रेल मंत्री बोले- 'कवच' पर तेजी से हो रहा काम, पटरियों और सिग्नलों की गुणवत्ता की जांच पर भी फोकस

By :  vijay
Update: 2024-09-27 12:46 GMT

 रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि, अल्ट्रासाउंड जांच से लेकर कोहरे से सुरक्षा देनें वाले उपकरणों को रेल नेटवर्क पर स्थापित किया जा रहा है। पूरे नेटवर्क में नई प्रौद्योगिकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यही नहीं कवच प्रणाली के लिए ड्राइवरों और अन्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

रेल सुरक्षा को लेकर विपक्ष की ओर से उठाई जा रही चिंताओं को दूर करते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि, देशभर में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली 'कवच' के इंस्टॉलेशन का काम तेजी से चल रहा है। इसके अलावा पटरियों और सिग्नलों की गुणवत्ता की जांच की जा रही है। हाल ही में एक के बाद एक कई रेल दुर्घटनाओं के सामने आने के बाद विपक्ष ने रेल सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी।

 पत्रकारों से बात करते हुए रेल मंत्री वैष्णव ने कहा कि, अल्ट्रासाउंड जांच से लेकर कोहरे से सुरक्षा देनें वाले उपकरणों को रेल नेटवर्क पर स्थापित किया जा रहा है। पूरे नेटवर्क में नई प्रौद्योगिकी उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है। यही नहीं कवच प्रणाली के लिए ड्राइवरों और अन्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

कवच फिट करने के जारी किए गए टेंडर

रेल मंत्री ने कहा कि, सरकार अगले कुछ सालों में एक लाख किलोमीटर से अधिक के पूरे नेटवर्क पर कवच लगाने और 7,000 से अधिक स्टेशनों को इसके तहत कवर करने का लक्ष्य बना रही है। वैष्णव ने कहा कि 10,000 इंजनों और 9,600 किलोमीटर की ट्रैक लंबाई पर 'कवच' फिट करने के लिए निविदाएं पहले ही जारी की जा चुकी हैं। इसके अलावा रेलकर्मियों के प्रशिक्षण के लिए भारतीय रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूरसंचार संस्थान में पाठ्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।


वैष्णव ने रेलवे द्वारा अपनाए जा रहे विभिन्न सुरक्षा उपायों के बारे में भी विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि, पूरे रेल नेटवर्क पर अल्ट्रासाउंड परीक्षण किए जा रहे हैं। अप्रैल तक 1,86,000 (1.86 लाख) किलोमीटर ट्रैक और 11.66 लाख वेल्ड का अल्ट्रासाउंड मशीनों से परीक्षण किया जा चुका है। नई अल्ट्रासाउंड मशीनें भी शुरू की गई हैं, बड़ी संख्या में रेलवे पुलों का जीर्णोद्धार किया गया है और सैकड़ों फ्लाईओवर और अंडरपास बनाए गए हैं। वैष्णव ने आगे कहा कि 5,300 कोहरे सुरक्षा उपकरण लगाए गए हैं और अनुसंधान डिजाइन एवं मानक संगठन (आरडीएसओ) द्वारा ट्रैक फिटिंग की गुणवत्ता की जांच की गई है।। इसके अलावा ट्रैकमैन के कठिनाई और जोखिम भत्ते में 25 प्रतिशत की वृद्धि की गई है।

कवच का सुमेरगंज मंडी तक ट्रॉयल हुआ

इससे पहले केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार को सवाई माधोपुर में ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम कवच 4.0 का उद्घाटन कर व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सवाई माधोपुर से कोटा रेलवे स्टेशन के मध्य स्वदेशी रेलवे सुरक्षा प्रणाली कवच 4.0 के मॉडल को बारीकी से देखा। । कवच 4.0 रेलवे सुरक्षा प्रणाली के तहत सवाई माधोपुर से कोटा के बीच रेलवे ट्रैक को कवच लैस किया गया है। यह प्रणाली देश में पहली बार सर्वप्रथम सवाई माधोपुर से कोटा के बीच 108 किलोमीटर की दूरी में स्थापित किया गया है। इसका काम दो माह में पूरा करने के बाद शुरू भी कर दिया गया है। यह देश का पहला रेलवे ट्रैक है, जहां इसे लागू किया गया है।

क्या है 'कवच'?

'कवच' स्वदेशी रूप से विकसित स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है । यह एक खास तरह का ऑटोमेटिक प्रोटेक्शन सिस्टम है। कवच प्रोटेक्शन तकनीक को रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन की मदद से बनाया गया है। कवच सिस्टम में हाई फ्रीक्वेंसी के रेडियो कम्युनिकेशन का इस्तेमाल किया जाता है। कवच प्रणाली तीन स्थितियों में काम करती है - हेड ऑन टकराव, रियर एंड टकराव, सिग्नल खतरा।

'कवच' ड्राइवर द्वारा ब्रेक लगाने में विफल होने की स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगा देता है और लोको पायलट को निर्दिष्ट गति सीमा के भीतर ट्रेन चलाने में मदद करता है। इसके अलावा खराब मौसम के दौरान ट्रेन को सुरक्षित रूप से चलाने में भी मदद करता है। ये सभी सिस्टम एक दूसरे के साथ अल्ट्रा हाई रेडियो फ्रीक्वेंसी पर कम्यूनिकेट करते हैं। अगर ट्रेन चलाते समय लोको पायलट किसी सिग्नल को जंप या कोई गलती करता है। ऐसे में कवच प्रणाली तुरंत एक्टिवेट हो जाती है और ट्रेन के ब्रेक कंट्रोल कर लेती है। इसके अलावा अगर एक ही पटरी पर दूसरी ट्रेन भी आ रही है, तो वह दूसरी ट्रेन को अलर्ट भेजकर कुछ दूरी पहले उसे रोक देती है।

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