
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन का निधन हो गया। अधिकारियों ने बताया कि उन्होंने बंगलूरू में अंतिम सांस ली। वे 83 वर्ष के थे। बताया जा रहा है कि वे पिछले कुछ समय से अस्वस्थ चल रहे थे। डॉक्टर कृष्णा कस्तूरीरंगन नई शिक्षा नीति 2020 का ड्राफ्ट तैयार करने वाले समिति के अध्यक्ष भी रहे।
प्रख्यात वैज्ञानिक के कस्तूरीरंगन का जन्म 24 अक्तूबर 1940 को केरल के एर्नाकुलम में हुआ था। उन्होंने लंबे समय तक भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में सेवाएं दीं। वे 1994 से 2003 तक इसरो के चेयरमैन भी रहे। 2003 में इसरो से सेवानिवृत्त होने के बाद कस्तूरीरंगन इंडियन एकेडमी ऑफ साइंसेज के अध्यक्ष बने। इसके साथ ही मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सदस्य बने।
भारत सरकार ने विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उनको पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया। वे 2003 से 2009 तक राज्यसभा सदस्य भी रहे। इसके अलावा नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस स्टडीज बंगलूरू के डायरेक्टर, नई शिक्षा नीति ड्राफ्ट कमेटी के चेयरमैन, एनआईआईटी विवि राजस्थान के चेयरमैन रहे।
पीएसएलवी का सफल प्रक्षेपण कराया
इसरो अध्यक्ष के कस्तूरीरंगन के नेतृत्व में अंतरिक्ष कार्यक्रम ने कई प्रमुख उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) का सफल प्रक्षेपण और जीएसएलवी का पहला सफल उड़ान परीक्षण कराया। इसके अलावा उन्होंने उपग्रह आईआरएस-1सी और 1डी के डिजाइन, विकास और प्रक्षेपण, दूसरी पीढ़ी के निर्माण और तीसरी पीढ़ी के इनसेट उपग्रहों के प्रक्षेपण के अलावा महासागर अवलोकन उपग्रहों आईआरएस-पी3/पी4 के प्रक्षेपण की भी देखरेख की।
डॉ. कस्तूरीरंगन ने उच्च ऊर्जा एक्स-रे और गामा किरण खगोल विज्ञान के साथ-साथ प्रकाशीय खगोल विज्ञान में अनुसंधान किया। उन्होंने ब्रह्मांडीय एक्स-रे स्रोतों, आकाशीय गामा-किरण और निचले वायुमंडल में ब्रह्मांडीय एक्स-रे के प्रभाव के अध्ययन में व्यापक और महत्वपूर्ण योगदान दिया है।