मदन राठौड़ को दोबारा मिली प्रदेश BJP की कमान,: वसुंधरा राजे ने दे दिया 'एकजुट-नो गुट-एक मुख' का नारा
राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ फिर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष बन गए हैं। सात महीने में दूसरी बार मदन राठौड़ को राजस्थान भाजपा की कमान सौंपी गई है। सीएम भजनलाल शर्मा, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे समेत तमाम नेताओं की मौजूदगी उनके नाम की घोषणा हुई। इस दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा राजे ने एकजुट, नो गुट, एक मुख का नारा दिया। चुनाव प्रभारी गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने राठौड़ के नाम का ऐलान किया। इससे पहले शुक्रवार को प्रदेशाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मदन राठौड़ के अलावा किसी भी दूसरे नेता ने फॉर्म नहीं भरा था। उसके बाद से ही उनका फिर से अध्यक्ष बनना तय हो गया था। जनसंघ से बीजेपी तक की यात्रा करने वाले मदन राठौड़ के पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के साथ भी बेहतर संबंध रहे हैं।
मदन राठौड़ की पहली बार प्रदेशाध्यक्ष पद पर 26 जुलाई 2024 को नियुक्ति हुई थी। ऐसे में उन्हें इस पद पर करीब 7 महीने का समय ही हुआ था। प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल संगठन की बैठकों में इस बात के संकेत दे चुके थे कि प्रदेशाध्यक्ष के पद पर मदन राठौड़ ही निर्वाचित होंगे। भाजपा ने सीपी जोशी के बाद मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष जिम्मा सौंपा था। उनके नेतृत्व में भाजपा ने उप चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया। इसी के चलते अब हाईकमान ने उन्हें फिर से पद पर नियुक्त किया है। हाल ही में राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, जिसमें बीजेपी को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई। इस उप चुनाव में सलूंबर, रामगढ़ और झुंझुनू सीटों पर तो जीत दर्ज की। साथ ही कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली देवली-उनियारा के साथ आरएलपी की खींवसर सीट पर भी कब्जा किया था।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि, मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाए रख भाजपा अपना ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश में जुटी हुई है। ओबीसी की जाति घांची समुदाय से ताल्लुक मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त कर बीजेपी ने जातीय समीकरण साधे हैं और उस ओबीसी वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश की है जो राज्य में जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाता है। राजस्थान में 50 फीसदी से अधिक वोटर्स ओबीसी में आते हैं जिसमें कई जातियां शामिल हैं और लोकसभा चुनाव के दौरान भी ओबीसी मतदाताओं ने अहम भूमिका अदा की थी।
सत्ता-संगठन के साथ वसुंधरा को भी बैलेंस बनाने का प्लान!
मदन राठौड़ को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर भाजपा ने राजस्थान में सत्ता और संगठन के बीच समन्वय बनाने की कोशिश की हैं। सरकार की कमान ब्राह्मण समुदाय से आने वाले सीएम भजनलाल शर्मा के हाथों में है। इसलिए पार्टी की बागडोर ओबीसी समुदाय से आने वाले मदन राठौड़ को सौंपी है। इस तरह बीजेपी ने ब्राह्मण और ओबीसी के जरिए सूबे के सियासी समीकरण को साधा है। राठौड़ अस्सी के दशक में संघ से बीजेपी में आए हैं। इसके बाद जिला संगठन से अपना काम शुरू किया। इसके अलावा प्रदेश संगठन में भी अलग-अलग पदों पर रहे हैं।
राठौर दो बार पाली जिले की सुमेरपुर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए हैं। पार्टी ने 2023 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने उनका टिकट काट दिया था, जिसके बाद निर्दलीय ताल ठोक दी थी। हालांकि, उन्होंने पार्टी के नेतृत्व द्वारा बात करने के बाद अपना पर्चा वापस ले लिया था, जिसके बाद उन्हें राज्यसभा भेजा गया और अब उन्हें प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है। राठौड़ के जरिए वसुंधरा राजे को भी साधने का दांव बीजेपी नेतृत्व ने चला है। इसकी वजह है कि राठौड़ को पूर्व सीएम वसुंधरा राजे का करीबी माना जाता है। 2018 में वसुंधरा राजे सरकार के दौरान मदन राठौड़ ने बीजेपी के उप मुख्य सचेतक की जिम्मेदारी संभाली थी।