साल की सबसे लोकप्रिय उल्का बौछार,आसमान में आज दिखेगा शानदार रोशनी का नजारा
दिल्ली देशभर के आसमान में मंगलवार और बुधवार रात को पर्सिड्स उल्का बौछार का शानदार नजारा दिखेगा। नासा के मुताबिक, यह हर घंटे करीब 100 उल्कापिंड ला सकती है, जिनमें चमकीली धारियां और आग के गोले भी शामिल होते हैं।
पर्सिड्स घटना तब होती है जब पृथ्वी, स्विफ्ट-टटल धूमकेतु के पीछे छोड़े गए धूल-कणों से गुजरती है। ये सूक्ष्म उल्कापिंड 36 मील प्रति सेकंड की रफ़्तार से वायुमंडल से टकराकर जल उठते हैं, जिससे आसमान में रोशनी की लकीरें बनती हैं।यह बौछार 24 अगस्त तक जारी रहेगी, जबकि चरम दृश्य 12–13 अगस्त की रात को मिलेगा। देखने का आदर्श समय रात 2 बजे से सुबह 4 बजे तक है। इस बार का नज़ारा और भी खास होगा, क्योंकि शुक्र और बृहस्पति का दुर्लभ संगम भी साथ दिखेगा।आमतौर पर यह जुलाई के मध्य से अगस्त के अंत तक होती है, जबकि 12 या 13 अगस्त के आसपास यह चरम पर होती है। वैज्ञानिकों के मुताबिक पर्सिड्स की घटना सदियों से होती आ रही है और यह पृथ्वी के स्विफ्ट-टटल धूमकेतु के पीछे छोड़े गए धूल के बादल से गुजरने से होती है। ये उल्कापिंड, जो आमतौर पर रेत के एक कण से भी बड़े नहीं होते, पृथ्वी के वायुमंडल से 36 मील प्रति सेकंड की गति से टकराते ही जल उठते हैं और प्रकाश के चमकीले निशान बनाते हैं। जिनका नाम पर्सियस के नाम पर रखा गया है।
बेहद खास होगा दृश्य
स्विफ्ट-टटल धूमकेतु का व्यास करीब 26 किलोमीटर है और यह 133 वर्षों में सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करता है। आखिरी बार यह 1992 में पृथ्वी के पास आया था और अब 2126 में दोबारा आएगा। 11 और 12 अगस्त का शुक्र-बृहस्पति संगम इस बार के खगोलीय नजारे को और खास बना रहा है। इतना करीबी दृश्य लंबे अंतराल में ही देखने को मिलता है। रॉयल ऑब्जर्वेटरी के अनुसार उल्कापिंडों की यह बौछार 24 अगस्त तक जारी रहेगी। इसे देखने के लिए आदर्श समय रात के दो बजे से सुबह चार बजे के बीच है।