नया आदेश: सीमा सुरक्षा के मद्देनज़र 30 किमी के भीतर अवैध धार्मिक ढांचे हटाने के निर्देश: अमित शाह के निर्देश पर कार्रवाई तेज़

Update: 2025-10-18 03:47 GMT

 

 

दिल्ली ,केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गृह मंत्रालय के सीमा प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों और खुफिया तंत्र के साथ हुई बैठक में सीमांत जिलों के कलेक्टरों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अंतरराष्ट्रीय सीमा से कम-से-कम 30 किमी के भीतर किसी भी तरह के अवैध धार्मिक या अन्य ढांचों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और ऐसे पाए जाने पर उन्हें तुरन्त हटाया (या ध्वस्त) किया जाए। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा-सुरक्षा को देखते हुए उठाया जा रहा है। 

सूत्रों के अनुसार, अमित शाह ने गुजरात के उदाहरण की प्रशंसा की और कहा कि सीमांत क्षेत्रों में आबादी और ढाँचों में हो रहे बदलावों (demographic changes) को “जानबूझकर” किए गए डिज़ाइन के रूप में देखा जा रहा है, इसलिए प्रशासनिक ऐक्शन आवश्यक है। साथ ही सीमावर्ती इलाकों में पलायन रोकने और पर्यटन/रोजगार से गांवों में आबादी बनाए रखने की भी आवश्यकता बताई गई है। 

पहले ही कई राज्यों में कार्रवाई शुरू

पहले से ही उत्तर प्रदेश और गुजरात जैसे राज्यों में सीमांत क्षेत्रों में अवैध संरचनाओं के खिलाफ कार्रवाई की खबरें आ चुकी हैं — उत्तर प्रदेश में कुछ जिलों में 10 किमी के भीतर कई अवैध धार्मिक ढांचे हटाए जाने की सूचनाएँ सार्वजनिक रही हैं। केंद्र के निर्देशों के बाद यह मुहिम अन्य सीमान्त राज्यों—जिसमें राजस्थान भी शामिल है—में और तेज़ होने की संभावना जताई जा रही है।  

प्रभाव और चुनौतियाँ

आधिकारिक कारण बिना मंजूरी के बने ढांचे सुरक्षा खतरे पैदा कर सकते हैं — जैसे घुसपैठियों को शरण देना, तस्करी की संभावनाएं, या नियंत्रणहीन फंडिंग का द्वार खुलना — इसलिए प्रशासन का त्वरित और संवैधानिक कार्रवाई करना आवश्यक बताया जा रहा है। वहीं ऐसे अभियान के दौरान सामाजिक संवेदनशीलताओं, विधिक प्रक्रियाओं और सामुदायिक प्रभावों का ध्यान रखने की भी जरूरत होगी ताकि किसी विशेष समुदाय के खिलाफ आरोप न बने।  

क्या कहा गया — क्या हो रहा है आगे

दिशानिर्देशों में कलेक्टरों से कहा गया है कि वे स्थानीय निगरानी — सैटेलाइट, ड्रोन और खुफिया इनपुट — का उपयोग कर सीमांत गाँवों में किसी भी अवैध निर्माण की पहचान कराएँ और आवश्यक कार्रवाई कराएँ। केंद्र का फोकस न केवल अवैध संरचनाओं को हटाने पर है, बल्कि सीमांत क्षेत्रों को मज़बूत बनाकर वहां के लोगों को आने न देने और पर्यटन/विकास के माध्यम से स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने पर भी है।  


 

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