रंगों का पर्व होली की तैयारियां तेज़ी से चल रही हैं. इस वर्ष होली 15 मार्च को मनाई जाएगी, जो इस त्योहार के लिए अत्यंत शुभ दिन है, जबकि होलिका दहन 13 मार्च की रात को किया जाएगा. यह परंपरा बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मानी जाती है और इसका धार्मिक महत्व अत्यंत गहरा है.
होलिका दहन कब और क्यों किया जाता है?
होलिका दहन फाल्गुन महीने की पूर्णिमा की रात को किया जाता है, जिसे छोटी होली या होलिका दीपक के नाम से भी जाना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन अग्नि में आहुति देने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और घर में सुख-समृद्धि का आगमन होता है. यह पूजा मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जाती है, जिससे धन-संपत्ति और खुशहाली बनी रहती है.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 2025
तारीख: 13 मार्च 2025
सर्वश्रेष्ठ समय: रात 10:36 से सुबह तक
पूर्णिमा तिथि आरंभ: 13 मार्च, सुबह 09:36 सुबह से
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च, सुबह 11: 11 तक
भद्रा काल कब से आरंभ होगा
भद्रा काल का आरम्भ 13 मार्च 2025 दिन गुरुवार सुबह 10:02 से आरम्भ होगा.
भद्रा काल समाप्ति 13 मार्च 2025 रात्रि 10 :37 मिनट पर समाप्त होगा.
विशेष सलाह: होलिका दहन के लिए सही समय चुनना बहुत जरूरी है.अशुभ समय (भद्राकाल) में यह अनुष्ठान नहीं करना चाहिए.
होलिका दहन के लिए जरूरी सामग्री
अगर आप होलिका पूजन करना चाहते हैं, तो इन चीजों को पहले से तैयार कर लें:
कच्चा सूत (धागा) – होलिका पर लपेटने के लिए
अक्षत (चावल) – शुद्धता और समर्पण का प्रतीक
धूप और अगरबत्ती – सकारात्मक ऊर्जा के लिए
फूल और मिठाई (बताशे) – देवी-देवताओं का आशीर्वाद पाने के लिए
नारियल – सफलता और समृद्धि के लिए
गुलाल और रोली – रंगों के त्योहार की शुरुआत के लिए
नई फसल के अनाज – प्रकृति को धन्यवाद देने के लिए
गाय के गोबर से बनी माला – शुद्धि और धार्मिक महत्व के लिए
पानी से भरा कलश – पवित्रता का प्रतीक
हल्दी की गांठ – शुभता और आरोग्य के लिए
होलिका दहन के दौरान बोले जाने वाले मंत्र
होलिका दहन के समय विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जिससे नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
सुरक्षा और समृद्धि के लिए मंत्र
असृक्पाभय संतस्त्रैः कृताः त्वं होलि बालिशैः.
अतस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदा भव..
स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्..
गायत्री मंत्र (आध्यात्मिक उन्नति के लिए)
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं.
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्..
होलिका दहन का महत्व
होलिका दहन एक धार्मिक अनुष्ठान के साथ-साथ यह भी दर्शाता है कि अहंकार और बुराई का अंत अवश्यंभावी है. यह पर्व परिवार और समाज को एकत्रित करता है, जहां लोग मिलकर आनंदित होते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं और अग्नि के चारों ओर परिक्रमा कर सुख और समृद्धि की प्रार्थना करते हैं.