राजस्थान उच्च न्यायालय: सरकारी स्कूलों की जर्जर हालत पर कड़ी नाराजगी, दो दिनों में समुचित प्लान पेश करने के निर्देश
जयपुर। राजस्थान के सरकारी स्कूलों की बदहाल स्थिति और भवनों की सुरक्षा को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को कड़े शब्दों में फटकार लगाई है। अदालत ने कहा कि सरकार शहर को कार्यक्रमों के लिए सजाने-संवारने में व्यस्त है, जबकि स्कूलों की मूल समस्याओं पर कोई ठोस काम नहीं किया जा रहा। अदालत ने स्पष्ट किया कि अन्य आयोजनों के लिए फंड उपलब्ध हो सकता है तो बच्चों की सुरक्षा और शिक्षा के लिए धन की कमी का बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा।
न्यायमूर्ति महेंद्र गोयल और न्यायमूर्ति अशोक जैन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार बार-बार समय मांग रही है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह मामले को गंभीरता से नहीं ले रही। अदालत ने हाल ही में हुए झालावाड़ स्कूल हादसे का उल्लेख करते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएँ व्यवस्था की लापरवाही को उजागर करती हैं। 25 जुलाई के हादसे में 7 बच्चों की दर्दनाक मौत हो गई थी, जब कक्षा में बैठे बच्चों पर जर्जर छत गिर गई थी।
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने सरकार द्वारा प्रस्तुत रोडमैप को अधूरा बताते हुए लौटा दिया था और दो दिनों में विस्तृत योजना पेश करने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने पूछा कि जब सरकार नए स्कूल और कॉलेज खोलने की घोषणाएँ करती है, तो फिर जर्जर भवनों और मरम्मत के लिए जारी बजट की जानकारी उपलब्ध क्यों नहीं है। सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य में करीब 86 हजार कक्षाएं जर्जर स्थिति में हैं, लेकिन इन्हें कैसे रिपेयर किया जाएगा, इसका स्पष्ट विवरण सरकार अब तक नहीं दे पाई है।
अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि सरकार चुनावी घोषणाओं के बजाय जमीनी स्तर पर काम करे, ताकि बच्चों की जिंदगी सुरक्षित रह सके। अदालत ने अगली सुनवाई में ठोस और विस्तृत कार्ययोजना पेश करने को अनिवार्य किया है।