मानव की जीवनी शक्तियां मंगल सर्जन की गंगोत्री है-जिनेन्द्रमुनि

Update: 2024-11-22 10:13 GMT

गोगुन्दा। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावकसंघ तरपाल के स्थानक भवन (ढालावत भवन) में उपस्थित लोगों के सम्बोधन में जिनेन्द्रमुनि मसा ने कहा कि विश्व में मानव एक विशिष्ट पुण्य की निष्पति है।अद्भुत और विलक्षण है मानव।शक्ति साहस और सृजन का मूर्तरूप है मानव।मानव की क्षमताएं अपार है किंतु एक अंधत्व भी है मानव के पास। उसके रहते वह औरो को तो दूर दूर तक देख लेता है किंतु स्वयं अपने को नही देख पाता।उसे पता ही नही कि वह क्या है उसकी जीवन शक्तियां क्या है।ऐसे में एक अंधानुकरण ही तो वह कर सकता है ।और अधिकतर मानव यही तो कर रहा है।अनुकरण बस अनुकरण,खान पान में रहन सहन में चाल चलन और जीवन के सभी व्यवहारों में केवल अनुकरण है मानव के पास।मुनि ने कहा वह यह नही देख पाता कि वह जो कुछ कर रहा है आज,वह कितना उपयोगी रह गया है।

संत ने कहा आज के संदर्भ का क्या मूल्य है।मूल्यवत्ता का यह चिंतन एक प्रकाश है।वह मानव के पास नही है।यही कारण है कि मानव आज मूल्यहीन कार्यो में खप रहा है।अपनी जीवनी शक्तियों को,अपनी समस्त ऊर्जा को बर्बाद किये जा रहा है और उसे बदले में मिल रहा है तनाव,संक्लेश,घृणा और विषाद।जैन संत ने कहा मानव को आज एक प्रकाश चाहिए, वह प्रकाश जो उसे अपनी भूल को स्पष्ट बता दे।दुष्परिणामो को उजागर कर दे।मुनि ने कहा मानव की जीवनी शक्तियां मंगल सर्जन की गंगोत्री है।उन्ही से ही सत्यम शिवम और सुंदरम की सृष्टि होती है।उन्ही से ही सम्यक दर्शन सम्यक ज्ञान और सम्यक चारित्र रूप रत्नत्रय की अनमोल निधिया पैदा होती है।ये शक्तियां पापो के,अपराधों के गटर में बहाने को नही है ये अनमोल है।न मालूम मानव कब इनके महत्व को समझेगा।

Similar News