स्थानीय निकायों की लापरवाही से बिगड़ा मामला: : आवारा कुत्तों से जुड़े मामले पर फैसला सुरक्षित; SG बोले- मुद्दा सुलझाने की जरूरत

सुप्रीम कोर्ट ने सड़कों से आवारा कुत्तों को पकड़ने के 11 अगस्त के आदेश पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि हस्तक्षेप याचिका दायर करने वाले हर व्यक्ति को जिम्मेदारी लेनी होगी। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि पूरी समस्या स्थानीय अधिकारियों की लापरवाही और निष्क्रियता के कारण है। नियमों का पालन न करने की वजह से समस्या इतनी बढ़ गई है।
इससे पहले न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की तीन सदस्यीय पीठ गुरुवार को इस मामले की सुनवाई की। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि बच्चे मर रहे हैं। इस मुद्दे को सुलझाने की जरूरत है, न कि इस पर विवाद करने की। कोई भी जानवरों से नफरत नहीं करता। देश में एक साल में कुत्तों के काटने के 37 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए हैं। मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि स्थिति 'बेहद गंभीर' है और इस मामले पर गहराई से बहस करने की जरूरत है। 11 अगस्त को दिल्ली-एनसीआर में अधिकारियों को आवारा कुत्तों को उठाने का निर्देश देने वाले आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए।