- ज्ञान गंगा महोत्सव 20 जुलाई से

उदयपुर । सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में चातुर्मास प्रवास पर विराजित राष्ट्रसंत पुलक सागर महाराज का चातुर्मास के कार्यक्रम धूमधाम से आयोजित हो रहे है। आयोजन की श्रृंखला में रविवार को टाउन हॉल स्थित नगर निगम प्रांगण में चातुर्मासिक मंगल कलश की स्थापना की गई। सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर से टाउन हॉल के लिए जब आचार्य निकले तो मार्ग में जयकारा गुरुदेव का जय-जय गुरुदेव के घोष से शहर का वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि सहकारी मंत्री बिहार डॉ. प्रेम कुमार जैन व प्रतिष्ठाचार्य पंडित हसमुख जैन, शरदराज कासलीवाल दिल्ली, अविनेश जैन अहमदाबाद, जीतू प्रिया अग्रवाल थे।
चातुर्मास समिति के अध्यक्ष विनोद फान्दोत ने बताया कि शहर में आध्यात्मिक चेतना का माहौल उस समय चरम पर पहुंच गया जब राष्ट्रसंत आचार्य पुलक सागर महाराज के सान्निध्य में भव्य चातुर्मास कलश स्थापना कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें हजारों श्रावक-श्राविकाओं ने भाग लेकर गुरु भक्ति, धर्म और संयम की भावना को आत्मसात किया। सर्वप्रथम मंगल गीत पुलक मंच के सदस्य एवं सदस्याओं द्वारा कार्यक्रम की अगवानी की गई । फान्दोत ने बताया कि यह जो चातुर्मासिक कलश है उनकी सोमवार को सर्वऋतु विलास स्थित महावीर दिगम्बर जैन मंदिर में विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाएगी उसके बाद मंदिर परिसर में यह कलश स्थापित किए जाएगें जो चातुर्मास के बाद पुण्यार्जक परिवार को सौंपें जाएंगे।
आचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु से जो तुम चाहते हो वह तुम्हारी मांग है, लेकिन गुरु जो देता है वह वरदान होता है। आचार्य ने कहा कि कलश स्थापना होने के बाद जब चातुर्मास विसर्जन होगा तब सभी कलश पुण्यार्जक के घरों में स्वयं मैं स्थापित करने आऊंगा। इस अवसर पर आचार्य श्री ने अपने प्रवचन में कहा, "कलश केवल जल का पात्र नहीं, यह विश्वास, श्रद्धा और जीवन परिवर्तन का प्रतीक है। चातुर्मास हमें आत्मनिरीक्षण, संयम और साधना की राह पर चलने का अवसर देता है।"
- कलश में 55 प्रकार की मांगलिक सामग्रियां रखी
पंडित सम्राट शास्त्री ने बताया कि कलश में लगभग 55 प्रकार की मांगलिक सामग्रियां रखी गई है, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिसमें दुर्लभ अत्यंत शक्तिशाली, घर को मंगलमय बनाने वाली, भूत प्रेत आदि बाधाओं को दूर करने वाली जड़ी बूटियां, पिरामिड आदि सम्मिलित है । कलश स्थापना के साथ ही चातुर्मास की गतिविधियाँ भी आरंभ हो गई हैं।
- यह है चातुर्मास कलश के पुण्यार्जक परिवार
