आज से नौतपा: नौ दिन भूल से भी न करें ये गलतियां, पढ़ सकता है भारी

Update: 2025-05-24 18:40 GMT
नौ दिन भूल से भी न करें ये गलतियां, पढ़ सकता है भारी
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 नौतपा हिन्दू पंचांग के अनुसार वह विशेष समय होता है जब सूर्य अत्यंत प्रचंड रूप में रहते हैं. यह वर्ष 2025 में 25 मई से शुरू होने जा रहे है. नौतपा के नौ दिन बेहद तप्त और ऊर्जायुक्त माने जाते हैं. शास्त्रों में इस समय को तपस्या और संयम का काल कहा गया है. धर्मशास्त्रों में कुछ ऐसे कार्यों से बचने की सलाह दी गई है, जिन्हें अगर इस दौरान किया जाए, तो उनके दुष्परिणाम अत्यंत गंभीर हो सकते हैं. आइए जानते हैं कि नौतपा में कौन-सी गलतियां भूलकर भी नहीं करनी चाहिए:-तामसिक और गरिष्ठ भोजन का सेवन न करें

नौतपा के दौरान शरीर पहले से ही गर्मी के कारण थका और शिथिल रहता है. इस समय तामसिक, मांसाहारी, अत्यधिक मसालेदार और भारी भोजन करने से शरीर में रोग उत्पन्न हो सकते हैं. धार्मिक दृष्टि से भी यह समय सात्विकता अपनाने का होता है. फलाहार, ठंडे पेय और हरी सब्ज़ियों का सेवन इस समय श्रेष्ठ माना गया है.

– सूर्य को जल अर्पित करना न भूलें



 

नौतपा में सूर्यदेव अत्यंत तेजस्वी होते हैं. इन दिनों में प्रातःकाल सूर्य को तांबे के लोटे में जल, लाल पुष्प, अक्षत व चंदन डालकर अर्घ्य देना विशेष फलदायी होता है. अगर कोई व्यक्ति इस दौरान सूर्य को अर्घ्य नहीं देता, तो उसे जीवन में स्वास्थ्य और ऊर्जा संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.

– वाद-विवाद और क्रोध से बचें

धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि नौतपा आत्मसंयम और शांति का समय है. इस दौरान क्रोध करना, वाद-विवाद में पड़ना या किसी का अपमान करना अशुभ फल देता है. यह मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति का समय है, जिसे नकारात्मकता से दूषित नहीं करना चाहिए.

– शरीर को अत्यधिक थकान या परिश्रम में न डालें

गर्मी चरम पर होने के कारण इस समय शरीर पर अत्यधिक परिश्रम डालना स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. शास्त्रों के अनुसार, इस समय आवश्यकता से अधिक श्रम करने से ऊर्जा का क्षय होता है, जिससे मानसिक और शारीरिक थकावट बढ़ती है. इस समय अधिक से अधिक विश्राम और जल का सेवन करना चाहिए.




 

– पेड़-पौधों और जलस्रोतों को नुकसान न पहुंचाएं

नौतपा प्रकृति के लिए भी एक संवेदनशील समय होता है. इस समय पेड़ों की छाया और जलस्रोतों का विशेष महत्व होता है. धार्मिक रूप से यह समय पर्यावरण की रक्षा का प्रतीक है. जल को व्यर्थ न बहाएं और पौधों को जल देना पुण्य का कार्य माना गया है.

नौतपा केवल मौसम का परिवर्तन नहीं, बल्कि आस्था, संयम और तपस्या का प्रतीक है. इन नौ दिनों में धर्मशास्त्रों द्वारा बताए गए नियमों का पालन कर हम न केवल अपने जीवन में सकारात्मकता ला सकते हैं, बल्कि पापों से भी मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं.

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