं की आस्था से जुड़ा मामला था। लेकिन अब कुछ लोग नए विवाद उठाकर समाज में तनाव फैलाने की कोशिश कर रहे हैं।