डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने पाक AI सेंटर की सदस्यता पर जताई आपत्ति
डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (डीआईएफ) ने शुक्रवार को पाकिस्तान के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी सेंटर को एआई एलायंस नेटवर्क (एआईएनेट) की सदस्यता देने पर कड़ी आपत्ति जताई है। डिजिटल इंडिया फाउंडेशन एक प्रमुख भारतीय थिंक टैंक है और यह एआईएनेट का संस्थापक सदस्य भी है। यह नेटवर्क 17 अंतरराष्ट्रीय संगठनों का समूह है, जिसमें चीन के भी तीन संस्थान शामिल हैं। डीआईएफ ने एक पत्र के जरिए एआईएनेट को बताया कि पाकिस्तान को सदस्य बनाना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन सकता है।
पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को समर्थन देता रहा है'
डीआईएफ ने एआईएनेट को लिखे एक पत्र में कहा है कि 'पाकिस्तान लगातार आतंकवाद को समर्थन देता रहा है, उसके खिलाफ फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की जांच चल रही है, और एआईटीईसी की खास प्रयोगशालाएं एआई का सैन्य उपयोग करने की क्षमता रखती हैं। साथ ही पाकिस्तान की एआई प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिकता का अभाव है। यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।'
थिंक टैंक ने यह भी कहा कि पाकिस्तान के स्वायत्त एआई लैब, कंप्यूटर विजन लैब और एज कंप्यूटिंग लैब में ऐसी तकनीकें मौजूद हैं, जिन्हें साइबर हमलों, सीमा पार हमलों और स्वचालित हथियार प्रणालियों के लिए आसानी से इस्तेमाल किया जा सकता है।
'पाकिस्तान की एआई नीति सेना के नेतृत्व में तैयार की गई'
डीआईएफ ने चेतावनी दी 'अगर एआईटीईसी को सदस्यता मिलती है तो यह एआईएनेट की सुरक्षा, भरोसे और मूल्यों को नुकसान पहुंचा सकता है।' डीआईएफ के सह-संस्थापक और प्रमुख अरविंद गुप्ता ने कहा- 'पाकिस्तान की एआई नीति मुख्य रूप से सेना के नेतृत्व में तैयार की गई है। पाकिस्तान एयर फोर्स का सेंटर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड कंप्यूटिंग रक्षा से जुड़ी एआई तकनीकों को प्राथमिकता देता है, ना कि आम लोगों के भले के लिए एआई नवाचार को।'
अरविंद गुप्ता ने आगे कहा कि एआईटीईसी की सदस्यता का मकसद भारत और दूसरे देशों की रिसर्च और टेक्नोलॉजी तक पहुंच हासिल करना है, ताकि उसे हथियारों में बदला जा सके। 'हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि पाकिस्तान को ऐसा कोई मौका न मिले'।
लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों को संरक्षण देने का हवाला
डीआईएफ ने कहा कि आतंकवाद को समर्थन देने के रिकॉर्ड वाले देश के हाथों में ये प्रौद्योगिकियां गैर सरकारी अभिनेताओं के लिए परिचालन संवर्द्धन को सक्षम कर सकती हैं। फाउंडेशन ने आतंकवाद पर 2025 अमेरिकी देश रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें पाकिस्तान द्वारा लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे समूहों को निरंतर संरक्षण देने का उल्लेख किया गया। इसके अलावा डिजिटल इंडिया फाउंडेशन ने आतंकवाद के वित्त पोषण और मनी लॉन्ड्रिंग का मुकाबला करने में विफलताओं के कारण पाकिस्तान की चल रही एफएटीएफ ग्रे-लिस्ट स्थिति की ओर इशारा किया। इसने चेतावनी दी कि एआईटीईसी की डाटा साइंस लैब और क्वांटम मशीन लर्निंग एंड कॉग्निटिव कंप्यूटिंग लैब का संभावित रूप से अवैध वित्तीय प्रवाह और चरमपंथी नेटवर्क के लिए क्रिप्टोकरेंसी आधारित धन उगाहने को स्वचालित करने के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है।
पाक में राष्ट्रीय डाटा संरक्षण कानून का अभाव
फाउंडेशन ने पत्र में कहा कि पाकिस्तान का एआई इकोसिस्टम शिक्षा, अनुसंधान और शासन में बड़ी कमियों से जूझ रहा है। पाकिस्तान की राष्ट्रीय एआई नीति का मसौदा अस्पष्ट और अप्रवर्तनीय है और देश में राष्ट्रीय डाटा संरक्षण कानून का अभाव है। इसने आगे कहा कि पाकिस्तान वायु सेना के सेंटर ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एंड कंप्यूटिंग जैसी सैन्य नेतृत्व वाली संस्थाएं देश की एआई रणनीति पर हावी हैं, जो नागरिक नवाचार को कमजोर कर रही हैं। फाउंडेशन ने कहा कि इस सैन्यकृत एआई ढांचे में एआईटीईसी का एकीकरण सीधे तौर पर एआईएएनईटी के जनहित और शांतिपूर्ण वैश्विक सहयोग के लिए एआई को आगे बढ़ाने के मिशन के विपरीत है। फाउंडेशन ने एआईएएनईटी के सदस्यों से गठबंधन की अखंडता को बनाए रखने, वैश्विक एआई सहयोग की रक्षा करने और जिम्मेदार, लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तकनीकी प्रगति के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए एआईटीईसी के आवेदन को पूरी तरह से अस्वीकार करने का आग्रह किया।