मोबाइल चलाते हैं तो हो जाएं सावधान: मोबाइल की लत बना रही मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार,

Update: 2025-04-06 04:10 GMT
मोबाइल की लत  बना रही मानसिक और शारीरिक रूप से बीमार,
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आज के दौर में मोबाइल प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है. इस डिजिटल दुनिया में इलेक्ट्रॉनिक गैजेट ने जहां काम आसान कर दिया है, तो वहीं ये नुकसान का सबब भी बन सकता है. जीवन के बहुत से काम के आलावा मनोरंजन के साधन भी मोबाइल हो चुका है. जहां बड़े बुज़ुर्गो से लेकर छोटे बच्चे तक मोबाइल के आदि हो चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मोबाइल फोन का अत्याधिक इस्तेमाल करने से आपकी सेहत को भारी नुकसान हो सकता है. ये हम आपको बता रहे हैं. यदि आपने अभी ध्यान नहीं दिया तो आपका आने वाला समय बेहद ही पीड़ादायक हो सकता है, तो अभी से सावधान हो जाइए. बता दें कि मोबाइल फोन से निकलने वाले रेज से यूजर्स की सेहत को भारी नुकसान हो सकता है. जी हां! इसके साथ-साथ आप कई प्रकार की बीमारियों के शिकार हो सकते हैं. मोबाइल का ज्यादा इस्तेमाल से मिर्गी के दौरे आ सकते हैं.

जानकारी देते हुए बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.  प्रशांत आगाल ने बताया कि भारत में प्रति एक हजार लोगों पर 6 लोगों को ये बीमारी है. बच्चों में इसका खतरा अधिक है. इसके आलावा मोबाइल के अत्याधिक इस्तेमाल से दौरे पड़ने की संभावना बढ़ जाती है. डॉ. प्रशांत आगाल बताते हैं कि वर्तमान में मोबाइल फोन की स्क्रीन को अधिक देर तक देखना. नींद पूरी नहीं होने से भी रोगी बढ़े हैं. इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके लोगों को दोबारा दौरे पड़ने के मामले देखे गए हैं.

आज के दौर में इलैक्ट्रोनिक डिवाइसेस हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गई हैं. फिर चाहे वे पेरेंट्स हों या बच्चे. बच्चों को व्यस्त रखने के लिए माता-पिता अकसर उनके हाथ में फोन थमा देते हैं या फिर उन्हे टीवी के सामने बैठा देते हैं. ऐसे में कई बार माता-पिता इस बात का ध्यान तक नहीं देते कि बच्चा क्या देख रहा है और कितनी देर से स्क्रीन के सामने है. शहरी जीवन शैली में बच्चों का खेल-कूद, भाग-दौड़ कम होती जा रही है. बच्चे ज्यादा से ज्यादा समय घर की चारदिवारी के अंदर इलैक्ट्रोनिक गैजेट्स के साथ बिताते हैं. इसका प्रभाव लंबे समय के बाद देखने को मिलता है

विश्व स्वास्थ संगठन यानी WHO ने हाल ही में जारी की गई रिपोर्ट में 5 साल से कम उम्र के बच्चों का स्क्रीन टाइम निर्धारित कर दिया है. अब तक लोगों का सिर्फ ये मानना था कि स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से आंखें खराब होती हैं लेकन, डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट के मुताबिक, इसके परिणाम ज्यादा खतरनाक हैं. 5 साल से कम उम्र के बच्चों का निर्धारित समय से ज्यादा स्क्रीन टाइम उनके शारिरिक और मानसिक विकास पर सीधा असर डालता है. इस रिपोर्ट के जरिए WHO ने माता-पिता या अभिभावक को बच्चों को मोबाइल फोन, टीवी स्क्रीन, लैपटॉप और अन्य इलैक्ट्रोनिक उपकरणों से दूर रखने की हिदायत दी है.

WHO की गाइडलाइन-

1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए :

एक साल से कम उम्र के बच्चों के लिए जीरो स्क्रीन टाइम निर्धारित किया गया है. यानी उन्हें बिलकुल भी स्क्रीन के सामने नहीं रखना है. इसके अलावा उन्हें दिन में आधा घण्टे पेट के बल लिटाना चाहिए. फर्श पर तरह-तरह के खेल खिलाना भी बच्चे के शारिरिक विकास के लिए बेहतर है.

1 से 2 साल के बच्चों के लिए :

इस उम्र के बच्चों के लिए दिनभर में स्क्रीन टाइम 1 घण्टे से ज्यादा नहीं होना चाहिए. इसके साथ ही 3 घण्टे फिजिकल एक्टिविटी करने की सलाह दी गई है. इस उम्र में बच्चों को कहानी सुनाना उनके मानसिक विकास के लिए फाएदेमंद साबित होगा.

3 से 4 साल तक के बच्चों के लिए :

3 से 4 साल की उम्र के बच्चों के लिए भी दिनभर में ज्यादा से ज्यादा समय 1 घण्टा निर्घारित किया गया है. लेकिन इनको 2 से 3 साल के बच्चों के मुकाबले ज्यादा फिजिकल एक्टिविटीस करने की सलाह दी गई है.


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