दुर्गा अष्टमी पर धनोप माता मंदिर में उमड़ा आस्था का जन सेलाब, घंटों लाइन में खड़े रहकर श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
राजेश शर्मा धनोप। जिले का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शक्तिपीठ धनोप माताजी में नवरात्रा मेला अमावस्या शनिवार 29 मार्च से शुरू हुआ। शनिवार अष्टमी को श्रद्धालु धनोप माता दर्शन करने के लिए मेले में पहुंचे। निज मंदिर छतरी में लगातार भक्तों का ताता लगा रहा।शक्तिपीठ धनोप माताजी में नवरात्रा दुर्गाष्टमी के अवसर पर शनिवार को प्रदेश भर के लगभग लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने दिनभर माता रानी के लाइन में लगकर माता रानी के दर्शन किए। श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए फुलिया कला थाना पुलिस सहित पुलिस के अतिरिक्त जवान दिन भर मुस्तादी से तैनात रहे। अष्टमी पर श्रद्धालुओं का धनोप माता दर्शन करने के लिए निज मंदिर छतरी में लगातार भक्तों का ताता लगा रहा। शक्तिपीठ धनोप माता के फूल पत्ती से होती है भक्तों की मनोकामना पूर्ण। शक्तिपीठ धनोप माता की फूल पती का श्रद्धालुओं में विशेष महत्व झलकता है जिसमें अपनी मनोकामनाओं, आकांक्षा, इच्छा, जन्म, विवाह संबंधों को लेकर श्रद्धालु माता से पाती मांगते हैं। माता रानी के पुष्प श्रृंगार में से श्रद्धालुओं के चढ़ाएं हुए प्रसाद पर माता रानी प्रसन्न होकर स्वीकृति स्वरूप 5 फीट ऊपर से श्रद्धालुओं के प्रसाद पर पुष्प आ गिरते हैं। इसके लिए प्रदेश ही नहीं वरन कई राज्यों से श्रद्धालु माता के दरबार में हाजिरी देते हैं। भेरुनाथ के स्थान पर बाहरी हवाओं व भूत प्रेत के पीड़ित रोगियों को आंतरिक बीमारियों से छुटकारा भी मिलता है। माता रानी शक्ति पीठ दरबार में सात चोकी आने पर बाहरी हवाओं, भूत प्रेत के रोगियों को माता रानी की कृपा से सदैव के लिए छुटकारा मिलता जिससे और भी कई गंभीर बीमारियों के मरीज भी माता रानी के दरबार में अपनी अर्जी लेकर आते हैं। इस बार मेले में सांगरिया रोड पर शहरों में बड़े-बड़े मॉल लगते हैं उस तरह से बाहर से आए दुकानदारों ने दुकानों को उसी मॉल की तरह सजाया गया। उन बड़ी-बड़ी दुकानों पर खरीदारी करने वाले ग्राहकों की भीड़ जमा रही। वही स्थाई दुकानदारों के खरीदारी नहीं होने पर उनको भारी नुकसान पहुंचा। तेज गर्मी को देखते हुए इस बार मेले में हर जगह गन्ने की चर्खियों के घुंघरू की आवाजें खनखनाई। मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह राणावत ने जानकारी देते हुए बताया कि अष्टमी पर मेला शांतिपूर्ण रहा मेला तथा दशमीं सोमवार को ज्वारा विसर्जन के साथ मेला का समापन होगा।