सिनेमा हॉल में फिल्मों की जगह सत्संग – शाहपुरा में श्रीराम टॉकीज बना सत्संग स्थल

शाहपुरा, समय के साथ समाज में सकारात्मक परिवर्तन की बहार बह रही है। इसका जीवंत उदाहरण आज शाहपुरा में देखने को मिला, जहां मनोरंजन का केंद्र रहे श्री राम टॉकीज में अब आत्मज्ञान की गूंज सुनाई दी।
जहां फिल्मों की चकाचौंध हुआ करती है, आज उसी मंच पर संत रामपाल जी महाराज का सत्संग कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था, बल्कि सामाजिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम बन गया।
सत्संग के प्रमुख संदेश:
संत रामपाल जी महाराज ने प्रोजेक्टर के माध्यम से अनुयायियों को सत्संग सुनाया। उन्होंने नशा, दहेज, भ्रष्टाचार, चोरी और झूठ जैसी बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा दी और मर्यादित, ईमानदार जीवनशैली को अपनाने पर जोर दिया।
अनुयायियों की विशेषताएं:
नशामुक्त जीवनशैली
सामाजिक कुरीतियों से मुक्त
दहेज प्रथा का विरोध
सत्य और ईमानदारी से जीवन यापन
पूर्ण अनुशासन और शांति प्रिय आचरण
कार्यक्रम स्थल पर अनुशासन, स्वच्छता और शांति का वातावरण इतना प्रभावशाली था कि पहली बार आने वाले भी स्वयं को जुड़ा हुआ महसूस कर रहे थे। स्थानीय आयोजकों ने हर पहलू को सुव्यवस्थित ढंग से संचालित किया, जिससे उपस्थित जनसमूह को एक आध्यात्मिक और सामाजिक संतुलन का अनुभव हुआ।
स्थानीय प्रतिक्रिया:
एक वरिष्ठ नागरिक ने भावुक होते हुए कहा, "जहां पहले फिल्में चलती थीं, आज वहां आत्मज्ञान की बातें हो रही हैं – यह बदलाव समाज के लिए बहुत शुभ संकेत है।"
नया संदेश, नया मंच:
श्री राम टॉकीज अब केवल एक सिनेमा हॉल नहीं रहा, बल्कि एक ऐसा मंच बन गया है जहां आध्यात्मिक ज्ञान और सामाजिक सुधार की नींव रखी जा रही है। यह कार्यक्रम इस बात का प्रतीक है कि जब सोच बदलती है, तो स्थान का स्वरूप भी बदल जाता है।