आयड़ जैन तीर्थ में नवपद ओली के 90 तपस्वियों का हुआ सामूहिक पारणा एवं बहुमान

Update: 2024-10-18 09:29 GMT

उदयपुर । श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्तवावधान में तपोगच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ में रामचन्द्र सुरिश्वर महाराज के समुदाय के पट्टधर, गीतार्थ प्रवर, प्रवचनप्रभावक आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर आदि ठाणा द्वारा चातुर्मास काल के दौरान महाभारत पर प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे है। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि गुरुवार को आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे संतों के सानिध्य में ज्ञान भक्ति एवं ज्ञान पूजा, अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई। नवपद ओली में हुए विशेष पूजा-अर्चना के तहत सभी 90 तपस्वियों का सामूहिक पारणा एवं बहुमान किया गया। आयबिल नवपद ओली के आराधकों का पारणा राजकुमारी, सुशीम, असीम सिंघवी परिवार ने किया। तपस्वियों का बहुमान किया गया। नवपद ओली के लाभार्थी मनोहलाल, कंचनदेवी, नरेन्द्र कुमार, स्नेहलता, गौरव, मीनल, क्यारा, महेन्द्र अमिता सिंघवी परिवार एवं निर्मला देवी, डॉ. हेमंत- दिव्या, डॉ. शरद-डॉ सीमा, राज, फ्रेया, हरित कोठारी परिवार थे। नाहर ने बताया कि वहीं 29 से 31 अक्टूबर तक महावीर स्वामी की अंतिम देशना के विषय पर आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर द्वारा सुबह 9.30 से 10.30 बजे तक विशेष प्रवचन होंगें।

शुक्रवार को आयोजित धर्मसभा में आचार्य हितवर्धन सुरिश्वर ने तप की महिमा को बताते हुए कहा कि तप सभी कठिन कर्मों का नष्ट करने वाली औषधि का रूप है। तप के माध्यम से व्यक्ति सार को जीतने वाला बन सकता है। इस कारण आयबिल तप सर्वोत्तम तप है। इसमें नि: स्वार्थता जैसे गुण समाहित है। आत्मा तपस्या के मार्ग से आगे निकल जाती है। श्रीपाल एवं महासती भयणा सुंदरी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। श्रावक-श्राविकाओं के तप की अनुमोदना की।

चातुर्मास समिति के अशोक जैन व प्रकाश नागोरी ने बताया कि इस अवसर पर कार्याध्यक्ष भोपालसिंह परमार, कुलदीप नाहर, अशोक जैन, प्रकाश नागोरी, सतीस कच्छारा, राजेन्द्र जवेरिया, चतर सिंह पामेचा, चन्द्र सिंह बोल्या, हिम्मत मुर्डिया, कैलाश मुर्डिया, श्याम हरकावत, अंकुर मुर्डिया, बिट्टू खाब्या, भोपाल सिंह नाहर, अशोक धुपिया, गोवर्धन सिंह बोल्या सहित सैकड़ों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।

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