जयपुर। राजस्थान उच्च न्यायालय ने महिला सुपरवाइज़र भर्ती–2018 के चर्चित पेपरलीक और नकल प्रकरण में गिरफ्तार पौरव कालेर, राजाराम उर्फ राजू मैट्रिक्स और सुमन बेरा की जमानत याचिकाएँ खारिज कर दी हैं। न्यायमूर्ति चंद्रप्रकाश श्रीमाली की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश चौधरी ने अदालत को बताया कि पौरव कालेर ने राजू मैट्रिक्स और बीकानेर के स्कूल संचालक दिनेश सिंह के साथ मिलकर परीक्षा शुरू होने से पहले ही प्रश्नपत्र लीक करवाया था। इसके बाद ब्लूटूथ जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के माध्यम से अभ्यर्थियों को नकल करवाई गई। इस पूरे कृत्य के बदले कालेर को 15 लाख रुपये मिले थे। नकल के आधार पर चार अभ्यर्थी चयनित हुए, जिनमें सुमन बेरा भी शामिल है।
अदालत को यह भी बताया गया कि पौरव कालेर के विरुद्ध वर्ष 2014 से 2025 के बीच पेपरलीक और नकल से जुड़े आठ मामले दर्ज हैं, जबकि राजू मैट्रिक्स पर भी चार प्रकरण लंबित हैं। राजू मैट्रिक्स स्वयं प्रश्नपत्र की फोटो लेकर कालेर को भेजने में सक्रिय था। अभियोजन ने तर्क दिया कि आरोपियों की गतिविधियों ने भर्ती परीक्षाओं की पवित्रता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाया है, ऐसे में उन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
आरोपियों की ओर से यह दलील रखी गई कि वे लंबे समय से न्यायिक हिरासत में हैं, जांच पूरी हो चुकी है और मुकदमे में समय लगेगा, इसलिए जमानत दी जानी चाहिए। अदालत ने इस तर्क को अस्वीकार करते हुए कहा कि गंभीर आरोपों, व्यापक धोखाधड़ी और परीक्षा प्रणाली पर पड़े दुष्प्रभाव को देखते हुए जमानत देना उचित नहीं होगा।
गौरतलब है कि कालेर गैंग का नाम राजस्थान की कई बड़ी भर्ती परीक्षाओं—जैसे पटवारी, ई-आरओ, हाईकोर्ट एलडीसी और एसआई भर्ती—में भी पेपरलीक और नकल की साजिशों में सामने आ चुका है। एसआई भर्ती–2021 मामले में भी कालेर की जमानत याचिका पहले खारिज हो चुकी है।
