कोटड़ी: दो तालाबों में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण पर एनजीटी सख्त, अतिक्रमण हटाकर स्थिति में बहाल करने के आदेश

भीलवाड़ा जिले की कोटड़ी तहसील स्थित धर्माउ तालाब और फतेह सागर तालाब में बढ़ते प्रदूषण और अवैध अतिक्रमण पर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) की मध्य क्षेत्रीय पीठ ने सख्त रुख अपनाते हुए कड़े आदेश जारी किए हैं। यह आदेश कोटड़ी निवासी विष्णु कुमार वैष्णव की याचिका पर 9 जुलाई को न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह और डॉ. ए. सेंथिल वेल की पीठ ने सुनवाई के बाद पारित किए।
याचिका में आरोप लगाया गया था कि खसरा संख्या 1595 व 4467 (धर्माउ तालाब) और खसरा संख्या 2050 (फतेह सागर तालाब) की भूमि पर अवैध पट्टे देकर अतिक्रमण किया गया है, जिससे ये जलस्रोत प्रदूषित हो रहे हैं। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि दोनों तालाबों में बह रहे अनुपचारित सीवेज, अवैध कब्जों और पानी की गिरती गुणवत्ता जैसे गंभीर मामलों में तत्काल कार्रवाई की जाए।

आदेश के अनुसार धर्माउ तालाब की सर्वे संख्या 739, 739/1 और 739/2 पर बने सभी अवैध निर्माण तीन माह में ध्वस्त कर भूमि को खाली कराया जाए। दोषियों पर ₹2 करोड़ का पर्यावरणीय मुआवजा लगाया गया है, जिसे दो माह के भीतर राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (आरएसपीसीबी) के पास जमा कराना अनिवार्य होगा।
स्थानीय निकाय को निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी हालत में इन तालाबों में अनुपचारित जल न छोड़ा जाए। यदि ऐसा होता है तो आरएसपीसीबी दोषियों से मुआवजा वसूल कर तीन सप्ताह में रिपोर्ट पेश करेगा। भीलवाड़ा जिला कलेक्टर को आगामी छह माह में, यानी 15 फरवरी 2026 से पहले एनजीटी के समक्ष अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी। इस मामले की अगली सुनवाई 8 अगस्त 2025 को होगी।
तालाब के आसपास निर्माण पर रोक
आदेश के अनुसार धर्माउ तालाब के जलग्रहण क्षेत्र (सर्वे संख्या 707) को अतिक्रमण मुक्त रखा जाएगा और तालाब की सीमा से 50 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार का नया स्थायी निर्माण नहीं किया जा सकेगा। फतेह सागर तालाब में हुए अवैध आवंटनों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम की धारा 91 के तहत अतिक्रमण हटाया जाएगा।
दो तालाबों में बढ़ते प्रदूषण और अतिक्रमण पर एनजीटी सख्त, अतिक्रमण हटाकर स्थिति में बहाल करने के आदेश
तालाबों की मूल स्थिति बहाल करने के लिए भीलवाड़ा जिला कलेक्टर, जिला परिषद सीईओ, पंचायत समिति बनेड़ा के बीडीओ और आरएसपीसीबी की संयुक्त समिति गठित की गई है। समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि धर्माउ तालाब और फतेह सागर तालाब स्थानीय निवासियों के लिए पीने के पानी और कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन प्रदूषण और अतिक्रमण के कारण इनकी हालत गंभीर हो चुकी है। एनजीटी का यह निर्णय भीलवाड़ा के जलस्रोतों के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण और निर्णायक कदम माना जा रहा है।