अब चांद पर भी चलेगी ट्रेन, घूमने जाएंगे इंसान, जानिए क्या है ये प्रोजेक्ट?

Update: 2024-05-15 06:28 GMT

नई द‍िल्ली। वैज्ञानिकवर्ष 2030 तक चांद पर जीवन बसाने की सोच रहे हैं। ऐसा हुआ तो चांद पर रहने वालों को एक जगह से दूसरी जगह जाने-आने के लिए परिवहन सुविधा की आवश्यकता भी होगी, इसलिए नासा ने चांद  पर परिवहन प्रणाली बनाने की योजना बनाई है। अमरीकी स्पेस एजेंसी नासा  जल्द ही चांद पर ट्रेन चलाने जा रही है। फ्लोट चुंबकत्व का उपयोग कर चंद्रमा की सतह पर सामान और उपकरणों को इधर-उधर ले जाने में मदद करेगा। चूंकि चंद्रमा पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से कम है, इसलिए फ्लोट जैसी प्रणाली अंतरिक्ष में मददगार हो सकती है।

एक ब्लॉग पोस्ट में NASA ने ‘फ्लेक्सिबल लेविटेशन ऑन ए ट्रैक फ्लोट’ नामक इस प्रोजेक्ट के बारे में बताया कि वो भविष्य में चांद पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों की मदद के लिए एक रोबोटिक परिवहन प्रणाली तैयार करेगा। फ्लोट का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर उन इलाकों में परिवहन सेवाएं मुहैया कराना होगा, जहां अंतरिक्ष यात्री काम कर रहे हैं। फ्लोट प्रणाली चंद्रमा के धूल भरे और कठिन वातावरण में बिना किसी बाहरी मदद काम कर सकेगी और इसे चलने के लिए बहुत कम तैयारी की जरूरत होगी। इसमें पटरियों को मोड़ा जा सकता है और जरूरत के अनुसार इधर-उधर भी किया जा सकता है, ताकि सामान के परिवहन में आसानी हो।

कैसा है फ्लोट का डिजाइन?

चांद पर काफी मात्रा में धूल होने के कारण वहां पहियों या पैरों वाली गाडिय़ों का उपयोग नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ये धूल में फंस सकते हंै। इसलिए नासा नए तरह के डिजाइन फ्लोट पर काम कर रहा है, इसमें छोटे चुंबकीय रोबोट शामिल हैं, जो धूल में नहीं फंसेंगे। इन रोबोट्स पर गाडिय़ां लगाई जाएंगी जो लगभग 1.61 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलेंगी। इसकी मदद से हर दिन 100 टन सामान को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकेगा।

कैसे काम करेगी पतली फिल्म वाली पटरी?

इस तीन परत की पतली फिल्म वाली पटरी की पहली परत ग्रेफाइट की बनी होगी जो कि चुंबक की तरह काम करेगी, जिससे रोबोट हवा में तैरते रहेंगे। इसकी दूसरी परत में इलेक्ट्रॉनिक सर्किट होंगे, जिनकी मदद से रोबोट को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसमें तीसरी परत वैकल्पिक होगी, जिसमें सोलर पैनल लगाए जा सकते हैं।

आसान करेगा काम : शालर

नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी के रोबोटिक्स विशेषज्ञ इथन शालर ने बताया कि हम चांद पर पहली रेलवे प्रणाली बनाना चाहते हैं, जिसकी मदद से स्वचालित और कुशलतापूर्वक तरीके से चांद पर सामान लाने ले जाने का काम हो सके। यह रोबोटिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम चांद पर बने किसी भी स्थायी ठिकाने के रोजमर्रा के कामों को आसान बनाने में बहुत अहम होगा।

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