आइये जानिये - किस दिन मनाये दीपावली का त्यौहार

By :  vijay
Update: 2024-10-16 13:04 GMT

श्री कल्लाजी वैदिक विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष डॉ. ललित किशोर शर्मा ने बताया कि दीपावली हिन्दू धर्म का सबसे बड़ा त्यौहार है। साल 2024 को अमावस्या तिथि 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दोनों दिन होने से लोगों में सशंय हैं कि यह त्यौहार कब मनाया जाए। अमावस्या तिथि और प्रतिपदा मिश्रित होने पर दीपावली कब मनाना चाहिए, तिथि को लेकर क्या निर्णय देते हैं हमारे शास्त्र। इस पर निर्णय सिंधु के द्वितीय परिच्छेद के पेज 300 पर लेख हैं कि ‘दण्डैक रजनी योगे दर्श: स्यात्तु परेअहवि। तदा विहाये पूर्वे दयुः परेअहनि सख्यरात्रिका' अर्थात यदि अमावस्या दो दिन प्रदोष व्यापिनी हैं, तो अगले दिन करना चाहिए। तिथि निर्णय में उल्लेख है कि ‘इयं प्रदोष व्यापनी साह्या, दिन द्वये सत्वाअसत्वे परा अर्थात यदि अमावस्या दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श न करे, तो दूसरे दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। इसका यह अर्थ भी है कि दोनों दिन प्रदोष को स्पर्श करें, तो लक्ष्मी पूजन दूसरे दिन ही करना चाहिए। 1 नवंबर को अमावस्या साकल्या पादिता तिथि होगी, जो पूरी रात्रि और अगले दिन सूर्योदय तक मानी जाएगी। 1 नवंबर को पूरे प्रदोष काल, वृषभ लग्न व निशीथ में सिंह लग्न में लक्ष्मी पूजन किया जा सकता हैं। इसलिए 1 नवंबर 2024 को दिवाली मनाना शास्त्रसम्मत हैं। निर्णय सिंधु प्रथम परिच्छेद के पेज 26 पर निर्देश हैं कि जब तिथि दो दिन कर्मकाल में हो तो निर्णय युग्मानुसार ही करें। अमावस्या और प्रतिपदा का युग्म शुभ माना गया हैं। अतः प्रतिपदा युक्त अमावस्या महान फल देने वाली होती हैं। दीपावली का पर्व 31 अक्टूबर को मनाया जाए या फिर 1 नवंबर को? इसे लेकर मदभेद चल रहा हैं। दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाई जाती हैं। निर्णय सागर पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दिन 3 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ होगी। यह 1 नवंबर को शाम 6.17 पर समाप्त होगी। इस स्थिति में अमावस्या तिथि दो दिन प्रदोष काल में हैं। दृश्य गणित से निर्मित सभी पंचांगों में 1 नवंबर को ही लक्ष्मी पूजन शास्त्र से सम्मत माना गया हैं।

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