अमेरिका-चीन तनाव के बीच नासा का सख्त कदम: चीनी नागरिकों को स्पेस प्रोग्राम्स से बाहर
वॉशिंगटन डीसी: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के बीच अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने एक बड़ा और सख्त फैसला लिया है। नासा ने अमेरिका में वीजा पर रह रहे चीनी नागरिकों को अपने स्पेस प्रोग्राम्स, सुविधाओं, आईटी सिस्टम्स और मीटिंग्स में शामिल होने से पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया है। यह कदम 5 सितंबर 2025 को अचानक लागू हुआ, जिसके तहत कई चीनी रिसर्चर्स, कॉन्ट्रैक्टर्स और स्टूडेंट्स को नासा के सिस्टम्स से हटा दिया गया।
क्या है पूरा मामला?
पृष्ठभूमि: अमेरिका और चीन के बीच "दूसरी स्पेस रेस" और व्यापारिक तनाव चरम पर है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ और हाल के जासूसी मामलों ने स्थिति को और गंभीर किया है। 2011 के वुल्फ अमेंडमेंट के तहत नासा पहले से ही चीनी स्पेस एजेंसी (CNSA) के साथ सहयोग नहीं करता, लेकिन अब यह प्रतिबंध निजी चीनी नागरिकों पर भी लागू हो गया है।
नासा का बयान: नासा की प्रेस सेक्रेटरी बेथनी स्टीवंस ने AFP को बताया, "हमने चीनी नागरिकों की भौतिक और साइबर पहुंच को रोकने के लिए आंतरिक कार्रवाई की है, ताकि हमारी सुविधाओं और डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित हो।" यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और संवेदनशील टेक्नोलॉजी की चोरी रोकने के लिए उठाया गया है।
क्या हुआ?: 5 सितंबर को नासा में काम कर रहे कई चीनी नागरिकों को अचानक आईटी सिस्टम्स से लॉग आउट कर दिया गया। उन्हें मीटिंग्स में शामिल होने से रोका गया और कुछ को सुविधाओं से बाहर का रास्ता दिखाया गया। प्रभावित लोगों में कॉन्ट्रैक्टर्स और यूनिवर्सिटी रिसर्चर्स शामिल हैं।
स्पेस रेस का संदर्भ: नासा के एक्टिंग एडमिनिस्ट्रेटर शॉन डफी ने कहा, "हम दूसरी स्पेस रेस में हैं। चीन चंद्रमा पर हमसे पहले पहुंचना चाहता है, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देंगे।" अमेरिका का आर्टेमिस प्रोग्राम 2027-28 तक चंद्रमा पर मानव भेजने की योजना बना रहा है, जबकि चीन 2030 तक अपने ताइकोनॉट्स भेजेगा।
क्यों उठाया गया यह कदम?
राष्ट्रीय सुरक्षा: जुलाई 2025 में एक चीनी-अमेरिकी नागरिक की इंडस्ट्रियल जासूसी के लिए गिरफ्तारी ने अलार्म बजा दिया। सेंसर और कैमरा टेक्नोलॉजी चोरी का मामला सामने आया।
स्पेस में प्रभुत्व: अमेरिकी सीनेटर टेड क्रूज ने कहा, "स्पेस में नियम अमेरिका बनाएगा, चीन नहीं।" नासा का यह कदम स्पेस टेक्नोलॉजी में बढ़त बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है।
चीन की प्रगति: चीन का स्पेस प्रोग्राम तेजी से आगे बढ़ रहा है। 2028 में मंगल मिशन और 2030 में चंद्रमा मिशन की योजना है। उनका तियांगोंग स्पेस स्टेशन भी पूरी तरह चालू है।
प्रभाव और प्रतिक्रियाएं
चीनी नागरिकों पर असर: कई चीनी रिसर्चर्स और स्टूडेंट्स ने गुमनाम रूप से ब्लूमबर्ग को बताया कि यह फैसला उनके करियर के लिए झटका है। कुछ ने इसे भेदभावपूर्ण बताया।
वैश्विक विज्ञान पर प्रभाव: यह कदम वैश्विक वैज्ञानिक सहयोग को प्रभावित कर सकता है। भारत जैसे देशों के लिए यह नासा के साथ सहयोग बढ़ाने का अवसर हो सकता है।
चीन की प्रतिक्रिया: चीनी विदेश मंत्रालय ने इसे "अमेरिका की संकीर्ण मानसिकता" करार दिया, लेकिन अभी कोई जवाबी कदम नहीं उठाया गया।