चातुर्मास समिति के परम संरक्षरक राजकुमार फत्तावत व मुख्य संयोजक पारस सिंघवी ने बताया कि चातुर्मास के मुख्य पुण्यार्जक परिवार गेंदालाल विनोद फांदोत परिवार, दिनेश आदिश खोड़निया परिवार एवं आशीष सोगानी परिवार, चातुर्मास के विशिष्ट चातुर्मास कलश पुण्यार्जक नीलकमल अजमेरा परिवार, पुण्यार्जक संदीप डागरिया परिवार, मुकेश पुष्पेंद्र हिंसावत परिवार, अशोक शाह परिवार, कमल गदिया परिवार, शांतिलाल मानोत परिवार, खूबचंद प्रकाश सिंघवी, श्रीपाल धर्मावत परिवार, सुनील जैन परिवार, मांगीलाल नावडिय़ा परिवार, सोहनलाल कलावत परिवार, पारस अंकित सिंघवी परिवार, सुनील सिपरिया परिवार थे । मंगल आरती निर्मल गोधा परिवार ने की।
चातुर्मास समिति के महामंत्री प्रकाश सिंघवी ने बताया कि जिनशरणम् कलश के पुण्यार्जक विवेक वशिष्ठ परिवार, गुरुकलश के पुण्यार्जक महावीर वाणावत रहे। पाद प्रक्षालन के पुण्यार्जक अर्चीज एवं हृदय फांदोत ने किया। गुरु पूजा का सौभाग्य संघपति प्रदीप मामा को मिला। यह चातुर्मास 17 वर्षों बाद आचार्यश्री का उदयपुर आगमन है, और यह पूरे समाज के लिए सौभाग्य का क्षण है। आयोजन में भाग लेने के लिए न केवल उदयपुर बल्कि आसपास के जिलों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुँचे। चातुर्मास कलश स्थापना समारोह श्रद्धा, आस्था और सामाजिक समरसता का अनूठा उदाहरण बना। यह आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि आत्मिक जागरण व सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने वाला अवसर भी सिद्ध हुआ है।
- ज्ञान गंगा महोत्सव 20 जुलाई से 15 अगस्त तक
मुख्य संयोजक अशोक शाह एवं गौरवाध्यक्ष शांतिलाल मनोत व प्रचार-प्रचार संयोजक विप्लव कुमार जैन ने संयुक्त रूप से बताया कि चातुर्मास श्रृंखला में पहला कार्यक्रम ज्ञान गंगा महोत्सव 20 जुलाई से 15 अगस्त तक आयोजित होगा । जिसमें 26 दिनों तक सर्वधर्म के धर्मावलम्बियों के लिए विशेष प्रवचन श्रृंखला आयोजित होगी। ज्ञान गंगा महोत्सव के अंतर्गत 31 जुलाई को मोक्ष सप्तमी, 9 अगस्त को रक्षाबंधन एवं 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर विशेष आयोजन होंगे । ज्ञान गंगा महोत्सव में राष्ट्र संत पुलक सागर महाराज के विशेष प्रवचन होंगे।
इस अवसर पर राष्ट्रसंत के संघपति प्रदीप मामा प्रतिभा मामी, चातुर्मास मुख्य पुण्यार्जक दिनेश खोड़निया, जिनशरणं तीर्थ के ट्रस्टी निर्मल गोधा, नीलकमल अजमेरा, सोमेश वाणावत, सुरेश कोठारी, अजीत विनायक्या सोनम विनायक्या, राजेश गंगवाल, मीना झांझरी, कुशलचंद ठोल्या, विक्की रौनक एवं सीमा फांदोत ने बारहभावना प्रस्तुत की । कार्यक्रम में सम्पूर्ण भारत से आचार्यश्री के भक्तजन उपस्थित रहे, जिनमें मुख्य रूप से महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, बिहार से थे । आचार्यश्री को शास्त्र भेंट बीना टोंग्या, महेंद्र निगोत्या, अशोक गंगवाल, डॉ. ऋचा जैन, प्रदीप पांड्या, आदिश खोड़निया, राजेश फांदोत एवं संदीप त्रिशला डागरिया परिवार ने किया । गुरुपूजा के पुण्यार्जक सुनील अंजना गंगवाल, सुरेश भंडारी, सुनील संगीता, अंशुल हर्षिता अजमेरा, जिकिशा, अर्चिस, हृदय फांदोत, शांतिलाल भोजन, शांतिलाल मनोत, खूबचंद प्रकाश सिंघवी, पारस सिंघवी, अनामिका बाकलीवाल सहित हजारों श्रावक-श्राविकाएं मौजूद रहे।